काम का दबाव या बीमारी? 10 दिनों में छह बीएलओ की मौत, परिजन बोले- एसआईआर ने ली जान
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प्रदेश में जारी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दौरान बूथ लेवल ऑफिसरों (BLO) की लगातार मौतों और बीमार होने की घटनाओं ने प्रशासन से लेकर कर्मचारी संगठनों तक सभी को चिंता में डाल दिया है। पिछले 10 दिनों में प्रदेश में 6 बीएलओ की मौत दर्ज की गई है, जबकि कई कर्मचारी अस्पताल में भर्ती हैं। परिजनों का आरोप है कि भारी काम के दबाव और तनाव के कारण मौतें हुई हैं, वहीं निर्वाचन विभाग का कहना है कि मौतों का कारण बीमारियों की अनदेखी और हादसे हैं। दूसरी ओर कर्मचारी संगठन इसे “काम के बोझ का नतीजा” बता रहे हैं।
5.74 करोड़ मतदाताओं का डेटा, 65 हजार बीएलओ पर जिम्मेदारी
प्रदेश में 4 नवंबर से मतदाता सूची के डिजिटलाइजेशन का बड़ा अभियान चल रहा है। इसमें लगभग 5.74 करोड़ मतदाताओं की जानकारी अपडेट करने का काम 65 हजार बीएलओ द्वारा किया जा रहा है। निर्धारित डेडलाइन नजदीक आने से कर्मचारियों पर लगातार प्रेशर बढ़ रहा है।
घटनाओं की चिंताजनक श्रृंखला
सूत्रों के अनुसार, शहडोल के सोहागपुर में बीएलओ मनीराम नापित लोगों से फॉर्म ले रहे थे तभी एक अधिकारी का फोन आया। कॉल के तुरंत बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई और अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई। पिपरिया (नर्मदापुरम) में शिक्षक और बीएलओ सुजान सिंह रघुवंशी एसआईआर सर्वे से लौटते समय ट्रेन की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हुए और बाद में अस्पताल में उनका निधन हो गया। मंडीदीप में ऑनलाइन मीटिंग खत्म होने के कुछ ही मिनट बाद बीएलओ रमाकांत पांडे अचानक बेहोश हुए और अस्पताल ले जाने के दौरान उनकी मौत हो गई।
झाबुआ में बीएलओ भुवन सिंह को कुछ दिन पहले लापरवाही बताकर निलंबित किया गया था। परिजनों का कहना है कि निलंबन से वह गहरे मानसिक तनाव में थे और इसी सदमे में उन्हें हार्ट अटैक आया। इसी तरह दमोह और बालाघाट में भी दो बीएलओ की तबीयत बिगड़ने के बाद इलाज के दौरान मौत हो गई। एक परिजन ने आरोप लगाया कि “लगातार काम का दबाव और भागदौड़ ने उनकी स्थिति खराब कर दी।”
बीएलओ अस्पताल में भर्ती
भोपाल, रीवा और भिंड में कई बीएलओ को हार्ट अटैक और ब्रेन हेमरेज के मामले सामने आए हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि बीमारी के बावजूद अधिकारियों ने उनसे काम पूरा करने का दबाव बनाया।
कर्मचारी संघ ने उठाई मुआवजे की मांग
मप्र तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने चुनाव आयोग को पत्र भेजकर मांग की है कि मृत बीएलओ के परिवारों को 15 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए और बीमार कर्मचारियों का इलाज चुनाव ड्यूटी की तरह शासन खर्च पर कराया जाए।
एसआईआर प्रगति रिपोर्ट: एमपी चौथे स्थान पर
मतदाता सूची के डिजिटाइजेशन को लेकर नवीनतम रिपोर्ट में बताया गया है कि 25 नवंबर दोपहर 12 बजे तक मध्य प्रदेश ने 72.29% काम पूरा कर लिया है। इससे राज्य देशभर में चौथे स्थान पर पहुंचा है। हालांकि बीएलओ को सर्वर की समस्या, लगातार फील्ड विजिट और हजारों रिकॉर्ड के पुनः सत्यापन जैसी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं राजस्थान देश में पहले स्थान पर है, जहां 3,000 से अधिक बूथों पर 100% डिजिटाइजेशन पूरा कर लिया गया है।
4 दिसंबर तक चलेगा सर्वे
निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, 4 दिसंबर तक बीएलओ मतदाताओं के घरों तक फॉर्म पहुंचाने और भरे हुए फॉर्म वापस लेने का काम पूरा करेंगे। इसके बाद 9 दिसंबर को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। जिन मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट में नहीं होंगे, वे जिला निर्वाचन अधिकारी के पास अपील कर सकेंगे। यदि वहां अपील खारिज होती है, तो राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के समक्ष भी अपील दायर की जा सकेगी। मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा में चार नवंबर से एसआईआर का काम चल रहा हैं। प्रदेश के कुल 5 करोड़ 74 लाख 5 हजार वोटर्स के फार्म डिजिटलाइज होने हैं। इस काम में 65 हजार 14 बूथ लेवल ऑफियर ड्यूटी पर लगे है।