रबी फसल की तैयारी पर प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण सम्पन्न.
Trained in natural agriculture for the preparation of Rabi crops.
VSS, KVK, BRLF एवं NCNF का संयुक्त प्रयास
उमरिया, जिले के अकाशकोट क्षेत्र के गांवों के प्राकृतिक कृषि पर सघन रूप से कार्य कर रहे, सामाजिक संस्था विकास संवाद द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र उमरिया के तकनीकी सहयोग से रबी फसल की तैयारी पर एक दिवशीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया । प्रशिक्षण में कृषि विज्ञान केंद्र उमरिया के वैज्ञानिकों द्वारा भूमि उपचार ,बीज का चयन, बीज उपचार,फसल चक्र, अंतर्वर्ती फसल, मिश्रित फसल, बीजामृत, जीवामृत, घन जीवामृत, ब्रह्मास्त्र, अग्नियास्त्र एवं दशपर्णी अर्क तैयार करने के बारे में विस्तार से बताया गया । उक्त प्रशिक्षण में करकेली जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम अमडी, कोहका-47, डोंगरगवां, मर्दर, बिरहुलिया, खैरा, अगनहुडी एवं करौंदी के प्राकृतिक कृषि शामिल हुए ।
विकास संवाद संस्था एवं प्राकृतिक कृषि का राष्ट्रीय गठबंधन के प्रयाश से किसान प्राकृतिक कृषि की ओर बढ़ रहे हैं । किसान रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशी को छोड़, प्राकृतिक खाद एवं कीटनाशक तैयार कर अपने खेतों में उपयोग कर रहे हैं । प्रशिक्षण में 48 किसान शामिल हुए । प्रशिक्षण को कृषि वैज्ञानिक के.के. राणा, विनीता सिंह, धनंजय सिंह ने संबोधित किया। प्रशिक्षण का संचालन विकास संवाद के जिला समन्वयक भूपेन्द्र त्रिपाठी ने किया।
प्रशिक्षण को संबोधित करते हुए कृषि वैज्ञानिक धनंजय सिंह ने रबी के फसलों के उन्नत किस्मो के बारे में विस्तार बताया । उन्होंने कहा 1 एकड़ में 40 से 45 kg से अधिक न बोयें । चना में उखटा रोग के नियंत्रण पर चर्चा करते हुए फसल चक्र अपनाने की बात कही । कीटो का पहचान बताते हुए विभिन्न कीटों के जीवन चक्र के बारे में विस्तार से बताया । उन्होंने प्राकृतिक रूप से कीट नियंत्रण के लिए बीज उपचार, भूमिउपचार के साथ गेंदा, धनिया जैसे फसल बोने की बात कही। श्री सिंह ने मिश्रित बोनी कीट नियंत्रण का कारगर तरीका बताया। प्रतिभगियों से चर्चा करते हुए कृषि वैज्ञानिक के.के. राणा ने बीज उपचार के महत्व को बताते हुए उन्होंने वीजामृत एवं जीवामृत के बनाने की विधि एवं उपयोग पर विस्तार से प्रकाश डाला ।
प्रशिक्षण को सफल बनाने में किसान राकेश बैगा, मोहन बैगा, अमर सिंह , कविता सिंह, रामप्रसाद सिंह, संतोष सिंह, समरबहादुर, प्रदीप सिंह,लवकुश सिंह , बलराम महार, सतमी बाई बैगा एवं यशोदा राय का विशेष सहयोग रहा ।