अब अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से होंगी कुमाऊं विश्वविद्यालय में नियुक्तियां
नैनीताल.
कुमाऊं विश्वविद्यालय में शिक्षणेत्तर पदों पर अब उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से नियुक्तियां होंगी। विश्वविद्यालय की ओर से आयोग को प्रस्ताव भेजा गया है। साथ ही आयोग चेयरमैन व कुलपति के बीच भी इस मामले पर बातचीत हो चुकी है। माना जा रहा है कि परीक्षण के बाद आयोग शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के रिक्त पदों पर नियुक्तियों को लेकर विज्ञापन जारी करेगा। यदि आयोग स्तर से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो जाती है तो विश्वविद्यालय के स्तर पर यह पहली बार होगा कि नियुक्तियां सरकार की भर्ती एजेंसी से होंगी।
लंबे समय से विवादों में थी भर्तियां
कुमाऊं विश्वविद्यालय में शिक्षणेत्तर कर्मचारी के पदों पर नियुक्तियां लंबे समय से विवादों में रही हैं। नियुक्तियों में भाई- भतीजावाद के आरोप भी लगे हैं। नियुक्ति को लेकर बनी कमेटियों के सदस्यों को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। विश्वविद्यालय में शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के पद रिक्त होने से कामकाज प्रभावित हो रहा है।
यहां तक कि दक्ष कर्मचारियों की कमी विश्वविद्यालय की विकास योजनाओं सहित अन्य कामकाज के घोषित लक्ष्यों को पाने में रोड़ा बनी है। अब कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत ने इस मामले में आयोग की ओर से पारदर्शी व विवाद रहित नियुक्ति प्रक्रिया की पहल की है। कुलपति के निर्देश पर विश्वविद्यालय की ओर से शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के रिक्त पदों पर नियुक्तियों का प्रस्ताव अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को भेजा गया है।
58 पद हैं खाली
सोमवार को आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया व कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत के बीच इस मामले को लेकर चर्चा हुई। आयोग अध्यक्ष ने भेजे गए प्रस्ताव का परीक्षण कर कार्रवाई सुनिश्चित करने का भरोसा दिया। माना जा रहा है कि जल्द आयोग की ओर से नियुक्तियों को लेकर विज्ञापन जारी किया जाएगा। कुमाऊं विश्वविद्यालय में शिक्षणेत्तर सहित तकनीकी कर्मचारियों के 58 पद रिक्त हैं।
उत्तराखंड शिक्षणेत्तर कर्मचारी महासंघ भी रिक्त पदों पर नियुक्ति की मांग लंबे समय से कर रहा है। प्राध्यापक पदों पर नियुक्ति को होमवर्क कुमाऊं विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के रिक्त पदों पर विभागों के स्तर पर होम वर्क किया जा रहा है। कुलपति प्रो. रावत ने साफ किया है कि आधे अधूरे प्रस्तावों को आधार बनाकर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में पारदर्शिता व मितव्ययता के सिद्धांत का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।