December 22, 2024

अहोई अष्टमी व्रत, बच्चों की दीर्घायु, सुख और समृद्धि के लिए रखने वाला व्रत

0

अहोई अष्टमी का व्रत भारतीय संस्कृति में माताओं द्वारा अपने बच्चों की दीर्घायु, सुख और समृद्धि के लिए रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उत्तर भारत में बहुत प्रचलित है।

अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत में माताएं पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं और शाम को तारों को देखकर व्रत खोलती हैं। यह व्रत खासतौर पर संतान सुख और उसकी लंबी आयु के लिए समर्पित होता है।

अहोई अष्टमी पर तारों को क्यों पूजा जाता है?
अहोई अष्टमी पर तारों को देखकर व्रत खोलने की परंपरा का धार्मिक महत्व है। इस व्रत का उद्देश्य संतान की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करना होता है। तारों का संबंध संतान की सुरक्षा और दीर्घायु से जोड़ा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, तारों को देखकर व्रत खोलने से मां को संतान के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन तारों का दर्शन करना शुभ माना जाता है, और पूजा के बाद ही महिलाएं अपना व्रत पूर्ण करती हैं।

अहोई अष्टमी व्रत की परंपरा
अहोई अष्टमी व्रत को तारों के दर्शन के बाद ही पूर्ण माना जाता है। तारों को देखकर व्रत खोलने की परंपरा का संबंध कई धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। यह माना जाता है कि तारों का संबंध संतान से है, और उनका आशीर्वाद लेकर मां अपने बच्चों की रक्षा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करती है। इस परंपरा के पीछे एक कथा भी प्रचलित है:

प्राचीन कथा के अनुसार, एक समय एक स्त्री अपने सात पुत्रों के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर रही थी। वह दिवाली के पहले दीवारें लीपने के लिए मिट्टी खोदने गई थी, तब गलती से उसकी खुरपी से एक शेर के बच्चे की मौत हो गई। इस घटना के बाद, उस महिला को श्राप मिला, जिससे उसके सभी पुत्रों की मृत्यु हो गई। श्राप से मुक्ति के लिए उसने तपस्या और व्रत किए। उसे सलाह दी गई कि वह कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को अहोई माता की पूजा करके व्रत रखे और संतान सुख की कामना करे। इसके बाद से यह परंपरा शुरू हुई कि माताएं अपनी संतान की भलाई के लिए यह व्रत रखती हैं।

अहोई अष्टमी व्रत की पूजा विधि और महत्व
अहोई अष्टमी के दिन माताएं अहोई माता की पूजा करती हैं, उनके चित्र के साथ सात तारों की प्रतीकात्मक पूजा भी की जाती है। तारों का महत्व इस व्रत में इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि उन्हें संतान की दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रत रखने वाली माताएं शाम को तारों के दर्शन करने के बाद व्रत खोलती हैं, ताकि उनके बच्चों की उम्र लंबी हो और उनका जीवन सुखमय हो। यह व्रत न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि मातृत्व के प्रेम और देखभाल का भी प्रतीक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

slot server thailand super gacor

spaceman slot gacor

slot gacor 777

slot gacor

Nexus Slot Engine

bonus new member

https://www.btklpppalembang.com/

olympus

situs slot bet 200

slot gacor

slot qris

link alternatif ceriabet

slot kamboja

slot 10 ribu

https://mediatamanews.com/

slot88 resmi

slot777

https://sandcastlefunco.com/

slot bet 100

situs judi bola

slot depo 10k