रूठे कांग्रेसियों को मनाने के लिए राजनीति के चाणक्य ने संभाला मोर्चा।
Political strategist took charge to appease the disgruntled Congress members
Political strategist took charge to appease the disgruntled Congress members
फाइल फोटो
• टिकट की चाह रखने वालों के विरोध का हलाहल विष पीकर कार्यकर्ताओं में फूकेंगे नई ऊर्जा।
• बड़ा सवाल-कार्यकर्ताओं की बुलंद बगावत और विरोध कैसे थमेगा, इसके लिए करें इंतजार।
• नाराज दावेदारों के लिए एकजुटता से भाजपा को ईवीएम पर फिर उठाया सवाल, के लक्ष्य पाने का दिया संदेश।
उदित नारायण
भोपाल। विधान सभा चुनाव 2023: दिग्विजय सिंह ने कहा कि 90 फीसदी टिकट सर्वे के आधार पर बटे हैं, जिन्होंने दिल्ली और भोपाल एक किया, उन्हें निराशा मिली। टिकट वितरण में थोड़ी बहुत गड़बड़ी स्वाभाविक है, लेकिन नाराज कार्यकर्ता भरोसा रखें, सारे मतभेद भुलाकर सब साथ मिलकर कांग्रेस की सरकार बनाने में सहयोग करें। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने 230 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। दो चरणों में सूची जारी होने के बाद एक प्रत्याशी के लिए तीसरी सूची 23 अक्टूबर को भी आ गई। बैतूल जिले की आमला से मनोज साल्वे को टिकट मिल गया है। अभी यह सीट निशा बांगरे के लिए होल्ड पर रखी गई थी। अब टिकट वितरण की प्रकि्रया पूरी हो गई। एक ओर कांग्रेस नेतृत्व जहां आत्मविश्वास से लबरेज है, वहीं कुछ सीटों पर घोषित प्रत्याशियों का विरोध भी शुरू हो गया है। चुनाव पूर्व पार्टी में उपजे अंतर्विरोधों से निपटने की जिम्मेदारी इस बार भी राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को दी गई है। बिना किसी देरी के सिंह रूठे नेताओं को मनाने और डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। बता दें लगभग 25 से अधिक सीटों पर विरोध की ज्वाला धधक रही है, जिस पर काबू पाना कांग्रेस की गले की फांस बन गई है। देखना यह है कि चाणक्य की राजनीति इन सीटों पर कैसे काम आती है?
सरकार बनने के बाद नाराज उम्मीदवारों के साथ न्याय किया जाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने सोमवार को कहा कि चार अलग-अलग कंपनियों द्वारा सर्वे कराया गया था। पार्टी ने 90 फीसदी टिकट सर्वे के आधार पर दिए हैं। जिन्होंने दिल्ली-भोपाल एक किया उन्हें टिकट नहीं मिला है। टिकट वितरण में थोड़ी बहुत गड़बड़ी स्वाभाविक है, लेकिन नाराज कार्यकर्ता भरोसा रखें, सारे मतभेद भुलाकर सब साथ मिलकर कांग्रेस की सरकार बनाने में सहयोग करें। पूर्व मुख्यमंत्री ने नाराज नेताओं से अपील करते हुए कहा कि जिसे टिकट मिला उसके लिए काम करें। उन्होंने कहा कि मुझे और रणदीप सुरेजवाला को नाराज नेताओं को समझाने की जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ पर हम प्रेशर नहीं डालना चाहते हैं। जो भी नाराज हैं, हम उनसे बात करेंगे। सरकार बनने के बाद नाराज उम्मीदवारों के साथ न्याय किया जाएगा। उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे।
उम्मीदवारों का चयन करना सबसे खराब काम
दिग्विजय सिंह ने टिकट वितरण प्रक्रिया को लेकर कहा कि सबसे खराब काम उम्मीदवारों का चयन करना है। उन्होंने कहा कि 1985 में मुझे पहली बार प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, तब से इस प्रक्रिया से जुड़ा हूं। प्रत्याशियों के चयन में इस बार मेरे करियर का सबसे पारदर्शी तरीका अपनाया गया है। असल में दावेदार 4 हजार थे और सब आकर कहते हैं कि मैं 25 हजार से जीतूंगा, लेकिन सबको तो टिकट नहीं दे सकते। ऐसे में उम्मीदवारों का नाराज होना स्वभाविक है।