देश का पहला 60 किमी लंबा ट्रॉयल ट्रैक तैयार, राजस्थान-जयपुर में होगा पहली बुलेट ट्रेन का परीक्षण
जयपुर.
राजस्थान में देश का पहला ट्रेन ट्रायल ट्रैक लगभग तैयार हो चुका है। 60 किमी लंबा यह ट्रैक पूरी तरह से सीधा नहीं है, इसमें कई घुमावदार बिंदु बनाए गए हैं। इससे इस बात का ट्रायल लिया जा सकेगा कि स्पीड से आने वाली ट्रेन बिना स्पीड कम किए घुमावदार ट्रैक से कैसे गुजरेगी। डीडवाना जिले के नावां में यह ट्रैक तैयार हो रहा है।
पहला चरण पूरा होने के बाद 230 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बुलेट ट्रेन का भी परीक्षण किया जा सकता है। यह टेस्ट ट्रैक रेलवे को आधुनिकता की ओर ले जाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। डेडिकेटेड टेस्ट ट्रैक के जरिए रेलवे संसाधनों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर पाएगा और सुरक्षा भी काफी बढ़ जाएगी। देश में हाई-स्पीड रोलिंग स्टॉक के व्यापक परीक्षण के लिए भारतीय रेलवे राजस्थान के डीडवाना जिले के जोधपुर डिवीजन के नावा में गुढ़ा-थाठाना मीठड़ी के बीच 60 किमी का देश का पहला आरडीएसओ समर्पित परीक्षण ट्रैक विकसित कर रहा है। यह रेलवे ट्रैक जयपुर से लगभग 80 किमी दूर सांभर झील के बीच से निकाला गया है। आरडीएसओ डेडिकेटेड टेस्ट ट्रैक के काम को दो चरणों में मंजूरी दी गई है। चरण 1 के काम को दिसंबर 2018 में और चरण 2 के काम को नवंबर 2021 में मंजूरी दी गई थी। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत करीब 820 करोड़ रुपये है। समर्पित परीक्षण ट्रेक के निर्माण में सात बड़े पुल, 129 छोटे पुल और चार स्टेशन (गुढ़ा, जब्दीनगर, नावां और मिठड़ी) शामिल हैं। इस परियोजना के तहत 27 किमी का काम पूरा हो चुका है और दिसंबर 2025 तक पूरा काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। स्पीड टेस्ट, स्थिरता, सुरक्षा पैरामीटर, दुर्घटना प्रतिरोध, गुणवत्ता सहित हाई-स्पीड रोलिंग स्टॉक और वस्तुओं की व्यापक परीक्षण सुविधाएं इस परियोजना के अंतर्गत रोलिंग स्टॉक आदि का विकास किया जा रहा है। इस समर्पित परीक्षण ट्रैक में ट्रैक सामग्री, पुल, टीआरडी उपकरण, सिग्नलिंग गियर और भू-तकनीकी अध्ययन का परीक्षण भी शामिल है। ट्रैक पर पुल, अंडरब्रिज और ओवरब्रिज जैसी विभिन्न संरचनाएं बनाई गई हैं। इस ट्रैक पर आरसीसी और स्टील ब्रिज बनाए गए हैं, जो जमीन के नीचे और ऊपर हैं। इन पुलों को कंपनरोधी बनाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इन पुलों के जरिए इसके ऊपर से तेज गति से गुजरने वाली ट्रेन की प्रतिक्रिया का परीक्षण किया जा सकता है। पुल का निर्माण टर्न-आउट सिस्टम का उपयोग करके किया गया है। यानी ऊपर भारी आरसीसी बॉक्स लगाकर स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल किया गया है। सांभर का वातावरण क्षारीय होने के कारण स्टील में जंग नहीं लगेगा। साथ ही हाई स्पीड ट्रेन के कंपन को भी कम किया जा सकेगा। इन संरचनाओं के बीच से बुलेट ट्रेन को गुजारकर गति का परीक्षण किया जाएगा। यह देश का पहला डेडिकेटेड ट्रैक होगा, जहां पड़ोसी देश भी अपनी ट्रेनों का परीक्षण करा सकेंगे।
गौरतलब है कि देश में बने कोचों, इंजनों और ट्रेन रैक के ट्रायल के लिए रेलवे के पास कोई समर्पित लाइन नहीं थी। सभी लाइनों पर काफी ट्रैफिक है। ऐसे में ट्रायल के लिए कई ट्रेनों के शेड्यूल में बदलाव करना पड़ता है। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि भविष्य में यहां न केवल बुलेट ट्रेन बल्कि हाई-स्पीड, सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन और मेट्रो ट्रेन का भी परीक्षण किया जाएगा। इस ट्रैक पर हाई-स्पीड, सेमी-स्पीड और मेट्रो ट्रेनों का भी परीक्षण किया जा सकता है। रेलवे की आरडीएसओ यानी रिसोर्स डिजाइन स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन की टीम ट्रायल की निगरानी करेगी। रेलवे की यही टीम कोच, बोगी और इंजन की फिटनेस की जांच करती है। रेलवे किसी भी कोच या इंजन को ट्रैक पर चढ़ाने से पहले हर पैरामीटर की जांच करता है कि तय गति से ज्यादा कंपन तो नहीं होगा। खराब ट्रैक पर ट्रेन का रिस्पांस आदि भी जांचा जाएगा। हाई-स्पीड समर्पित रेलवे ट्रैक 60 किमी लंबा है, लेकिन मुख्य लाइन 23 किमी लंबी है। गुढ़ा में इसका हाई-स्पीड 13 किमी लंबा लूप है। रेलवे में लूप का उपयोग क्रॉसिंग को पार करने या विपरीत दिशा से आ रही दो ट्रेनों को बिना किसी रुकावट के गुजारने के लिए किया जाता है। इसके अलावा नावा स्टेशन पर 3 किमी का क्विक टेस्टिंग लूप और मीठड़ी में 20 किमी का कर्व टेस्टिंग लूप बनाया गया है। ये लूप अलग-अलग डिग्री के घुमावों पर बनाए गए हैं। खराब ट्रैक पर ट्रेन डगमगाने और झटके खाने लगती है। ट्रैक खराब होने पर स्पीड क्या होनी चाहिए और इसका क्या असर होगा, इसकी जांच की जाएगी। इसके लिए 7 किलोमीटर लंबा घुमावदार ट्रैक बिछाया गया है।