MPWLC में 10 करोड़ का टेंडर घोटाला : नियम ताक पर, चहेती फर्मों को फायदा, कार्रवाई गायब

MPWLC tender scam: Rules flouted, favoured firms benefit by crores; learn how officials are committing fraud
भोपाल। MPWLC Scam in 10 crores मध्य प्रदेश वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन (MPWLC) में सड़क और साइनज के करीब 10 करोड़ रुपये के टेंडर को लेकर गंभीर गड़बड़ियों के आरोप लगे हैं। शिकायतें बताती हैं कि अधिकारियों ने तय नियमों की अनदेखी कर चहेती फर्मों को फायदा पहुँचाया और पात्रता की मूल शर्तें पूरी न करने के बावजूद उन्हें क्वालिफाई कर दिया।
टेंडर की पहली शर्त ही टूटी MPWLC Scam in 10 crores
जुलाई 2025 में जारी इस टेंडर में साफ लिखा था कि भाग लेने वाली फर्म मध्य प्रदेश पीडब्ल्यूडी में पंजीकृत होनी चाहिए। लेकिन कॉर्पोरेशन ने एवेन्यू ग्राफिक्स, सत्यम ग्राफिक्स और अबुल फैज जैसी फर्मों को भी क्वालिफाई कर लिया, जिनका रजिस्ट्रेशन उस वक्त नहीं था। हद तो यह कि एक फर्म ने तो टेंडर जारी होने के बाद आवेदन किया, जो कि नियमों के हिसाब से अमान्य है।
OEM सर्टिफिकेट के बिना भी क्वालिफाई MPWLC Scam in 10 crores
पड़ताल में यह भी सामने आया कि इन फर्मों के पास ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर (OEM) का इनकॉरपोरेशन सर्टिफिकेट तक नहीं था। बावजूद इसके उन्हें प्रजेंटेशन के लिए बुलाया गया और बाद में दस्तावेज़ लेकर खानापूर्ति कर दी गई।
प्रतिस्पर्धा खत्म, थ्री एम वेंडर बाहर
इस टेंडर में छह वेंडर शामिल हुए थे, जिनमें तीन थ्री एम इंडिया से और तीन ओराफिल से थे। लेकिन अधिकारियों ने एक पेपर के आधार पर थ्री एम इंडिया के सभी वेंडरों को बाहर कर दिया। जबकि उनके पास पीडब्ल्यूडी रजिस्ट्रेशन और सभी जरूरी दस्तावेज मौजूद थे। इससे प्रतिस्पर्धा घट गई और अनुमान लगाया जा रहा है कि टेंडर सामान्य से 20–25% कम दर पर मंजूर होने की बजाय केवल ढाई प्रतिशत कम दर पर खोला गया।
नियमों की अनदेखी, पारदर्शिता पर सवाल
जानकारों का कहना है कि टेक्निकल बिड खुलने के सिर्फ एक घंटे बाद ही फाइनेंशियल बिड भी खोल दी गई, जबकि नियमानुसार इसमें कम से कम 24 घंटे का अंतर होना चाहिए। इस प्रक्रिया से किसी भी वेंडर को आपत्ति दर्ज कराने का मौका ही नहीं मिला।
जवाबदेही से बचते अधिकारी
जब चीफ इंजीनियर जीपी मेहरा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि “हमने पीडब्ल्यूडी एनआईटी के अनुसार फर्मों को क्वालिफाई किया है, बाकी जानकारी अधीक्षण यंत्री से लीजिए।”
अधीक्षण यंत्री एसके जैन का कहना था कि “स्टैंडर्ड मानकों के हिसाब से कार्रवाई हुई है और रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने वाली फर्म को भी पात्र माना जाता है। शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी गई है।”
वहीं, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की एसीएस रश्मि अरुण शमी ने कहा, “मुझे जानकारी नहीं है, पता करती हूं।” एमडी अनुराग वर्मा से संप