छिंदवाड़ा वन मंडल में चहेतों के लिए टेंडर में गड़बड़झाला
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CAMPA authority has not been formed in Madhya Pradesh
Tender irregularities for favourites in Chhindwara forest division
भोपाल। ऑनलाइन टेंडर के नाम पर वन विभाग में बड़ा खेल खेला गया है। चहेते ठेकेदार को करोड़ो की सप्लाई देने के लिए दस्तावेजों का गोलमाल किया गया है। टेंडर प्रक्रिया का यह मामला अब तक भले ही कम्पयुटरों में कैद था लेकिन बाहर आने के बाद दस्तावेज मुहैया कराने में अफसरों की सांसे फूल रही है। खास बात यह कि इस मामले में शिकवा शिकायतों का दौर शुरू होने के बाद भी अफसरों ने टेंडर निरस्त करने के स्थान पर बिना सप्लाई के ही सप्लायर को एक बड़ी राशि का भुगतान भी कर दिया है। दरअसल यह पूरा मामला पूर्व वनमंडल और
दक्षिण वनमंडल से जुड़ा है जिसमें चार निविदाकारों में उस फर्म को ठेका दिया गया है जिसने निविदा के नियम और शर्तों का पालन तक नहीं किया है। सूत्रों की माने तो मंडला जिले की इस फर्म को केवल इस बिना पर टेंडर दिया गया है कि वह एक विभागीय अधिकारी से करीबी रखता है जिसके कारण टेंडर प्रक्रिया में उपयोगी दस्तावेजों की कमी को भी नजर अंदाज किया गया और उसे संबंधित फर्म को टेंडर दे दिया गया।
लैब टेस्ट कराने फीस ली कैश
निविदा शर्तों के तहत टेंडर भरने वाले निविदाकार को सप्लाई की जाने वाली सामग्री का पहले सेम्पल देना होता है। सेम्पल की गुणवत्ता को परखने केलिए इंदौर की लैब में भेजा जाता है। इसके लिए निविदाकार से ऑन लाइन ही राशि जमा कराई जाती है। लेकिन टेंडर प्रक्रिया में गोलमाल का चक्रव्यूह रचने वालों ने राशि कैश में जमा करा ली। जबकि यह बात अन्य किसी भी निविदा कार को पता नहीं हैकि किस लैब में जांच की गई और उसकी रिपोर्ट वया है।
6 टेंडरों में एक ही शपथ पत्र
अलग-अलग तिथि और माह में एक ही फर्म को दिए गए टेंडरों में ऑनलाइन अपलोड होने वाले शपथ फत्र में एक ही शपथ पत्र को सभी टेंडरों में अपलोड किया गया है। इसे भी दबाए रखने का काफी प्रयास किया गया लेकिन जब आरटीआई के माध्यम से दस्तावेजों की मांग की गई तो विभागीय अधिकारियों द्वारा टेंडर से संबंधित दस्तावेजों की जानकारी आरटीआईकर्ता को समय सीमा के बाद भी जानकारी नहीं दी प्रदान की गई जिसके बाद जानकारी के लिए प्रथम अपील लगाई गई है।