भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने पर सेवा समाप्त करना या सेवा से हटाना सही : हाईकोर्ट
Termination or removal from service is right if corruption charges are proved: High Court
जबलपुर ! जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने भ्रष्टाचार के भौतिक व अभिलेख साक्ष्य उपलब्ध होने पर सेवा से पृथक किए जाने के निर्णय को सही ठहराया है. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि पूरी प्रक्रिया में किसी प्रकार से प्राकृतिक न्याय सिद्धांत का उल्लंघन नहीं किया गया है.
सेवा समाप्ति को दी गई थी चुनौती
दरअसल, याचिकाकर्ता ओम प्रकाश धाकड़ की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि उसे पंचायत सचिव के पद से भ्रष्टाचार के आरोप में पृथक कर दिया गया है. भ्रष्टाचार के आरोप में जारी किए गए नोटिस पर उसके द्वारा पेश किए गए जवाब पर अनुशासनिक प्राधिकारी व अपीलीय प्राधिकारी ने कोई विचार नहीं किया, जो प्राकृतिक न्याय सिद्धांत का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता की ओर से आगे तर्क दिया गया कि वह रायसेन के ग्राम पंचायत सेवासनी में ग्राम सचिव के पद पर पदस्थ था. ग्राम पंचायत में समग्र स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय निर्माण के लिए राशि आवंटित की गई थी. इस दौरान उसका स्थानांतरण ग्राम बड़ौदा में कर दिया गया था. इसके अलावा तत्कालीन सरपंच व सचिव के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.
कोर्ट ने कही ये बात
एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि 110 शौचालय निर्माण का ठेके एक एजेंसी को दिया गया था. एजेंसी को भुगतान किए जाने के बावजूद भी 110 दिनों तक कोई निर्माण नहीं किया गया था. इसके अलावा तत्कालीन सरपंच ने 26,200 रु की राशि चेक के माध्यम से लौटाई थी, जिसे पंचायत के खाते में जमा नहीं किया गया. इसके अलावा भ्रष्टाचार के भौतिक व अभिलेख साक्ष्य उपलब्ध थे. इन सभी साक्ष्यों के मद्दनेजर कोर्ट ने याचिका को निरस्त करते हुए पंचायत सचिव को सेवा से पृथक किए जाने के निर्णय को सही बताया.