November 21, 2024

विकास के नये आयाम गढ़ते सिंधिया

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53वें जन्म दिवस पर विशेष
देश का दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में एक ऐसा नेता है जो लोगों के दिलों पर राज करता है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया राजनीति का एक ऐसा ही चमकता चेहरा है, जो कभी भुलाए भी न भूले। हंसता-मुस्कराता चेहरा, बातचीत का विनम्र लहजा और अंदाज ऐसा कि जो भी एक बार मिलता है वह उनका मुरीद हो जाता है। अजनबी भी अपनेपन का एहसास करता है। क्योंकि उनका राजनीतिक जीवन यह साबित कराता है कि वह जनसेवा के लिए समर्पित हैं। वे उन लोगों के दिलो-दिमाग में भी बसते हैं, जो उन्हें कभी व्यक्तिगत रूप से मिले भी नहीं हैं। अजनबी भी उनके बारे में गर्मजोशी से बात करते हैं और परिचित उनका जिक्र आदर से करते हैं। आज उनका 53वां जन्म दिवस हैं। इस खास मौके पर जानते हैं व्यक्तित्व और कृतित्व से जुड़े अनेक पहलू और 53 बड़ी उपलब्धियॉ, जिन्होंने बदली, गॉव, शहर, प्रदेश और देश की तस्वीर।

