वन विभाग के दागी अफसरों पर मेहरबान है शीर्ष अफसर
The top officer is kind to the tainted officers of the forest department
- गंभीर मामले में लिप्त होते जा रहे हैं सेवानिवृत्त, नहीं रोके जा रहे हैं उनके देयक
भोपाल। जंगल महकमे के शीर्ष अधिकारी कुछ चहेते अफसरों को बचाने के लिए पूरी ताकत लगाते आ रहें है। शीर्ष अधिकारी गंभीर वित्तीय मामले में घिरे आईएफएस अधिकारियों बचाने के लिए आरोप पत्र को जारी करने के बजाय शो कॉज नोटिस जारी कर रहे हैं। जिनके खिलाफ आरोप पत्र जारी भी कर दिए गए हैं, उनके विरुद्ध आगे की कार्यवाही पेंडिंग कर दी जा रही है। विभाग के शीर्ष अधिकारियों की ढुलमुल रवैया के कारण आरोपित अधिकारी धीरे-धीरे रिटायर भी होते जा रहें है। विभाग सेवानिवृत्त अधिकारियों पर सद्भावना दिखाते हुए पेंशन भी स्वीकृत कर रहा है. मसलन, एम काली दुर्रई, देवेंद्र कुमार पालीवाल, प्रभात कुमार वर्मा जांच कार्यवाही के लंबित रहते हुए सेवानिवृत्त हो गए और अब उनके समस्त देयकों के भुगतान करने पर उदारता बरती जा रही है। दागी अफसरों को बचाने के लिए शीर्ष अधिकारी क्यों उदारता बरत रहे हैं, शोध का विषय है।
इन अफसरों को अभयदान देने के प्रयास
आरपी राय: खंडवा सर्किल में पदस्थ सीसीएफ आर पी राय के खिलाफ 10 जून 2019 को आरोप पत्र जारी हुआ था। आरोप था कि वन मंडल इंदौर के अंतर्गत वन परीक्षेत्र चोरल में बड़े पैमाने पर अवैध कटाई हुई थी। जांच के दौरान राय अपने दायित्वों का निर्वहन करने में असफल रहे। इसके कारण 6 लाख 93 हजार 361 रुपए की राजस्व हानि हुई थी। अभी इनसे वसूली नहीं हुई है। मामला विभाग में ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। राय अगले मई महीने सेवानिवृत्त हो गए। यही नहीं, विभागीय मंत्री की विशेष कृपा होने के कारण इनसे छह लाख 93 हजार की वसूली नहीं हो पाई।** एपीएस सेंगर: बालाघाट सर्किल में पदस्थ सीसीएफ एपीएस सेंगर के खिलाफ 24 अगस्त 2022 को आरोप पत्र जारी हुआ। मामला तब का है, जब वे टीकमगढ़ के डीएफओ हुआ करते थे। इन पर आरोप है कि भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं किया। खरीदी में गड़बड़ी हुई। इनके खिलाफ आरोपपत्र भी बन गया परंतु प्रशासन-1 शाखा ने उदारता दिखाते हुए शो कॉज नोटिस जारी कर उन्हें बालाघाट सर्किल में प्राइम पोस्टिंग दे दी गई है। दुर्भाग्य जनक पहलू यह है कि विभाग ने इनके खिलाफ कार्रवाई करने की अद्यतन स्थिति से शासन को अवगत नहीं कराया है। यही नहीं, बल्कि सेंगर को बालाघाट सर्किल की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई।
एम काली दुर्रई: 1996 बैच के आईएफएस अधिकारी एम काली दुर्रई प्रतिनियुक्ति पर हॉर्टिकल्चर में पदस्थ रहे। यहां पदस्थ रहते हुए दुर्रई ने किसानों की सब्सिडी देने के मामले में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की। इसके चलते उन्हें कमिश्नर हॉर्टिकल्चर पद से हटाया गया। मूल विभाग वन विभाग में लौटते ही उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई। प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के जांच अफसर सीके पाटिल को जांच के लिए 2 साल का पर्याप्त समय मिलने के बाद भी विभागीय जांच कंप्लीट नहीं कर पाए और वे रिटायर हो गए। राजनीतिक दबाव के चलते विभाग के अफसर उनके खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही नहीं कर पाए। सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले देयकों का भुगतान भी उदारता से किया जा रहा है।
