July 3, 2025

अफसर नहीं कर रहे काम, भ्रष्टाचार हावी सरकारी जमीनों में अतिक्रमण के मामले लंबित,

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Officers are not working, cases of encroachment are pending in government lands dominated by corruption,

बगैर चढौतरी दिए नहीं हो रहे काम नामांतरण और सीमांकन कराने आमजन परेशान, अफसर नहीं कर रहे काम भ्रष्टाचार हावी सरकारी जमीनों में अतिक्रमण के मामले भी लंबित हैं

Sahara Samachaar; Katni; MP Revenue Department;

Special Correspondent, Sahara Samachaar, Katni.

कटनी। किसानों से जुड़ी समस्याओं को लेकर समय पर काम नहीं हो रहा है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हजारों नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन के प्रकरण लंबित पड़े हैं। राजस्व वर्ष बीतने के कुछ माह शेष हैं, बावजदू इसके प्रकरणों का समय पर निराकरण नहीं हो रहा है। तहसीलदार, नायब तहसीलदार, एसडीएम, एडीएम कार्यालय में प्रकरणों का निराकरण करने अफसर कई प्रकरणों में रूचि नहीं ले रहे हंै। प्रकरण न सिर्फ अफसरों के लिए चुनौती बने हैं बल्कि कई जगह भ्रष्टाचार हावी होने के चलते लंबित पड़े हैं। कलेक्टर द्वारा सतत निगरानी और समीक्षा किए जाने के बाद भी लोगों को न्याय न मिलना सवालों के घेरे में है। रेवन्यू केस मनेजमेंट सिस्टम (आरसीएमएस) भी पक्षकारों के लिए काम नहीं आ रहा है। जिलेभर में 4 हजार 389 प्रकरण लंबित हैं। नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन के प्रकरणों का समय से निराकरण नहीं होने के चलते जमीनी विवाद बढ़ रहे हैं। सरकारी गैर सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण के भी प्रकरण बढ़े हैं। जबकि नियम है कि अधिकतम 45 दिन के भीतर विवादित प्रकरणों का निराकरण करना है।

यहां लंबित हैं इतने प्रकरण
कार्यालय दर्ज लंबित
तहसीलदार नगर 3389 900
नायब तहसीलदार सिलौंड़ी 363 64
नायब तहसीलदार उमरियापान 999 88
नायब तहसीलदार सिनगौड़ी 811 326
नायब तहसीलदार बिलहरी 1204 219
नायब तहसीलदार मुड़वारा-2 1496 330
नायब तहसीलदार पहाड़ी 689 121
नायब तहसीलदार बाकल 1015 147
तहसीलदार स्लीमनाबाद 1868 284
तहसीलदार विजयराघवगढ़ 1233 306
तहसीलदार बरही 1476 299
तहसीलदार बड़वारा 1923 296
तहसीलदार रीठी 1735 322
तहसीलदार कटनी 1154 223
तहसीलदार ढीमरखेड़ा 785 176
तहसीलदार बहोरीबंद 1426 279

  • 15633 प्रकरण चालू राजस्व वर्ष में हुए दर्ज।
  • 1009 प्रकरण चालू माह में दर्ज हुए।
  • 16642 कुल दर्ज हुए नामांतरण के ममाले।
  • 17177 प्रकरण सालभर में हुए निराकृत।
  • 833 प्रकरणों का चालू माह में हुआ निराकरण।

यह है लंबित प्रकरणों की स्थिति
नामांतरण के प्रकरण जो सीधे दर्ज हुई हैं उनकी लंबी लिस्ट है जो लंबित पड़े हैं। तीन माह से 2 हजार 978 प्रकरण, 3 से 6 माह तक के अंतराल में 1024 प्रकरण, 6 माह से एक वर्ष तक 373 प्रकरण, एक से दो वर्ष तक 14 प्रकरण लंबित पड़े हैं। लोग कार्यालयों के चक्कर काटकर परेशान हैं।

लोकसेवा केंद्र से पहुंचे मामले भी लंबित
सरकार द्वारा लोक सेवा गारंटी अधिनियम लागू किया गया है, जिसके तहत एकदम तय मियाद में काम होने हैं। लोकसेवा के माध्यम से 16 तहसीलदार व नायब तहसीलदार कार्यालय में भेजे एक हजार से अधिक सीमांकन, नामांतरण के प्रकरण लंबित हैं। इसमें 1330 सीमांकन व 55 प्रकरण नामांतरण के लंबित हैं। जबकि इनको 30 दिवस के अंदर कार्रवाई व 3 दिवस के अंदर पटवारी व आरआइ के द्वारा रिकॉर्ड सुधार कर दिया जाना था।

प्रकरणों में समझें गफलतबाजी
केस-1
नायब तहसीलदार मुड़वारा द्वारा 5 अक्टूबर 23 को नामांतरण प्रकरण में आदेश पारित किया गया कि रामलाल पिता सुखनंदी पटेल निवासी ग्राम जुहला द्वारा पटवारी हलका नंबर 27 रानिमं मुड़वारा-2 खसरा नंबर 266/2 रकबा 0.538 हेक्टेयर का नक्शा बटांकन के लिए दस्तावेज प्रस्तुत करने पर आदेश हुआ। यह जमीन शहडोल बायपास मार्ग पर स्थित है, लेकिन इस मामले में बटांकन करने के स्थान पर हलका पटवारी विनीत सिंह द्वारा एसडीएम न्यायालय में पुन: मौका की जांच कर कार्रवाई किए जाने का प्रस्ताव पेश किया गया। इस मामले की सुनवाई करते हुए 10 नवंबर को अनुविभागीय अधिकारी ने सुनवाई के बाद आदेश पारित किया कि प्रकरण में राजस्व निरीक्षक द्वारा पंचनामा एवं नक्शा बंटाकन प्रस्ताव में आरआइ व पटवारी के हस्ताक्षर हैं। लेकिन आदेश पर अमल न करते हुए पटवारी द्वारा 16 अक्टूबर को न्यायालय के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया गया वहीं दूसरी ओर बंटाकनधारियों ने कोई आपत्ति नहीं लगाई। एसडीएम न्यायालय ने नायब तहसीलदार के आदेश को स्थिर रखा है व पटवारी के इस कृत्य को एसडीएम ने संदेहास्पद माना है। आरई व पटवारी को रिकॉर्ड दुरुस्त करने आदेश 10 नवंबर को पारित किया गया, बावजूद इसके आदेश का पालन नहीं हुआ।

