November 21, 2024

जहाँ जहाँ पड़े श्रीकृष्ण के पाँव, वहीँ बनेगा तीरथ धाम…. मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री का ऐलान.

0

Wherever the feet of Lord Krishna touch, there will become a pilgrimage site… Announcement by the Chief Minister of Madhya Pradesh.

उज्जैन । मध्यप्रदेश के मुख्य्मंत्री मोहन यादव ने एक बड़ा ऐलान किया है कि मध्यप्रदेश मे जहाँ जहाँ भगवान कृष्ण के पाँव पड़े है

Sahara Samachaar;

उनको तीर्थ स्थलों के स्वरुप मे विकसित किया जायेगा, मध्य प्रदेश संस्कृति धरोहरों, अध्यात्म और पौराणिक कहानियो के लिए जाना जाता है धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन मे हमेशा मध्यप्रदेश अग्रणी रहा है, इसी क्रम मध्यप्रदेश के नये मुख्य्मंत्री मोहन यादव ने भगवान श्री कृष्ण की उन विरासत को जहाँ भगवान ने लीलाएं की थी उन्हें तीर्थ स्थल के स्वरुप मे विकसित करने का ऐलान किया है.


ज्ञात हो कि महाकाल की नगरी उज्जैन मे भगवान ने गुरु संदीपन जी के आश्रम मे शिक्षा ग्रहण की थी जहाँ पर उन्होंने 18 दिनों मे 18 पुराण, 4 दिनों मे चारों वेद, 6 दिनों मे 6 शास्त्र, 16 दिनों मे 16 कलाएं और 20 दिनों मे गीता का ज्ञान प्राप्त किया था, उज्जैन मे मंगालनाथ मार्ग पर क्षिप्रा नदी के पावन तट पर गंगा घाट पर महर्षि संदीपन की तपोभूमि पर आज से तकरीबन 5235 साल पहले भगवान श्री कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम और सखा सुदामा जी के साथ विद्यारम्भ संस्कार धारण किया था,


श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति दल के राष्ट्रीय प्रमुख एवं पक्षकार राजेश मणि त्रिपाठी जी बताते हैँ कि उज्जैन मे भगवान ने 64 दिन मे 64 कलाएं सीखी थी, यही पर गुरु संदीपन जी ने भगवान को 3 मंत्र लिखवाये थे तथा भगवान ने गुरु दक्षिणा के रूप मे उनके मृत पुत्र को वापस कराया था,
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्तिदल के मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ के प्रभारी उदित नारायण बता रहे थे कि मध्य प्रदेश के धार ज़िले मे स्थित अमझेरा जहाँ जानापाव वही स्थल है जहाँ प्रवास के दौरान भगवान परसुराम जी ने श्रीकृष्ण जी को उनका पावन अस्त्र सुदर्शन भेंट किया था तथा द्वापर युग मे धर्म कि स्थापना का उपदेश दिया था,

श्री कृष्ण जन्मभूमि के राष्ट्रीय सहप्रमुख तथा संगठन मंत्री महेंद्र तिवारी ने चर्चा के दौरान मध्यप्रदेश के मुख्य्मंत्री जी का इस पावन पहल हेतु धन्यवाद प्रेषित करते हुये बताया कि मध्यप्रदेश के साथ भगवान श्रीकृष्ण का बहुत गहरा नाता रहा है भगवान कि शिक्षा के अतिरिक्त उज्जैन कि अवंतिका नगरी को भगवान कि ससुराल भी माना जाता है मान्यता है कि यहाँ के राजा जयसेन की पुत्री मित्रविंद्रा से विवाह किया था जहाँ के मंदिर मे भगवान मित्रविंद्रा जी के साथ विराजमान हैँ कृष्ण विद्रा धाम के पुजारी श्री गिरीश गुरु बालक महराज बताते हैँ कि मित्रविंद्रा जी भगवान की पाँचवी पटरानी थी जिनसे भगवान ने स्वयंबर मे विवाह किया था.


मुख्य्मंत्री की यह पहल विश्व मे श्री कृष्ण के अनुनायियों के लिए हर्ष का विषय है और इससे मध्यप्रदेश पर्यटन को भी सनातन के साथ विश्व पटल पर आकर्षित करेगी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

न्यूज़

slot server thailand super gacor

spaceman slot gacor

slot gacor 777

slot gacor

Nexus Slot Engine

bonus new member

https://www.btklpppalembang.com/

olympus

situs slot bet 200

slot gacor