February 24, 2025

देश में पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए खर्च किए 3,623 करोड़ रुपये: केंद्र सरकार

0

नई दिल्ली
देश की केंद्र सरकार ने 2018 से दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली प्रबंधन पर 3,623.45 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में यह जानकारी दी। पंजाब को सबसे अधिक 1,681.45 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसके बाद हरियाणा को 1,081.71 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

निचले सदन में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश को 763.67 करोड़ रुपये, दिल्ली को 6.05 करोड़ रुपये और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) को 83.35 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। केंद्रीय मंत्री ने निचले सदन को बताया कि इस राशि का उपयोग पराली प्रबंधन मशीनरी को सब्सिडी देने और पराली जलाने पर रोक लगाने और सस्टेनेबल प्रैक्टिस को बढ़ावा देने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित करने के लिए किया गया है।

उन्होंने कहा कि तीन लाख से अधिक मशीनें वितरित की गई हैं, जिनमें 4,500 बेलर और रेक शामिल हैं। सरकार ने प्लांट की क्षमता के आधार पर पेलेटाइजेशन (फसल अवशेषों को जैव-कोयले में परिवर्तित करना) प्लांट के लिए 1.4 करोड़ रुपये और टॉरफिकेशन प्लांट के लिए 2.8 करोड़ रुपये तक देने की जरूरत को समझा है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब तक ऐसे प्लांट के लिए 17 आवेदनों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 15 से सालाना 2.70 लाख टन धान के भूसे को संसाधित करने की उम्मीद है। फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी की खरीद को समर्थन देने और दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना को लेकर कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 2018 में एक योजना भी शुरू की थी।

2023 में, मंत्रालय ने फसल अवशेष/धान के भूसे की सप्लाई चेन स्थापित करने के लिए सहयोग बढ़ाने के लिए योजना के दिशा-निर्देशों को संशोधित किया, जिससे मशीनरी और उपकरणों की पूंजीगत लागत के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्य प्राधिकरणों और इसरो, आईसीएआर और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) जैसी एजेंसियों के साथ मिलकर सरकार ने फसल अवशेष जलाने की समस्या से निपटने के लिए एक कार्य योजना शुरू की है।

खेतों में सीधे फसल अवशेषों का प्रबंधन करने के लिए सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनरी आवंटित की है, जो धान के भूसे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक है। सरकार ने कंबाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) के उपयोग को भी अनिवार्य कर दिया है, जो भूसे को काटकर खेतों में समान रूप से फैला देता है, जिससे जलाने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। इसके अतिरिक्त, आईएआरआई द्वारा विकसित बायो-डीकंपोजर के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाता है ताकि धान के भूसे को प्राकृतिक रूप से विघटित किया जा सके, जिससे यह एक मूल्यवान फर्टिलाइजर में बदला जा सके।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

न्यूज़

slot server thailand super gacor

spaceman slot gacor

slot gacor 777

slot gacor

Nexus Slot Engine

bonus new member

olympus

situs slot bet 200

slot gacor

slot qris

link alternatif ceriabet

slot kamboja

slot 10 ribu

https://mediatamanews.com/

slot88 resmi

slot777

https://sandcastlefunco.com/

slot bet 100

situs judi bola

slot depo 10k

slot88

slot 777

spaceman slot pragmatic

slot bonus

slot gacor deposit pulsa

rtp slot pragmatic tertinggi hari ini

slot mahjong gacor

slot deposit 5000 tanpa potongan