धूमधाम से मनाया गया भुजारिया का पर्व, चंद्रभागा नदी में किया गया विसर्जन
Bhujariya festival celebrated with pomp, immersion in Chandrabhaga river.
- आमला नगर क़े इतवारी चौक श्री कृष्ण मंदिर में एकत्रित हुए भुजारिया…
हरिप्रसाद गोहे
आमला। प्राकृति के स्वागत उपासना से जुड़ा पारंपरिक पर्व भुजारिया आमला सहित अंचल के विभिन्न ग्रामों में हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया वहीं आमला के इतवारी चौक स्थित श्री कृष्ण मंदिर में बड़ी संख्या में महिलाओं ने एकत्रित होकर भुजारिया का पर्व माना भुजारिया का विसर्जन स्थानीय चंद्रभागा नदी में किया गया इस मौके पर बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद रही ।
भाजपा महिला मोर्चा मीडिया प्रभारी सपना सोनी से प्राप्त जानकारी अनुसार प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी कृष्ण मंदिर में भुजरिया एकत्रित हुए और पूंजा की गयी!!सुबह से इस पर्व को लेकर उल्लास का माहोल था । इस दौरान भुजरियों को एक जगह एकत्रित कर पूरे परिवार के साथ बैठकर लोगों ने पूजा-अर्चना की । बाद भुजरियों को चंद्रभागा नदी पर जाकर विसर्जन कर प्रसाद का वितरण किया गया। साथ मे बचे भुजरिया को सर्व प्रथम भगवान को भेंट किया गया। इसके बाद लोगों ने एक दूसरे से भुजरियां बदलकर अपने गिले-सिकवे भुलाकर गले मिले ।
यह है भुजरियां पर्व
भुजरियां का पर्व सौभाग्य और भाईचारे का प्रतीक भी माना जाता है। पारंपरिक त्योहार प्रकृति के स्वागत और उसकी उपासना से जुड़ा है। माना जाता है कि मैहर में विराजित मां शारदा देवी के वरदान से अमर हुए आल्हा-ऊदल की बहन से भी इस पर्व का गहरा संबंध है। आल्हा की मुंह बोली बहन चंदा के सुरक्षित बचने पर लोगों ने एक-दूसरे को हरित तृण देकर खुशियां मनाईं थीं। हालांकि, यह पर्व भारत की कृषि आधारित परंपरा से जुड़ा है । इसमें बारिश के बाद खेतों में लहलहाती खरीफ की फसल से आनंदित किसान एक-दूसरे को हरित तृण यानी कजलियां भेंट करके सुख और सौभाग्य की कामना करते हैं। यही कजलियां सबसे पहले कुलदेवता व अन्य देवताओं को अर्पित कर सुख-सौभाग्य की कामना की जाती है। एक-दूसरे का सुख-दुख बांटकर जीवन की खुशहाली की कामना करते है
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