तीन वित्तीय वर्षों के भीतर 17 वन मंडलों में कैंपा फंड में 364 करोड़ का गड़बड़झाला
- क्षतिपूर्ति बनिकरण के क्रियान्वयन में धांधली
- वृक्षारोपण में कमी और रोपण में विफलता
- खरपतवार उन्मूलन एवं अपात्र गतिविधियों पर अनुचित व्यय,
Misappropriation of Rs 364 crore in CAMPA fund in 17 forest divisions within three financial years
गणेश पाण्डेय
भोपाल। कैग ने जंगल महकमे में पिछले वित्तीय वर्ष में विभाग के 17 वन मंडलों में 364 करोड़ से अधिक गड़बड़झाला होने की पुष्टि की है। यह गड़बड़ी 63 वनमंडलों में से केवल 17 वन मंडलों में हुई ऑडिट रिपोर्ट से उजागर हुई है। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैंपा फंड से कितने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो सकती है ? यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मौजूदा पीसीसीएफ कैंपा ने संरक्षण शाखा के हिस्से के वित्तीय अधिकार पर बलात कब्जा कर लिया है। जबकि परंपरा यह रही है कि फॉरेस्ट प्रोटक्शन से संबंधित व्यय करने वाली राशि का फंड संरक्षण शाखा द्वारा किया जाता रहा है।
भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की ऑडिट रिपोर्ट में कैंपा फंड की राशि में हुई गड़बड़ियों को लेकर विस्तार से ब्यूरोक्रेट का ध्यान आकर्षित कराया गया है। कैग ने अपने प्रतिवेदन में स्पष्ट तौर से उल्लेख किया है कि क्षतिपूर्ति वनीकरण के क्रियान्वयन में अनियमितता की गई है। कैग ने वित्तीय वर्ष 2017 से लेकर 2019-20 में 17 वनमंडल अनूपपुर, पूर्वी छिंदवाड़ा, खरगोन, खंडवा, इंदौर, रतलाम, भोपाल, सिंगरौली, दक्षिण शहडोल, उत्तर सागर दक्षिण सागर, नौरादेही होशंगाबाद, ग्वालियर, छतरपुर उत्तर बैतूल और वन विकास निगम में क्षतिपूर्ति वनीकरण के लिए कैंपा फंड से 839.88 करोड़ के लगभग खर्च किए गए। कैंपा फंड से खर्च किए गए राशि का विस्तृत ऑडिट रिपोर्ट केवल 17 वन मंडलों में की। यानी कैग ने कुल 63 वन मंडलों में से केवल 17 वन मण्डलों में किए गए ऑडिट में 364.83 करोड़ रुपए की उपयोगिता पर सवाल खड़े किए हैं। गंभीर जनक पहलू यह है कि वनीकरण क्षतिपूर्ति के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद वर्ष 2017 और 2019 के बीच प्रदेश में वन घनत्व घटा और खुले वन आवरण क्षेत्र में 1.3% की वृद्धि हुई है। क्षतिपूर्ति वनीकरण के नाम पर हुए पौधारोपण के लिए स्थल के चयन से लेकर वृक्षारोपण तक में गड़बड़ी की गई। रोपित किए गए पौधों की जीवितता का प्रतिशत 75% होना चाहिए था। जबकि कैग ने अपने रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि वनीकरण क्षतिपूर्ति के नाम पर हुए पौधारोपण की जीवतता का प्रतिशत 6 से 60 फीसदी से भी कम पाए गए हैं।
वनीकरण के लिए त्रुटिपूर्ण स्थल का चयन
प्रतिपूरक वनीकरण के लिए अधिकारियों ने त्रुटिपूर्ण स्थल का चयन किया गया। प्रतिपूरक वृक्षारोपण के लिए अनूपपुर, सिंगरौली, होशंगाबाद और दक्षिण शहडोल मैं 18 विभिन्न स्थलों की 875 हेक्टेयर वन भूमि का चयन किया गया। प्रतिवेदन के अनुसार चयनित स्थलों में कैनोपी का घनत्व 40% से अधिक था। जबकि चयनित वृक्षारोपण स्थल की कैनोपी घनत्व 0.1 से 0.4 होनी चाहिए थी। अपने प्रतिवेदन में कैग ने यह भी उल्लेख किया है कि सिंगरौली वन मंडल में 16.40 करोड़ की लागत से आठ स्थानों पर वृक्षारोपण के लिए स्वीकृति दी गई थी। चयनित स्थान में या तो घने जंगल थे या अन्य योजनाओं के तहत वृक्षारोपण किया गया था। यानी 17 करोड़ से अधिक राशि का निष्फल व्यय किए गए। यानी राजस्व हानि हुई है।
लक्ष्य के विरुद्ध वृक्षारोपण में कमी
प्रतिवेदन में यह अभी कहा है कि ऑडिट टीम ने पाया कि तीन मंडलों में 5 का परियोजनाओं में 201.08 हेक्टयर के क्षेत्र में वृक्षारोपण के लिए डीपीआर तैयार किए गए थे। मानकों के अनुसार न्यूनतम 3,02,363 रुपए जाने थे जबकि वन मंडलों ने केवल 2 लाख 31 हजार 90 पौधे रोपे। यानी 71273 पौधों कम रोपे गए। यह महज एक उदाहरण है। लेखा परीक्षा ने पाया कि अनूपपुर उत्तर सागर और ग्वालियर वन मंडलों में प्रतिपूरक वनीकरण की पांच वृक्षारोपण स्थलों का 2010 11 से 2014-15 के बीच शुरू किया गया था। रोपे गए 2,79, 790 में से केवल 1 लाख 2 हजार 320 ही बच पाए।
कैम्पा के तहत अपात्र गतिविधियों पर व्यय
लेखा परीक्षा ने कैंपा के अभिलेखों में पाया कि 163.83 करोड़ की धनराशि विभिन्न गतिविधियों के लिए स्वीकृत की गई थी, जिसमें से 53.29 करोड़ की राशि अप्रैल 17 से मार्च 2020 की अवधि में अपात्र गतिविधियों पर खर्च कर दी गई। जबकि इस पर खर्च नहीं किया जाना था। कैग ने सरकार की उत्तर को अस्वीकार करते हुए कहा कि यह कैंपा फंड के संबंध में जारी किए गए दिशा- निर्देशों की अवहेलना है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में अनुभूति कार्यक्रम पर 5.88 करोड़, वन भवन निर्माण के लिए 20 करोड़, कृषि समृद्धि योजना पर 20 करोड़, रेंजर और राज्य वन सेवा के अधिकारियों के प्रशिक्षण पर 5.94 करोड़, वन स्टाफ के प्रशिक्षण पर 4.87 करोड़, और एस एफआरआई के अनुसंधान गतिविधि पर खर्च किए गए 4 करोड़ 59 लख रुपए को अनियमित बताया। यानी कैम्पा फंड में पदस्थ रहे पीसीसीएफ एमके सपरा और एबी गुप्ता ने अंधा बांटे रेवड़ी चिन्ह -चिन्ह कर देत,की तर्ज पर फंड वितरित किए। मौजूदा पीसीसीएफ कैम्पा महेंद्र सिंह धाकड़ भी इसी तर्ज पर फंड रिलीज करते आ रहे हैं।