पटवारी ही क्यों? हर घोटाले में छोटे कर्मचारियों पर गिरी गाज, बड़े अधिकारी रहे सुरक्षित!

Why only Patwari? In every scam
Why only Patwari? In every scam, the smaller employees were punished, the big officers remained safe!
सिवनी ! जिले के एक खरीदी केंद्र में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ, लेकिन सवाल यह उठता है कि जब भी किसी विभाग में कोई गड़बड़ी होती है, तो सबसे पहले कार्रवाई केवल पटवारी पर ही क्यों होती है? क्या घोटाले केवल पटवारी ही करते हैं, या फिर बड़े अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाते हैं?
इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ। जिस घोटाले में खाद्य विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए थी, उसमें कार्रवाई एक निर्दोष पटवारी पर कर दी गई, जो उस समय अवकाश पर था और एक सड़क दुर्घटना में घायल होने के कारण अपनी ड्यूटी पर मौजूद भी नहीं था। बिना गहन जांच के, बिना किसी ठोस आधार के उसे निलंबित कर दिया गया। यह सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों?

क्या केवल पटवारी ही जवाबदेह हैं?
यह पहली बार नहीं हुआ है जब किसी घोटाले का ठीकरा पटवारी पर फोड़ा गया हो। ऐसा लगता है कि जैसे ही कोई मामला तूल पकड़ता है, तो विभागीय अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए सबसे आसान शिकार पटवारी को ही बनाते हैं। बड़े अधिकारियों पर कभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती, न ही उनकी भूमिका की जांच की जाती है।
सरकार और प्रशासन को यह तय करना होगा कि क्या न्याय केवल छोटे कर्मचारियों तक सीमित रहेगा? क्या हमेशा घोटालों का ठीकरा पटवारियों पर ही फोड़ा जाएगा? जब तक इस अन्यायपूर्ण परंपरा को रोका नहीं जाएगा, तब तक न तो पारदर्शिता आएगी और न ही कोई ठोस सुधार हो पाएगा। अब समय आ गया है कि दोषियों की सही पहचान हो और बिना पक्षपात के दोषियों पर कार्रवाई की जाए – चाहे वे किसी भी पद पर क्यों न हों!