April 24, 2025

भोपाल : बड़े तालाब पर रोपैक्स सेवा शुरू करने का नितिन गडकरी का प्रस्ताव

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Nitin Gadkari proposes to start Ro-Pax service on Bada Talab in Bhopal

भोपाल । केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अपने भोपाल दौरे के दौरान बड़े तालाब में रोपैक्स (रो-रो फेरी) सेवा शुरू करने का प्रस्ताव रखा। यह योजना मुंबई, गुजरात और ओडिशा जैसे शहरों की तर्ज पर तैयार की गई है, जहां पहले से ही रोपैक्स सेवा सफलतापूर्वक संचालित हो रही है। इस नई सेवा का उद्देश्य भोपाल के यातायात को सुगम बनाना, पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और शहर के पर्यटन को एक नई दिशा देना है।

रोपैक्स सेवा: एक क्रांतिकारी कदम

भोपाल के बड़े तालाब में प्रस्तावित रोपैक्स सेवा से भदभदा से बैरागढ़ तक का सफर बेहद आसान हो जाएगा। वर्तमान में यह दूरी सड़क मार्ग से तय करने में 30 मिनट से अधिक समय लेती है, जबकि रोपैक्स सेवा के माध्यम से यह यात्रा महज 5 से 10 मिनट में पूरी की जा सकेगी। इस परियोजना पर 15 से 20 करोड़ रुपये का निवेश करने का प्रस्ताव है। इससे सड़कों पर वाहनों की संख्या में कमी आएगी, जो यातायात के दबाव को कम करने में मदद करेगा।

परियोजना के प्रमुख लाभ:

1. यातायात का सुधार और समय की बचत: मौजूदा समय में भदभदा से बैरागढ़ तक सड़क मार्ग से यात्रा करने में लगभग 17 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। रोपैक्स सेवा शुरू होने के बाद यह दूरी तालाब के जरिए सीधा तय की जा सकेगी, जिससे यात्रियों का कीमती समय बचेगा।

2. पर्यावरण अनुकूल समाधान: इस सेवा से सड़क यातायात पर निर्भरता कम होगी, जिससे वाहनों द्वारा उत्पन्न ध्वनि और वायु प्रदूषण में कमी आएगी। साथ ही, डीजल और पेट्रोल के उपयोग में भी कमी आएगी, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

3. पर्यटन को मिलेगा प्रोत्साहन: बड़ा तालाब भोपाल का एक प्रमुख आकर्षण है, और रोपैक्स सेवा शुरू होने से इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटक न केवल स्थानीय सुंदरता का आनंद ले सकेंगे, बल्कि तालाब के माध्यम से यात्रा का एक नया अनुभव भी प्राप्त करेंगे।

4. आर्थिक और सामाजिक विकास: इस परियोजना से न केवल स्थानीय निवासियों को लाभ मिलेगा, बल्कि नए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। इसके अलावा, स्थानीय व्यापार और होटल उद्योग में भी वृद्धि होने की संभावना है।

अन्य शहरों के अनुभव: एक सीख

गडकरी ने बताया कि मुंबई, ओडिशा और गुजरात में पहले से ही रोपैक्स सेवा सफलतापूर्वक चलाई जा रही है। इन शहरों में इस सेवा ने न केवल यातायात का दबाव कम किया है, बल्कि लोगों को जल परिवहन के प्रति जागरूक भी किया है। इन स्थानों पर रोपैक्स सेवा के माध्यम से न केवल स्थानीय यातायात का संचालन आसान हुआ है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी इसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं। भोपाल में इस सेवा को शुरू करने से ऐसे ही लाभ की अपेक्षा की जा रही है।

परियोजना की प्रमुख चुनौतियाँ

हालांकि रोपैक्स सेवा के कई फायदे हैं, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं:

तालाब के जल स्तर का प्रबंधन: रोपैक्स सेवा को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए बड़े तालाब का जल स्तर पर्याप्त होना आवश्यक है। सूखे के मौसम में तालाब का जल स्तर कम होने पर सेवा में रुकावट आ सकती है।

पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन: जलमार्ग में चलने वाली फेरी सेवाओं से मछलियों और अन्य जलजीवों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसका गहन अध्ययन आवश्यक है ताकि पर्यावरण संतुलन बनाए रखा जा सके।

सुरक्षा व्यवस्था: यात्रियों और वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फेरी सेवाओं के संचालन में उच्चतम सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा।

अधिकारियों पर तंज और काम की गति

अपने भाषण में नितिन गडकरी ने परियोजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने में लगने वाले समय पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि डीपीआर तैयार करने वाले अधिकारियों को पद्मश्री और पद्म विभूषण जैसे सम्मान दिए जाने चाहिए क्योंकि उनकी धीमी गति काम में देरी का कारण बनती है। उनका इशारा इस ओर था कि अगर योजनाओं को समय पर लागू किया जाए, तो लोगों को जल्द ही इसका लाभ मिल सकता है।

रोपैक्स सेवा क्या है?

रोपैक्स (रो-ऑन/रो-ऑफ) एक प्रकार की फेरी सेवा है जिसमें यात्रियों के साथ-साथ वाहन भी यात्रा कर सकते हैं। यह सेवा उन क्षेत्रों में विशेष रूप से उपयोगी होती है जहां जलमार्ग के जरिए यातायात का संचालन संभव है। वाहन सवार यात्री अपनी गाड़ी के साथ फेरी पर सवार हो सकते हैं और दूसरे किनारे पर उतर सकते हैं, जिससे सड़क यात्रा की तुलना में समय और ईंधन की बचत होती है।

भोपाल में रोपैक्स की संभावनाएँ

भोपाल के बड़े तालाब में रोपैक्स सेवा शुरू होने से शहर की यातायात व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आ सकते हैं। यह सेवा न केवल सड़क यातायात को कम करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अलावा, यह भोपाल को एक स्मार्ट और आधुनिक शहर के रूप में विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।

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