इंदौर सराफा चौपाटी पर अब सिर्फ पुरानी दुकानों को ही मिलेगी अनुमति
Rahul Gandhi raised demand for discussion on NEET in Lok Sabha, ruckus in Rajya Sabha also
इंदौर
सराफा चाट-चौपाटी में दुकानों की संख्या कम की जाएगी। देश दुनिया में खान-पान की गली के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी इस चौपाटी में सिर्फ पुरातन समय से रही दुकानों को ही अनुमति दी जाएगी। अग्नि सुरक्षा के लिए बनी कमेटी की रिपोर्ट और सोने-चांदी व्यापारियों की मांग के बाद नगर निगम इस बारे में प्रस्ताव तैयार कर रहा है। चुनाव से पहले नगर निगम की कमेटी इस बारे में रिपोर्ट सौंप चुकी है।
आसार है कि आने वाली महापौर परिषद में रिपोर्ट की सिफारिशों पर मुहर भी लग जाए। सालभर पहले इंदौर चांदी-सोना-जवाहरात व्यापारियों ने सराफा चाट चौपाटी को हटाने की मांग की थी। जौहरियों ने कहा था कि चाट-चौपाटी के कारण सराफा का मूल व्यापार प्रभावित हो रहा है।
साथ ही बड़े पैमाने पर गैस सिलिंडरों का उपयोग होने से अग्निकांड का खतरा भी बना रहता है। बीते समय हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट के बाद सराफा व्यापारियों ने इस बारे में आवाज फिर से बुलंद की।
इसके बाद नगर निगम ने एक समिति बनाकर अग्निसुरक्षा पर सराफा चौपाटी का जायजा लिया। इसमें सामने आया कि आपदा की स्थिति में संकरी गली में फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस के जाने में भी परेशानी होगी। आग लगने की स्थिति में संकरी गलियों और मार्केट में अरबों रुपये की कीमती धातुओं के कारोबार को भी नुकसान पहुंचेगा।
पहले जैसी बने चौपाटी
सराफा व्यापारी एसोसिएशन ने मांग की थी कि मौजूदा चौपाटी में करीब 300 दुकानें खुल चुकी हैं, जबकि पुराने दौर में यहां 50 से 60 दुकानें थी। चौपाटी पर मूलत: मिठाइयां घर से बनाकर लाते थे और बाजार बंद होने के बाद ओटलों पर दुकान लगाकर बेची जाती थी। ऐसे में न गैस सिलिंडर का प्रयोग होता था न आग का। इससे खतरा नहीं था।
धीरे-धीरे चाट-पकौड़ों से लेकर चायनीज, पिज्जा से लेकर पान और तमाम दुकानें यहां लगने लगी। सराफा व्यापारी एसो. के मंत्री अविनाश शास्त्री के अनुसार पुराने स्वरूप की चौपाटी से हमें परेशानी नहीं है। अग्निशमन की बेहतर व्यवस्था के लिए यह जरूरी है। हमने कारीगरों को भी पीएनजी पर शिफ्ट कर लिया है ऐसे में चाट चौपाटी में भी बदलाव जरूरी है।
यह है प्रस्ताव
सूत्रों के अनुसार निगम ने प्रस्ताव तैयार किया है कि दशकों पहले से चौपाटी पर सजने वाली मिठाई की मूल दुकानों को जो 60 से 70 थी उन्हें रखा जाएगा। इसके लिए भी ओटलों पर उनकी जगह सीमित करते हुए उन्हें नए आकार में ढाला जाएगा। जिससे कि हादसे के समय फायर ब्रिगेड या एंबुलेंस के गुजरने और भीड़ के निकलने के लिए जगह बची रहे। इसे एमआइसी से मंजूरी के बाद अमल में लाया जाएगा।