April 24, 2025

जेडीए की मिलीभगत से भूमि अधिसूचित कर एनओसी जारी, सीएम-पीएस को शिकायत

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NOC issued after notifying land with the connivance of JDA, complaint to CM-PS

जितेंद्र श्रीवास्तव ( विशेष संवाददाता )
जबलपुर ! जबलपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के सीईओ दीपक वैद्य और भू-अर्जन अधिकारी अमित धुर्वे पर गंभीर आरोप लगे हैं कि वे कुछ भूमि मालिकों को अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से ग्रीन बेल्ट की भूमि को अधिसूचित कर रहे हैं और एनओसी (अनापत्ति प्रमाण-पत्र) जारी कर रहे हैं। इस मामले की शिकायत जबलपुर निवासी जितेंद्र श्रीवास्तव ने संभागीय कमिश्नर अभय वर्मा, ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा), प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण नीरज मंडलोई, जबलपुर कलेक्टर और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को भेजी है।

आरोपों का मूल

शिकायत के अनुसार, यह मामला तब सामने आया जब पूर्व सीईओ प्रशांत श्रीवास्तव के कार्यकाल में ग्रीन बेल्ट की भूमि का खसरा अधिसूचित कर, स्कीम नम्बर 11 फेज 2 के तहत वर्ष 2020-21 में राजपत्र में प्रकाशित किया गया था। इस अधिसूचना में खसरा नम्बर 86 और 97 को अधिसूचित भूमि के रूप में शामिल नहीं किया गया था। लेकिन वर्तमान सीईओ दीपक वैद्य पर आरोप है कि उन्होंने उक्त खसरा नम्बर 86 और 97 को अधिसूचित कर एनओसी जारी कर दी, वह भी बिना बोर्ड की स्वीकृति और अनुमोदन के।

टीआईटी एक्ट के तहत अधिग्रहीत भूमि

यह खसरा नम्बर 86 और 97 ग्राम लक्ष्मीपुर की भूमि जेडीए के टीआईटी एक्ट के तहत अधिग्रहीत है। अधिग्रहीत भूमि के लिए टीआईटी एक्ट के नियमों के अनुसार, भूमि मालिकों को 20 प्रतिशत मुआवजा दिया जाना चाहिए। लेकिन आरोप है कि वर्तमान सीईओ ने भूमि मालिकों से मिलीभगत कर एनओसी जारी की, जिससे प्राधिकरण को गंभीर वित्तीय नुकसान हो सकता है।

अधिकारियों का विरोध

इस मामले में जेडीए के अन्य अधिकारी, जैसे पटवारी, आरआई, सहायक भू-अर्जन अधिकारी, भू-अर्जन अधिकारी, इस अधिसूचना के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि बिना उचित प्रक्रिया के इस प्रकार की अधिसूचना जारी करना अनैतिक है। शिकायत में यह भी आरोप है कि सीईओ दीपक वैद्य ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर दबाव डालकर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। हालांकि, भू-अर्जन अधिकारी और ज्वाइंट कलेक्टर पूजा तिवारी ने किसी भी प्रकार के दबाव में आकर नोटशीट या फाइल पर कोई टिप्पणी नहीं की है, जिससे उनका तटस्थता का संकेत मिलता है।

क्या है मामला

यह मामला प्रशासनिक भ्रष्टाचार और मिलीभगत के गंभीर आरोपों का प्रतीक है, जहां सरकारी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग कर निजी लाभ के लिए भूमि को अधिसूचित कर एनओसी जारी की जा रही है। इस प्रकरण की जांच और सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे।

ऐसी क्या मजबूरी है सरकार की??

जबलपुर विकास प्राधिकरण के CEO दीपक वैध को इतने सारे भ्रष्टाचार के बाद भी पद से निलंबित नहीं किया जा रहा है.
ऐसा लगता है इसमे कुछ बड़े अधिकारी और नेता भी शामिल है इसलिए कार्यवाही नहीं हो रही है

अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री और अन्य उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं।

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