आमला में आत्महत्या रोकथाम सेमिनार : पुरुष मानसिक स्वास्थ्य पर डॉ. गोहे का बड़ा संदेश

Suicide prevention seminar in Amla: Dr. Gohe’s big message on male mental health
- पारिवारिक विवाद आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण
- विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर बैतूल में हुआ बड़ा सेमिनार
- पिछले एक दशक में पुरुष आत्महत्या के मामलों में लगातार वृद्धि
हरिप्रसाद गोहे
आमला ! विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर रविवार को बैतूल के छत्रपति शिवाजी महाराज ओपन ऑडिटोरियम में एक विशेष जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व मनोवैज्ञानिक, रिहैबिलिटेशन काउंसलर एवं एसआईएफ बैतूल के अध्यक्ष डॉ. संदीप गोहे ने किया।
अपने उद्बोधन में डॉ. गोहे ने कहा कि आत्महत्या आज हमारे समाज की सबसे गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है। उन्होंने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी)के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि पिछले एक दशक में पुरुष आत्महत्या के मामलों में लगातार वृद्धि हुई है। आंकड़े साफ दिखाते हैं कि पुरुष आत्महत्या दर महिलाओं की तुलना में लगभग 2.5 गुना अधिक है। पति आत्महत्या की संख्या पत्नी आत्महत्या से करीब 3 गुना अधिक है। इसका सीधा अर्थ है कि शादी के बाद पुरुष आत्महत्या की संभावना बढ़ जाती है, जबकि महिलाओं में शादी के बाद यह दर घट जाती है, जो आम धारणा के बिल्कुल विपरीत है।

उन्होंने कहा कि भारत में आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण पारिवारिक समस्याएं हैं। पति–पत्नी की आत्महत्या के आंकड़ों का यह जेंडर अनुपात लगातार बढ़ रहा है। पहले एनसीआरबी रिपोर्ट में फैमिली इश्यूज को पति/पत्नी से झगड़ा और ससुराल से विवाद के रूप में दर्ज किया जाता था। इससे स्पष्ट है कि आत्महत्या का प्रमुख कारण वैवाहिक विवाद है। कई बार दर्ज की गई आर्थिक समस्याएं भी पत्नी या ससुराल की अपेक्षाओं और दबावों से जुड़ी होती हैं। यही कारण है कि शादी के बाद पुरुष आत्महत्या का ग्राफ और ऊंचा हो जाता है।
पुरुषों को सिस्टम से नहीं मिल रहा सपोर्ट
डॉ. गोहे ने कहा कि समाज पुरुषों से हमेशा मजबूत बने रहने की उम्मीद करता है, लेकिन उनके लिए सुरक्षित माहौल और सपोर्ट सिस्टम उपलब्ध नहीं कराता। नतीजा यह होता है कि पुरुष अपनी भावनाएं और समस्याएं व्यक्त नहीं कर पाते। यह असहयोगी वातावरण उन्हें अंततः आत्महत्या जैसे कदम की ओर धकेल देता है। उन्होंने कहा कि हमें समझना होगा कि मदद मांगना कमजोरी नहीं बल्कि साहस है। डॉ. गोहे ने आत्महत्या के प्रमुख कारणों जैसे बेरोजगारी, आर्थिक संकट, पारिवारिक तनाव, झूठे मुकदमे और मानसिक बीमारियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने चेतावनी संकेतों की पहचान करने और समय रहते संवाद की महत्ता पर भी जोर दिया।

पिछले पाँच वर्षों से जिले में सक्रिय है संस्था
उन्होंने बताया कि एसआईएफ बैतूल पिछले पाँच वर्षों से इस विषय पर लगातार कार्य कर रहा है व ये उनका विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस का दूसरा वर्ष है और पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य तथा झूठे मुकदमों में फंसे पुरुषों को सहायता प्रदान कर रहा है। संस्था द्वारा चलाए गए अभियान एक पेड़ पिता के नाम और एक कुर्सी मर्दों के नाम ने समाज में सकारात्मक संदेश दिया है।
कार्यक्रम का संचालन चंद्रप्रकाश झारे ने किया। इस अवसर पर अजय वरवड़े, राजेश उपराले, विजय साहू, चित्रांजन बन्नारे, लीलाधर मालवीय, अभिनव देशमुख, गणेश घोघरे, निलेश उपासे, बिस्वजीत मंडल, आकाश सिंह तोमर, लोकेश सराठे सहित बड़ी संख्या में सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
समापन में डॉ. गोहे ने कहा कि हर जीवन अनमोल है। आत्महत्या कोई समाधान नहीं, बल्कि समस्या से भागने का तरीका है। हमें परिवार, समाज और संस्थाओं के सहयोग से मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी होगी। आत्महत्या रोकना केवल पीड़ित व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है।
इसके साथ एसआईएफ बैतूल ने मेन्स हेल्प लाइन नबर भी सजा किया जो की 8882498498 है।