डीके पालीवाल: सीसीएफ शिवपुरी के पद से रिटायर हुए हैं। इनके पेंशन के भुगतान पर आपत्ति की गई है, क्योंकि धार और फिर गुना डीएफओ पद रहते हुए आर्थिक गड़बड़ी कर शासन को नुकसान पहुंचाया है। धार में पदस्थ रहते हुए पालीवाल ने एक रेंजर का समयमान वेतनमान का फिक्सेशन अधिक कर दिया। जब मामला संज्ञान में आया, तब तक पालीवाल वहां से स्थानांतरित हो गए थे। विभाग ने अतिरिक्त भुगतान के गए राशि वसूलने के नोटिस सेवानिवृत्त रेंजर को भेजा तो कोर्ट ने उस के पक्ष में फैसला देते हुए फिक्सेशन करने वाले अफसर पालीवाल से ₹300000 की वसूली करने के आदेश दिए। इसी प्रकार गुना में कैंपा फंड की राशि से गड़बड़झाला करने का भी आरोप है। इनके खिलाफ पूर्व एसीएस वन अशोक वर्णवाल ने आरोप पत्र जारी करने के निर्देश दिए थे। वर्णवाल के निर्देश पर विभाग ने उनके खिलाफ आरोप पत्र तैयार किया किंतु बड़े अफसरों के चहेते होने की वजह से आरोप-पत्र को शो-कॉज नोटिस परिवर्तित कर दिया गया है। बजट शाखा ने उनके पेंशन जारी करने पर आपत्ति लगाई है किंतु शीर्ष अफसरों ने शो-कॉज नोटिस जारी कर उनके पेंशन और समस्त देयकों के भुगतान के रास्ते प्रशस्त कर दिए।
प्रभात कुमार वर्मा : 2001 बैच के आईएफएस अधिकारी प्रभात कुमार वर्मा जनवरी में सेवानिवृत्त हुए हैं। वे जब 2020 में वन विकास निगम में पदस्थ थे तब आर्थिक गड़बड़ियों के चलते उन्हें आरोप पत्र जारी किया गया। यही नहीं, विभाग ने 4 जनवरी 2022 को वन विकास निगम के एमडी को पत्र लिखकर गड़बड़ियों से संबंधित प्रचलित नस्ती उपलब्ध कराने के निर्देश दिए किंतु नस्ती उपलब्ध नहीं कराने के कारण उनके मामले में निर्णय नहीं हो सका। वे सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। जांच लंबित रहते हुए उनके देयकों के भुगतान की प्रक्रिया भी शुरू है। वर्मा पर आरोप यह भी है कि वे अपने मातहत अधिकारियों के खिलाफ दुर्भावना से कार्रवाई करते हैं। इनके शिकार खंडवा डीएफओ देवांशु शेखर, सुश्री नेहा श्रीवास्तव, अधर गुप्ता और एसडीओ विद्या भूषण मिश्रा हो चुके हैं. इनके द्वारा दुर्भावना से कार्रवाई करने की वजह से मिश्रा आईएफएस की दौड़ में पीछे रह गए हैं। दुर्भावना से की गई कार्रवाई से संबंधित दस्तावेज भी बड़े अधिकारियों को सौंपे हैं। उन पर लघु वनोपज संघ के अंतर्गत अधोसंरचना विकास के मद में भी गड़बड़ी करने के आरोप हैं।
बृजेंद्र श्रीवास्तव: छिंदवाड़ा पूर्व में पदस्थ डीएफओ बृजेंद्र श्रीवास्तव के खिलाफ 21 जुलाई 2022 को नियम दस के तहत आरोप पत्र जारी किया गया था। इन पर आरोप है कि स्थानांतरण नीति के विरुद्ध जाकर कर्मचारियों के तबादले किए। आरोप पत्र का जवाब अभी तक नहीं दिया गया है। इनका तबादला वन मंत्री शाह की सिफारिश पर ग्वालियर से पूर्व छिंदवाड़ा वन मंडल जैसे महत्वपूर्ण वन मंडल में कर दिया गया है।
