वीआईपी के महाकाल: क्या मंदिर के गर्भगृह में जाने का हक सिर्फ BJP नेताओं को? : महाकाल भक्त
VIP’s Mahakal: Do only BJP leaders have the right to enter the sanctum sanctorum of the temple
VIP’s Mahakal: Do only BJP leaders have the right to enter the sanctum sanctorum of the temple? : Mahakal devotee
उज्जैन ! ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश को लेकर फिर बवाल मचा है। सोमवार को भस्म आरती के बाद भाजपा के संगठन प्रभारी महेंद्र सिंह और उनकी धर्मपत्नी ने गर्भगृह में बाबा महाकाल की पूजा-अर्चना की। इस पर सवाल उठ रहे हैं। इसकी वजह यह है कि प्रोटोकॉल की आड़ में आम लोगों को गर्भगृह में जाने से रोक दिया गया है। पिछले कुछ समय से सिर्फ भाजपा नेताओं को ही महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दी गई है।
महाकाल मंदिर प्रशासन का दावा है कि दर्शन व्यवस्था में किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है। कुछ ही मिनटों में आम लोग यहां दर्शन कर लेते हैं। हालांकि, सच तो यह है कि आम लोगों को गणेश मंडपम से दर्शन करवाए जाते हैं, जो बाबा महाकाल के गर्भगृह से करीब 80 मीटर दूर है। दूर से ही देखकर आम श्रद्धालु बाबा महाकाल का आशीर्वाद ले लेते हैं। कुछ लोगों को 250 रुपये लेकर अतिशीघ्र दर्शन करवाने की व्यवस्था कार्तिक मंडपम से कराई गई है। अति-विशिष्ट लोगों को भी नंदी हॉल और चांदी द्वार से दर्शन कराया जाता है। इसके बाद भी सोमवार सुबह भाजपा के प्रदेश संगठन प्रभारी महेंद्र सिंह और उनकी धर्मपत्नी ने गर्भग्रह में बाबा महाकाल का पूजन-अर्चन किया। इसके फोटो और वीडियो वायरल होने के बाद जमकर बवाल मचा है। भाजपा के प्रदेश संगठन प्रभारी को अति-विशिष्ट अतिथि बताकर दर्शन करवाए जाने को लेकर श्रद्धालु ही नहीं उज्जैन के पंडे-पुजारी भी नाराज हैं। उनका कहना है कि बाबा के भक्तों के साथ भेदभाव किया जा रहा है और सिर्फ भाजपा नेताओं को ही गर्भगृह में प्रवेश दिया जा रहा है। कुछ ही दिन पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी तीन अप्रैल को गर्भगृह में जाकर पूजा-अर्चना की थी।
राहुल गांधी को नहीं दिया था प्रवेश
पिछले दिनों भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी महाकाल के दरबार पहुंचे थे। तब भी उन्हें गर्भगृह में जाने की इजाजत नहीं दी गई थी। इसे लेकर कांग्रेस नेताओं ने सवाल भी उठाए थे।
यह है प्रोटोकॉल
बाबा महाकाल के गर्भगृह में सिर्फ पुजारी ही पूजा-अर्चना कर सकते हैं। उनके अलावा प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्यपाल, शंकराचार्य, महामंडलेश्वर के साथ ही अन्य विशिष्टजनों को गर्भगृह में जाने की इजाजत दी गई है। हकीकत यह है कि मंदिर में कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री, सांसद, विधायक बाबा महाकाल के दर्शन करने आते हैं तो उन्हें भी चांदी द्वार से ही पूजन-अर्चन और दर्शन करवाए जा रहे हैं। ऐसे में महेंद्र सिंह के प्रवेश ने कई सवालों को जन्म दे दिया है।
भाजपा व RSS के गुलाम हैं अधिकारीः पंडित त्रिवेदी
श्री क्षेत्र पंडा समिति के अध्यक्ष पंडित राजेश त्रिवेदी का आरोप है कि वर्तमान में भाजपा का नेता ही भगवान के पास पहुंच सकता है। प्रोटोकॉल का व्यक्ति भगवान को छू रहा है और मंदिर में मनमर्जी चल रही है। कहने को तो कई जिम्मेदार अधिकारियों पर मंदिर की व्यवस्था का जिम्मा है लेकिन यह अधिकारी भाजपा और RSS की गुलामी कर रहे हैं। इससे धर्म समाप्त हो रहा है। ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं जिससे भगवान आम जनता से दूर हो रहे हैं। सनातन धर्म संस्कृति में भक्तों के साथ यह व्यवहार नहीं होना चाहिए।
व्यवस्था पर सवाल उठाने वाले दिखे संगठन प्रभारी के साथ
कुछ दिनों पहले घटिया विधायक सतीश मालवीय ने महाकाल मंदिर की दर्शन व्यवस्था पर सवाल उठाए थे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर दर्शन व्यवस्था ठीक करने का अनुरोध किया था। इस बात को 10 दिन भी नहीं हुए और वह खुद महेंद्र सिंह के साथ गर्भगृह में पूजन-अर्चन करते दिखाई दिए। उन्होंने संगठन प्रभारी के साथ नंदी हॉल में बैठकर भस्म आरती की। जब वह गर्भगृह में पूजन-अर्चन कर रहे थे, तब मालवीय बाहर उनका इंतजार करते दिखे।