क्रूरता प्रमाणित नहीं एक पक्षीय तलाक का निर्णय निरस्त ।

Cruelty not proved unilateral divorce decision cancelled.
Cruelty not proved unilateral divorce decision cancelled.
हरिप्रसाद गोहे
आमला । अपर जिला न्यायाधीश आमला कोर्ट ने एक अनूठा फैसला सुनाते हुए पति-पत्नी के बीच हुए तलाक को निरस्त कर दिया है । मामला 2013 का है, जब एक युवक और युवती ने प्रेम विवाह किया था । दंपति 6 महीने तक बड़े शहर में रहे और बाद में अपने गांव में बस गए ।
पत्नी ने तलाक की याचिका पेश करते समय याचिका में आरोप लगाया कि विवाह के कुछ समय बाद से पति शराब पीने का आदी हो गया और पत्नी पर परिवार में कर्तव्य और दायित्व का निर्वहन नहीं करने और कुछ व्यक्तिगत आरोप लगाने लगा । दूसरी तरफ,पति ने भी पत्नी को साथ रखने की याचिका दायर कर पत्नी पर झूठे व्यक्तिगत आरोप लगाने और सोशल मीडिया पर निजी जानकारी सार्वजनिक करने का झूठा आरोप लगाया । साथ ही दहेज प्रताड़ना की शिकायत भी की विचारण
सुनवाई के दौरान पति बीमार होने के कारण निर्धारित पेशी पर अदालत नहीं पहुंच पाया कोर्ट ने एकपक्षीय तलाक दे दिया था । पति के वकील राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि पति ने इस फैसले के खिलाफ एक पक्षीय तलाक को चुनौती दी और कहा कि वह पत्नी के साथ दांपत्य जीवन बिताना चाहता है । दंपति का एक बच्चा है जो पिता के साथ रहता है। कोर्ट ने पुनः दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर दिया । मामले में निर्णायक मोड़ तब आया जब बच्चे ने अदालत में कहा कि वह अपनी मां और पिता दोनों के साथ रहना चाहता है । बच्चे ने यह भी कहा कि मां ने काफी लंबे समय से मुलाकात नहीं की कोर्ट ने यह भी ध्यान में रखा कि प्रेम विवाह के तीन साल तक पत्नी ने दहेज का कोई आरोप नहीं लगाया था । सोशल मीडिया के तथ्यों को भी कोर्ट में साबित नहीं किया यहां तक कि पुत्र किस कक्षा में पढ़ता है, उसका जीवन कैसा चल रहा है , इस पर कोई संतोष जनक जवाब नहीं दिया जबकि बच्चे ने कहा कि वह जब भी अपनी मां से मिलने जाता है तो उसे मिलने नहीं दिया जाता ।
पति किसान है और पत्नी गृहिणी है। कोर्ट ने पाया कि मामला क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता। बच्चे की भावनाओं को देखते हुए और पत्नी के द्वारा आरोप साबित नहीं करने और सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद कोर्ट ने एक पक्षीय तलाक को निरस्त कर दिया ।