घरेलू विवाद से प्रथक रहने वाली पत्नी भरण पोषण की पात्र नहीं
Wife who is separated from domestic dispute is not eligible for maintenance
हरिप्रसाद गोहे
आमला/मुलताई ! घरेलू पोषण के एक छह वर्ष पुराने मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मुलताई नीलम खटाना ने घरेलू विवाद के कारण प्रथक रहने एवं महिला के भरण पोषण करने में सक्षम होने के कारण पत्नी की ओर से प्रस्तुत आवेदन निरस्त कर दिया है ! हालांकि नाबालिक पुत्र को प्रतिमाह ₹5000 देने के आदेश प्रदान किए हैं ! पति-पत्नी के इस रोचक मामले का मुख्य पहलू यह है कि वर्ष 1999 में हुए विवाह से दो संतान का जन्म हुआ एक संतान पति के पास है ! एक संतान पत्नी के पास है पत्नी की ओर से वर्ष 2019 में आवेदन इस आधार पर प्रस्तुत किया गया था कि उसका उसके पति से घरेलू विवाद है और वह उसे प्रताड़ित और परेशान करता है ! इसीलिए वह अपने पति के साथ रहना नहीं चाहती स्वयं व अपने छोटे पुत्र के लिए भरण पोषण का आवेदन प्रस्तुत किया था ! पति की ओर से वकील राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि इस मामले में पति अपनी पत्नी को साथ रखना चाहता था ! किंतु पत्नी किसी भी कीमत पर साथ रहने को तैयार नहीं थी ! बड़े पुत्र ने न्यायालय में उपस्थित होकर अपनी मां के विरुद्ध गवाही दी थी और पिता का समर्थन किया था न्यायालय में पत्नी ने स्वीकार किया था ! कि वह स्वयं का भरण पोषण करने में सक्षम है और वह किसी भी कीमत पर पति के साथ रहना नहीं चाहती इस मामले का मुख्य पहलू यह है ! कि आवेदिका के भाई का विवाह अनावेदक की बहन से और अनावेदक की बहन का विवाह आवेदक के भाई से हुआ था ! आटा साटा पद्धति से हुआ था और दोनों परिवार में विवाद की स्थिति निर्मित हो गई थी ! दोनों परिवार की ओर से प्रस्तुत तलाक की याचिका न्यायालय द्वारा निरस्त कर दी गई थी ।