केस 02
खसरा का ही नहीं बताया पता
कमल कुमार यादव निवासी रेलवे कॉलोनी झुकेही ने 27 मई 2019 को शिवा बिल्डकॉन आदर्श कॉलोनी कटनी में 105 नंबर प्लाट क्रय किया गया। नामांतरण के लिए तहसीलदान नगर न्यायालय में 12 जुलाई 19 को प्रकरण लगाया गया। यहां से प्रकरण खारिज हो गया कि जहां पर जमीन ली गई है व किस खसरे का अंशभाग है वह अंकित नहीं है, बैनामा में खसरे का संशोधन कराएं। 25 सितंबर 19 को मामला एसडीएम न्यायालय में पहुंचा। तहसीलदार के आदेश को अनुविभागीय अधिकारी ने स्थित रखा। इसके बाद कमल कुमार द्वारा 17 फरवरी 2020 को प्रकरण कलेक्टर न्यायालय में अपील की गई, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। कॉलोनाइजर द्वारा भी कोई मदद नहीं की गई। 19 अगस्त 21 में उपभोक्ता फोरम से भी खसरे का संसोधन के लिए आदेश हुआ, लेकिन सुनवाई नहीं हुई, जबकि अन्य लोगों के नामांतरण यहीं पर कर दिए गए हैं।

केस यह भी
रकबा हो गया खत्म
प्रीति यादव निवासी गाताखेड़ा तसहीलदार न्यायालय कटनी ग्रामीण में लोक सेवा के माध्यम से 21 जनवरी 2020 को प्रकरण नामांतरण के लिए पेश किया गया। 12 मार्च 20 को तहसीलदार ने आदेश पारित करते हुए पटवारी को तीन दिवस के अंदर रिकॉर्ड दुरुस्त करने कहा गया, लेकिन अबतक नहीं हुआ, जबकि पटवारी द्वारा अन्य 15 लोगों के रिकॉर्ड का सुधार कर दिया गया है। जब निष्पादन का आवेदन लगाया गया तो पटवारी ने यह कह दिया कि वहां पर रकबा खत्म हो गया है। जब अनुविभागीय अधिकारी के 28 अप्रेल 22 को अपील की गई तो यहां भी कोई हल नहीं निकला, अब फिर द्वितीय अपील में 28 अप्रेल से मामला कलेक्टर न्यायालय में है।

केस 4
एक साल में नहीं सुधरा रिकॉर्ड
प्रेमशंकर यादव निवासी गाताखेड़ा का प्रकरण में सुनवाई करते हुए नामांतरण के लिए नवंबर 22 में प्रकरण तहसीलदार न्यायालय में लगाया गया। माह मार्च में आदेश हो गया था, 5 हजार की पेनाल्टी भी लगी, जिसे चालान के माध्यम से जमा किया गया। पटवारी को रिकॉर्ड दुरुस्त करने के आदेश हुए, लेकिन आजतक रिकॉर्ड अद्यतन नहीं हुआ, भूमि स्वामी दो साल से परेशान है।

चढ़ोत्तरी प्रथा हावी
सूत्रों के हवालों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कई जगह पर भ्रष्टाचार हावी है। बगैर चढ़ोत्तरी के नामांकन, सीमांकन, बटांकन आदि काम हो ही नहीं रहे हैं। पूर्व में कई पटवारियों को लोकायुक्त ने ट्रैप भी किया है। पटवारी, आरआइ रिपोर्ट बनाने से लेकर तहसीलदारों से नामांतरण कराने व रिकॉर्ड दुरुस्त करने का ठेका लेते हैं।

आरसीएमएस व्यवस्था भी बेमानी
पक्षकारों को समय से न्याय मिले, इस उद्देश्य को लेकर आरसीएमएस व्यवस्था शुरू की गई। इसके बावजूद भी प्रकरणों का निराकरण समय से नहीं हो रही है। पक्षकारों के लिए सरकार की नई व्यवस्था भी बेमानी है। आरसीएएमएस व्यवस्था शुरू होने के बाद भी समय से न्याय नहीं मिल रहा है।

इनका कहना है
विधानसभा चुनाव के कारण कुछ काम-काज प्रभावित हुए हैं। अब सतत निगरानी की जा रही है। तहसीलदार, नायब तहसीलदार व अनुविभागीय अधिकारी के न्यायालयों में नामांतरण, सीमांकन, बंटाकन आदि के प्रकरण क्यों लंबित हैं तो इसकी बरीकी से समीक्षा की जाएगी। यदी कहीं पर गड़बड़ी हुई है तो उसकी जांच कराते हुए दोषियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। लोगों के काम तय समय सीमा में नियम संगत हों यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
अवि प्रसाद, कलेक्टर।

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