जंगल महकमे में पोस्टिंग में हो रही महिला आईएफएस अफसरों की अनदेखी
- सीनियर महिला अधिकारी के रहते इंदौर सर्किल का प्रभार जूनियर को सौंपा
Women IFS officers are being ignored for posting in the forest department.
गणेश पाण्डेय
भोपाल। जंगल महकमे में पॉवर और मैनेजमेंट के चलते महिला आईएफएस अफसरों की पोस्टिंग में अनदेखी की जा रही है। जबकि कुछ महिला अधिकारी तो विषय-विशेषज्ञ भी है फिर भी मुख्यधारा के हाशिये पर हैं। मसलन, इंदौर सर्किल से रिटायर्ड हुए वन संरक्षक नरेन्द्र सनोडिया के रिक्त पद का प्रभार वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव ने 54 किलोमीटर दूर स्थित उज्जैन सर्किल के वन संरक्षक मस्तराम बघेल को सौंप दिया। जबकि इंदौर सर्किल में ही बघेल से सीनियर 2001 बैच की महिला आईएफएस अधिकारी एवं मुख्य वन संरक्षक पदमाप्रिया बालकृष्णन क्षेत्रीय वर्किंग प्लान ऑफिसर है। वैसे तो इंदौर सर्किल का प्रभार तो पदमाप्रिया को मिलना था पर वह मैनेजमेंट के खेल में पिछड़ गई और प्रमोटी आईएफएस बघेल को दे दिया गया। पूर्व में जब एपीसीसीएफ मनोज अग्रवाल उज्जैन सर्कल में पदस्थ थे तब उन्हें भी इंदौर सर्किल का प्रभार दिया गया था किन्तु तत्कालीन वन बल प्रमुख आरके गुप्ता ने प्रभार सौंपने वाले निर्णय में संशोधन करते हुए इंदौर सर्किल में ही पदस्थ वन संरक्षक आदर्श श्रीवास्तव को प्रभार दे दिया था।
इंदौर सर्किल पाने के लिए जो जोर-अजमाइश
इंदौर सर्किल में पदस्थ होने के लिए कई आईएफएस अधिकारी पीपी मैनेजमेंट फार्मूले के अंतर्गत प्रयासरत है। जबकि शासन और विभाग प्रमुख को पीपी मैनेजमेंट फार्मूले को दरकिनार कर सीनियर-कम-मेरिट के सिद्धांत पर पोस्टिंग करना चाहिए। यानि पुरानी परंपरा के अनुसार 2001 बैच की महिला आईएफएस मुख्य वन संरक्षक पदमा प्रिया बालकृष्णन इंदौर सर्किल में पदस्थ होने की हकदार हैं। वैसे भी कैडर में इंदौर सर्किल का पद मुख्य वन संरक्षक का ही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि यदि उनकी पोस्टिंग अभी इंदौर सर्किल के मुख्य वन संरक्षक के पद पर नहीं होती है तो वे अगले साल एपीपीसीएफ के पद पर प्रमोट हो जाएंगी। यदि ऐसा हुआ तो वह इकलौती ऐसी अफसर होंगी, जो सर्किल सीसीएफ के पद पर कार्य किए बिना ही एपीसीसीएफ पद पर प्रमोट हो जाएंगी।
वाइल्डलाइफ डिप्लोमा धारी करा रही है वीआइपी को दर्शन
महकमे में एक और महिला आईएफएस डॉ किरण बिसेन की योग्यता की अनदेखी की जा रही है। डॉ बिसेन पशु चिकित्सा के साथ-साथ वन्य प्राणी मैनेजमेंट की डिप्लोमा धारी भी है। यही नहीं, वह चीता मैनेजमेंट पर दक्षिण अफ्रीका में ट्रेनिंग भी ले चुकी हैं। इसके पहले बिसेन पेंच नेशनल पार्क में तीन साल से अधिक समय तक उप संचालक के पद पर पदस्थ रह चुकीं है। बावजूद इसके, विभाग ने उन्हें अघोषित तौर पर उज्जैन डीएफओ के पद पर पदस्थ कर वीआईपी और वीवीआईपी को साढ़े तीन साल से दर्शन कराने की जिम्मेदारी दी है। जबकि पेंच नेशनल पार्क में फील्ड डारेक्टर का पद खाली है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में सदस्थ फील्ड डायरेक्टर एवं एपीसीसीएफ एल कृष्णमूर्ति की वन्यप्राणी मुख्यालय में वापसी होने जा रही है। ऐसी स्थिति में यहां भी एक वन्य प्राणी विशेषज्ञ आईएफएस की आवश्यकता है। विभाग में वन्य प्राणी विशेषज्ञ आईएफएस की कमी है।
इनकी भी हो रही है अनदेखी
1995 बैच की महिला आईएफएस अर्चना शुक्ला की भी वन विभाग ने अनदेखी की है। वे लंबे समय से विभाग की मुख्य धारा के हासिए पर है। वर्तमान में भी वे डेपुटेशन पर एपीसीसीएफ वन विकास निगम में पदस्थ है। इसके पहले भी वे प्रतिनियुक्ति पर लघुवनोपज संघ में पदस्थ रह चुकीं है। वर्तमान में फेडरेसन के प्रसंस्करण केंद्र बरखेड़ा पठानी में सबसे जूनियर प्रमोटी डीएफओ अर्चना पटेल को पदस्थ किया गया है। पटेल की अनुभवहीनता के कारण फेडरेशन के एमएफपी पार्क के उत्पादन और उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। इसके पहले एमएफपी पार्क के सीइओ के पद पर एपीसीसीएफ स्तर के अधिकारियों की पोस्टिंग होती रही है। वर्तमान में इस पद के लिए दो महिला अधिकारी हकदार है। पहली एपीसीसीएफ अर्चना शुक्ला और दूसरी 2007 बैच की राखी नंदा, जिन्हें सामाजिक वानिकी में पदस्थ किया गया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि सामाजिक वानिकी का कार्य वन मंडल में पदस्थ सीनियर आईएफएस अधिकारी भी संभाल सकता है। इसके अलावा 2011 बैच की आईएफएस संध्या को तो सबसे अधिक उपेक्षित रही है। वह किसी भी वन मंडल में 5-6 महीने से अधिक टेरिटोरियल डीएफओ नहीं रहीं है। जबकि उनकी कार्य शैली फॉरेस्ट प्रोटक्शन की रही है।