जनपत पंचायत घुघरी बना भ्रष्टाचार का हबचल रही उपयंत्री की तानाशाही.
The village council of Ghughari has become a hub of corruption, thriving under the dictatorship of the corrupt sub-engineer.
बिछिया– जनपत पंचायत घुघरी में इस समय संविदा उपयंत्री के सहन शाही के चलते उनकी ही मनमर्जी चल रही है। जिसकी वजह से पंचायती अमला बुरी तरह परेशान है। जिसकी शिकायत मौखिक तौर पर अधिकारियों से की गई है लेकिन अब तक ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई है खासकर यहां पदस्थ उपयंत्री संदीप मिश्रा से स्थानीय पंचायत के प्रतिनिधि और ग्रामीण बुरी तरह परेशान है। उपयंत्री के द्वारा पंचायतों का न तो भ्रमण किया जा रहा है और न ही सरपंच सचिवों से संवाद किया जाता है उपयंत्री मण्डला से आना जाना करते हैं जो सप्ताह में एक दो बार ही क्षेत्र में जाते हैं। अक्सर वे बीमारी का बहाना बनाकर लोगों को गुमराह करते हैं। इसके पहले भी संदीप मिश्रा घुघरी जनपद में पदस्थ रहे जहां पर करोड़ो के घोटाले होने के बाद इन्होंने अपना स्थानांतरण मण्डला करा लिया था लेकिन जैसे ही यह मामला शांत हुआ और इन्होंने फिर वहां अपना स्थानांतरण करा लिया। वहीं उपयंत्री की मनमानी में ग्राम पंचायत मांगा का मामला सामने आया है विगत 2021-22 मैं ग्रेबिन पत्थर निर्माण कार्य कराया गया था जिसका बिल भुगतान आज दिनांक तक नहीं कराया गया है जानकारी के अनुसार उपयंत्री संदीप मिश्रा एवं जनपद में कमीशनखोरी के चलते पेमेंट नहीं हो रहा है बता दे की संदीप मिश्राके द्वारा अनाप-शनाप कमीशन मांगा जा रहा है संदीप मिश्रा के पास 11 पंचायतों का प्रभार है सभी पंचायत में शिकायतें आती रहती है कई ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों का कहना है कि उपयंत्री के दर्शन कई दिनों नही होते है। हितग्राही मूलक काम एवं आवास के लेआउट भी बाकी हैं जानकारी अनुसार संदीप मिश्रा पंचायत के सरपंच सचिव को परेशान करते रहते हैं ग्राम पंचायत में दबाव बनाकर अपना काम ग्राम पंचायत से करवाते हैं जैसे की पीएम आवास में लेआउट उपयंत्री के द्वारा होना था लेकिन उपयंत्री की जगह रोजगार सहायक व मेट लेआउट कर रहे हैं कई ऐसे निर्माण कार्य हैं जो रुके हुए हैं समय में पूर्ण न होने का कारण उपयंत्री ही बताया जा रहा है कई निर्माण कर कच्चे पक्के अधूरे पड़े हुए हैं बता दें कि ग्राम पंचायत में आक्रोश पनप रहा है कई ऐसे निर्माण कार्य हैं जिसका एक बार बिल लगने के बाद फिर दोबारा बिल कमीशन खोरी का लगाया जा रहा है जो कमीशन नहीं देता है उनके बिलों को रोक दिया जाता है कई ऐसे निर्माण कार्य पूर्ण हो बिल भी नहीं उपयंत्री मुख्यालय में अपने गृहग्राम मंडला हितग्राही जब ढूंढते जनपद पहुंचते हैं मिलता भी नहीं करने पर फील्ड का देता है जबकि यह ना मिलते ना ही जनपद ग्राम में आराम आते हैं। जिससे है बता दें कि घुघरी में घटिया रही है। जबकि लागू हुए 20 साल आखिर पंचायतों का नहीं हो पा रहा है। पंचायतों के करोड़ो रूपये है। विकास क्यो नहीं जबकि शासन विकास के लिए राशि उपलब्ध करा रही ग्राम पंचायतें से आज भी बाट जोह रहा है ।ग्रामीणों के नाम पर महज छलावा किया जा रहा है। ग्रामों एवं ग्राम विकास के नाम पर करोड़ों रूपये की राशि खर्च करने के बाद भी ग्राम व ग्रामीणों का विकास जहां का तहाँ ठहरा हुआ है। ग्राम विकास के साथ ही देश का विकास होगा और ग्रामीणों का जीवन स्तर ऊंचा उठेगा तभी हमारा देश समृद्ध और विकास के पथ पर अग्रसर होगा। योजनाओं को अमलीजामा पहनाने अधिकारियों को सौंपे गये दायित्वों का ईमानदारी से पालन न होने से मुख्यमंत्री की उक्त मंशा पर बट्टा लगता प्रतीत हो रहा है। ग्राम एवं ग्रामीणों के विकास के लिये अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन किया है। इस खिलवाड़ के लिये अकेले प्रशासन ही नहीं गांव-गांव से निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों से
लेकर बड़े-बड़े पदों पर विराजमान दिग्गजों तक की भागीदारी है। प्रशासन, राजनेताओं, दलालों और ठेकेदारों की घिनौनी साजिश का शिकार आदिवासी बाहुल्य जिला आज तक शोषण, अत्याचार और भ्रष्टाचार की मार सह रहा है। जिले में सड़क निर्माण, भवन निर्माण, कुंआ, स्टापडेम, जलाभिषेक, जलसंग्रहण, स्व-सहायता समूह योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क, रोजगार गारंटी योजना, मध्यान्ह भोजन, समग्र स्वच्छता, स्कूल चलो अभियान, खाद्यान्न वितरण प्रणाली, बस्ती विकास योजना, परियोजना मद, 14 वां वित्त की राशि, मनरेगा व निर्माण कार्यों सहित शासन की लाभकारी विकास की योजनायें भ्रष्टाचार की बली चढ़ गयी।
घोटालेबाज उपयंत्री से सरपंच, सचिव ही नहीं जनपद का अमला भी परेशान : बिना कमीशन के नहीं कर रहे कोई काम।