पेंशनभोगियों के खिलाफ पारित कानून का कामरेड चंद्रशेखर पुरी ने किया विरोध ।

Comrade Chandrashekhar Puri protested
Comrade Chandrashekhar Puri protested against the law passed against pensioners.
- कानून को बताया सरकारी कर्मचारियों के हीतो के खिलाफ ।
- सरकार से विधेयक को रद्द करने की मांग ।
हरिप्रसाद गोहे
आमला। ऑल इंडिया डिफेंस एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय कार्यकारणी (विशेष आमंत्रित) सदस्य, वायु भवन, नई दिल्ली जे सी एम सदस्य एवं हिंद मजदूर सभा (मध्य प्रदेश) राज्य कार्यकारणी सदस्य कॉमरेड चन्द्रशेखर पुरी ने केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लोकसभा में पारित एक विधेयक को लेकर कड़ा विरोध जताया है। पुरी ने इस कानून को पेंशनभोगियों के बीच भेदभावपूर्ण करार देते हुए इसे सरकारी कर्मचारियों के हितों के खिलाफ बताया है । उनका कहना है कि वित्त विधेयक 2025 के तहत पारित यह नया कानून सरकार को यह अधिकार देता है कि वह वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने में पेंशनभोगियों के साथ भेदभाव कर सके। यह सरकार द्वारा अपनाया गया एक अन्यायपूर्ण और भ्रामक कदम है, जो नवउदारवादी ताकतों के इशारे पर लागू किया जा रहा है।
कानून की प्रावधानों पर आपत्ति
कामरेड पुरी ने कहा कि यह कानून पेंशनभोगियों को सेवानिवृत्ति की तारीख के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर उनके साथ अन्याय करता है। खास बात यह है कि इस कानून को 1 जून 1972 से पूर्वव्यापी रूप से लागू किया गया है, जिससे हजारों पेंशनभोगी प्रभावित होंगे। यह सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972, 2021 और 2023 के तहत बनाए गए नियमों को भी प्रभावित करता है। पुरी का आरोप है कि यह कानून गारंटीड ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS), न्यू पेंशन स्कीम (NPS) और हाल ही में लाई गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के तहत आने वाले सभी पेंशनभोगियों के अधिकारों को कमजोर करेगा। सरकार इस कानून को 1 अप्रैल 2025 से लागू करने की अधिसूचना जारी कर चुकी है।
सरकार पर साधा निशाना
पुरी ने इस कानून को मोदी सरकार की कर्मचारी-विरोधी नीति का हिस्सा बताया और कहा कि यह श्रमिकों और पेंशनभोगियों के हकों पर सीधा हमला है। इस संबंध में ए आई डी एफ एवं सभी केंद्रीय श्रम संगठन ने चेतावनी दी कि कर्मचारी और पेंशनभोगी पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे। कामरेड चन्द्रशेखर पुरी ने केंद्र सरकार से इस विधेयक को रद्द करने की मांग की है और पेंशनभोगियों के समर्थन में आंदोलन जारी रखने की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि सभी केन्द्रीय संगठनों ने कहा कि यह लड़ाई कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ी जाएगी और किसी भी भेदभावपूर्ण नीति को स्वीकार नहीं किया जाएगा।