आगर-मालवा में सोयाबीन की चौपट फसल : भावांतर योजना बेअसर, MSP व मुआवजा बने जरूरी

Soybean crop failure in Agar-Malwa: Bhavantar Yojana ineffective, MSP and compensation essential
- नलखेड़ा खरीफ सीजन में नलखेड़ा क्षेत्र के किसानों पर बड़ा संकट आ गया है।
आगर-मालवा । मुख्य फसल सोयाबीन पर येलो मोज़ेक वायरस और अन्य रोगों के असर से खेतों में पौधे पीले पड़ गए, फलियाँ अधूरी रह गईं और उत्पादन बुरी तरह घट गया। कई खेतों में उपज शून्य रही, जिससे किसानों की लागत और मेहनत डूब गई।
भावांतर योजना पंजीयन
जिले में 3 अक्टूबर से भावांतर भुगतान योजना का पंजीयन शुरू हुआ है। कलेक्टर प्रीति यादव ने विभिन्न पंजीयन केन्द्रों का निरीक्षण कर निर्देश दिए कि कोई भी किसान वंचित न रहे और पंजीयन प्रक्रिया पारदर्शी व तेज़ हो।
किसानों की हकीकत
किसानों का कहना है कि जब फसल ही चौपट हो गई तो भावांतर योजना से क्या फायदा? नलखेड़ा के किसान कैलाश चौधरी बोले – “मंडी में ले जाने को कुछ बचा ही नहीं।” ग्राम गोयल के हीरालाल यादव ने कहा – “बीज-खाद पर कर्ज चढ़ गया, अब हमें सीधे मुआवजा चाहिए।”
विशेषज्ञों की राय
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार वायरस और रोगों से उत्पादन में 30–70% तक गिरावट आई है। उनका मानना है कि सरकार को मालवा को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर किसानों को तत्काल मुआवजा देना चाहिए।
कलेक्टर ने पंजीयन को प्राथमिकता दी है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर किसानों की असली मांग है – MSP पर खरीदी और फसल नुकसान का मुआवजा। यही कदम उन्हें राहत और अगली फसल के लिए सहारा दे सकते हैं।