डॉ. केशव पाण्डेय अतिथि संपादक

सियासी नजरिए से देखा जाए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले पॉंच साल में काफी महत्वपूर्ण रहे हैं। प्रदेश में किसी राजघराने का सबसे ज्यादा प्रभाव रहा है तो वह है ग्वालियर का सिंधिया परिवार। इसी परिवार की तीसरी पीढ़ी के ज्योतिरादित्य मध्य प्रदेश के सबसे बड़े राजनेताओं में से एक तो हैं ही, केंद्र्र में भी उनका रुतबा दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि उन्होंनें अपनी अलग पहचान स्थापित की और जो भी पद मिला उसकी गरिमा को बढ़ाया। इसके पीछे उनका कठोर परिश्रम, स्व-अनुशासन, परोपकार का भाव, करुणा से ओत-प्रोत व्यक्तित्व और राग-द्वेष के बिना हर तबके की भलाई के लिए तेजी से कार्य करने की विशिष्ट शैली उनकी पहचान बन गई। इसी कारण उनके हर कार्यकाल यादगार बन गए। उन्होंने विकास के नये आयाम गढ़े। कारण स्पष्ट है कि ज्योतिरादित्य स्वयं अध्ययनशील, मननशील और कर्मशील होने की वजह से अपने हर संकल्प को आसानी से पूरा कर लेते हैं।
2002 में पहली बार गुना से चुनाव जीतकर संसद की देहरी पर कदम रखा।…फिर लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर के ऐसे पुजारी बने कि जनसेवा के मंत्र को आत्मसात कर लिया। वे विकास के नये रोल मॉडल बनकर उभरे।
ग्वालियर-चंबल अंचल के लिए उनके विकास के विजन को इस तरह भी समझा जा सकता है कि एक बार उनके पिता “माधवराव सिंधिया“ ने उनसे कहा था कि तुम अपनी जिंदगी में कुछ भी करो.. लेकिन अंचल के लिए तुम्हे योगदान करना होगा। चाहे तुम व्यवसाय करो या समाज सेवा…तय तुम्हे करना है! पिता की नसीहत और प्रेरणा का ऐसा असर हुआ है कि जब 2008 में पहली बार संचार और सूचना तकनीकी मंत्री बने तो उन्होंने विकास की ललक की झलक को दिखा दिया। केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री बनने के बाद डाक विभाग का नवीनीकरण और आधुनिकीकरण कर डाकघरों का कायाकल्प किया। प्रोजेक्ट ऐरो के जरिए उन्होंने 2009 तक देशभर के 4500 डाकघरों को अत्याधुनिक और जनउपयोगी बनाया। दूरसंचार सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए देशभर में एक हजार नये टॉवर स्थापित कर डिजिटल पंचायत की अवधारणा को साकार किया। 2012 मेंं ऊर्जा मंत्री बने। कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मंत्रालय भी संभाला और उद्योग मंत्रालय को नई पहचान दिलाई।
2018 में उन्होंने अपने अथक परिश्रम से प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता दिलाई। लेकिन उनके श्रम का मोल नहीं मिला। उन्होंने समय की वास्तविकताओं को खुली ऑंखों से देखा और भविष्य को अतीत के हाथों गिरवी नहीं रखने दिया। 2020 में मध्य प्रदेश की सियासत में सत्ता परिवर्तन कराकर सत्तालोलुपों को सबक सिखा दिया और अपनी धमक को बरकरार रखा। 18 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद 11 मार्च 2020 को भाजपा में शामिल हुए। उनका यह निर्णय राजनीतिक इतिहास में दर्ज हो गया। भाजपा में शामिल होने के बाद सिंधिया के सितारे बुलंदियों पर हैं। उनका कद तेजी से बढ़ता जा रहा है।
राजनीति में परिवारवाद पर करारा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा था कि मेरे परिवार का एक ही सदस्य राजनीति में रहता है। पिछले 30-40 साल से सिंधिया परिवार ने इसे अपनाया भी है। उन्होंने आमजन की नब्ज के मर्म को समझा और राजश्रय को लोकाश्रय में समाहित कर राजनीतिक इतिहास को नया पर्याय प्रदान किया है। इसीलिए आज वे सच्चे जननायक के तौर पर छवि गढ़ने में कामयाब हो सके। सिंधिया मौजूदा परिवेश की राजनीति में कनेक्टिविटी पर ध्यान देने और इस्पात के क्षेत्र को बढ़ावा देने के साथ एक जीवंत विमानन क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।
आज जब भारत वैश्विक पटल पर अपनी नई छवि गढ़ रहा है तब दुनिया का नजरिया भी तेजी से बदल रहा है। इजी ऑफ ट्रेवल के साथ ही वीजा ऑन अराइवल जैसी अनेक योजनाओं के माध्यम आमजन तक सुविधाएं पहुचांने का हर संभव प्रयास कर विकास के नये आयाम स्थापित कर रहे हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि उनके जन्म दिन पर जब प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया था तो महज कुछ ही घंटो में हजारों लाइक मिले थे।
उन्होंने दो दशक के अपने राजनीतिक कॅरियर में ऐसे कार्य कर दिखाए जो नजीर बन गए। गुना-बीना रेल लाइन का विद्युतीकरण कराया। ग्वालियर-इंदौर एक्सप्रेस की शुरूआत कराई। ग्वालियर-भोपाल इंटरसिटी की सौगात दी। गुना देश का पहला ऐसा संसदीय क्षेत्र बना जिसके प्रत्येक गांव तक इंटरनेट की पहुंच हो गई थी। साड़ी बुनकरों व पुरातत्वमहत्व के स्थलों के लिए देशभर में मशहूर चंदेरी को केंद्रीय योजनाओ ंसे विशेष पैकेज दिलाए। गुना, ग्वालियर व शिवपुरी में लाइफ लाइन एक्सप्रेस लाए। अशोक नगर, गुना व शिवपुरी में दो हजार 482 किलोमीटर पक्की सड़क का निर्माण। ग्वालियर में नवीन हवाई अड्डा, एलिवेटेड रोड, भव्य एवं विशाल स्टेडियम, अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेलगांव जैसी अनेक सौगातें उनके विजन का हिस्सा बनेंगी। बीते वर्ष उन्होंने 60 नये आरसीएस मार्ग शुरू किए। 91 लाख से अधिक हवाई यात्रियों को डिजी यात्रा की सौगात दी। तीन ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे शुरू किए गए। डीजीसीए ने 1562 कॉमर्शियल पायलट के लाइसेंस जारी किए। 2023 में करीब 150 मिलियन यात्रियों ने हवाई सेवा का लाभ उठाया। यह आमजन को सुलभ हवाई यात्रा सुनिश्चित करने की दिशा में उनकी प्रतिबद्धता का ही प्रमाण है। 2025 तक देश में 250 हवाई अड्डों का लक्ष्य रखा गया है। ड्रोन नीति वरदान साबित हो रही है। एनएएसपी को लागू किया।
उन्होंने बदलते हुए विश्व परिदृश्य, भूमंडलीकरण एवं वैश्विकरण के दौर में भारत को विकसित देशों की श्रेणी में सशक्त रूप से खड़ा करने के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं बनाई हैं। यही वजह है कि वे देश के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं जनाधार वाले नेताओं में शुमार हैं। उनका जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलता है। उनका अंदाज लोगों को भाता है। ऐसे में यह कहना मुनासिब होगा वे विकास के नये आयाम गढ़ रहे हैं और आधुनिक राजनीति में सच्चे जननायक के रूप में उभर रहे हैं।

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