भारत सिंह बघेल: भोपाल मुख्यालय में पदस्थ भारत सिंह बघेल को आरोप पत्र 22 मई 2006 को जारी किया गया था। बघेल ने अपने प्रभाव अवधि के दौरान पूर्व लांजी क्षेत्र में प्रभार अवधि में राहत कार्य अंतर्गत कार्यों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की थी। इनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा कर मामला संघ लोक सेवा आयोग को भेजा गया है। शासन को संघ लोक सेवा आयोग के उत्तर की अपेक्षा है।
नवीन गर्ग: बहुउद्देशीय परियोजना के डूब क्षेत्र में आई वन भूमि के बदले में गैर वनभूमि और बिगड़े वन में पौधारोपण कराने में करोड़ों के वनीकरण क्षतिपूर्ति घोटाले में शामिल आईएफएस नवीन गर्ग को डीएफओ दक्षिण सागर (सामान्य) वनमंडल से मप्र ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है। यही नहीं, ट्रांसफर के बाद भी उन्हें दक्षिण सागर वन मंडल से कई महीनों तक हटाया नहीं गया था। दिलचस्प पहलू यह है कि वन मंत्री विजय शाह ने बीते विधानसभा सत्र में दक्षिण सागर डीएफओ रहे नवीन गर्ग को निलंबित करके ईओडब्ल्यू से जांच कराने की घोषणा की थी। सदन में की गई घोषणा हवा हो गई. उनकी पोस्टिंग इको पर्यटन बोर्ड में है किंतु वह वन्य प्राणी शाखा में काम कर रहे हैं। 20 करोड़ गड़बड़ झाला में फंसे नवीन कुमार अब मैनेजमेंट कोटे से प्राइम पोस्टिंग के लिए मंत्री और उनके खास सिपहसालार की गणेश परिक्रमा कर रहे हैं।
प्रशांत कुमार: खंडवा में डीएफओ के पद पर पदस्थ प्रशांत कुमार को आरोप पत्र 4 सितंबर 2020 को जारी किया गया था। प्रशांत कुमार डीएफओ पश्चिम बैतूल वन मंडल में अनियमितता के मामले में जांच हुई थी जिसमें उन्हें दोषी पाया गया। विभाग ने एक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोके जाने का दंड आरोपित कर अंतिम निर्णय के लिए संघ लोक सेवा आयोग भेजा है। आयोग से अभी तक अभिमत नहीं आ पाया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस गड़बड़ी में तत्कालीन उप वन मंडल अधिकारी आईएफएस गडरिया संलिप्त रहे हैं। वे भी सेवानिवृत हो गए हैं।
दागी अफसरों की बानगी
अफसर ,सत्यानंद
आरोप , आयुक्त उद्यानिकी के पद पर रहते हुए किसानों के सब्सिडी में गड़बड़झाला
अफसर ,शशि मलिक
आरोप , आर एस सिकरवार के विरुद्ध विभागीय जांच में जांचकर्ता की हैसियत से त्रुटिपूर्ण जांच करने का कृत्य.
अफसर , चंद्रशेखर सिंह
आरोप ,वन मंडल अधिकारी टीकमगढ़ एवं रीवा डीएफओ की पदस्थापना अवधि में की गई अनियमितताओं हेतु अनुशासनात्मक कार्यवाही. वर्तमान में सेवानिवृत हो गए हैं पर करवाई नहीं हुई.
अफसर , एमएस भगडिया
आरोप , उमरिया वन मंडल में पदस्थी दौरान प्रबंध संचालक जिला यूनियन उमरिया की हैसियत से आर्थिक अनियमितताएं की गई.
अफसर , अनुराग कुमार
आरोप , छतरपुर में डीएफओ के पद का दुरुपयोग कर 3 लाख 12 हजार 644 रुपए का शासकीय आवास में अनियमित व्यय किया.
अफसर , मोहन लाल मीणा
आरोप ,सिंह परियोजना ग्वालियर में पदस्थी के दौरान जप्तशुदा वाहनों को छोड़ने संबंधी अनियमितता.