शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय : मप्र का सबसे बड़ा हर्बल गार्डन बनाया जा रहा है जिसमें दुर्लभ प्रजाति के औषधि पौधे लगाए जाएंगे
Government Dhanvantari Ayurved College: Madhya Pradesh’s largest herbal garden is being built in which rare species of medicinal plants will be planted.
उज्जैन। सरकारी महाविद्यालय के मामले में मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा हर्बल गार्डन (औषधीय उद्यान) उज्जैन के ‘शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय’ में तैयार हो रहा है। लगभग 25 हजार वर्ग फीट के गार्डन में 1600 गड्डे खोदे जा चुके हैं, जहां 400 दुर्लभ प्रजातियों के 1100 औषधीय पौधे सोमवार से रोपे जाएंगे। ऐसा उज्जैन को औषधीय पर्यटन और शोध का सबसे बड़ा केंद्र बनाने के लिए किया जा रहा है।
सन् 1969 में हुई थी महाविद्यालय की स्थापना
मालूम हो कि मंगलनाथ क्षेत्र में स्थित शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय की स्थापना सन् 1969 में हुई थी। वर्तमान में स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पढ़ने को यहां 415 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं और इन्हें पढ़ाने को विभिन्न श्रेणी के 30 शिक्षक नियुक्ति है। 32 पद रिक्त हैं।
पुराना भवन तोड़कर नया बनाया
तीन साल पहले सरकार ने महाविद्यालय का 70 साल पुराना भवन तोड़कर 19 करोड़ 37 लाख रुपये से बनवाया था। 29 मई 2023 को उज्जैन आए तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने इस भवन का कालिदास संस्कृत अकादमी से वर्चुअल लोकार्पण किया था। उनकी उपस्थिति को आयुर्वेद शिक्षक, चिकित्सक एवं मरीजों के लिए वरदान माना गया था।
चार एकड़ भूमि पर पांच हजार पौधों का रोपण किया गया है। इनकी बेहतर देखरेख की जा रही है। अब राजस्थान से लाए गए 160 प्रजाति के औषधीय पौधे लगाए जाना हैं।
डाॅ. जेपी चौरसिया, प्राचार्य शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय
अब बनाया जा रहा हर्बल गार्डन
इसी कड़ी में यहां एक करोड़ रुपये से डिजिटल ई-लाइब्रेरी तैयार हुई और अब हर्बल गार्डन तैयार किया जा रहा है। अगले कुछ महीनों में यहां एक करोड़ 84 लाख रुपये से छह स्मार्ट क्लासरूम भी बन जाएंगे। निर्माण के लिए निविदा की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।
धन्वंतरि आयुर्वेद औषधि विद्या वन रखा नाम
प्राचार्य डाॅ. जेपी चौरसिया ने बताया कि हर्बल गार्डन का नाम ‘धन्वंतरि आयुर्वेद औषधि विद्या वन’ रखा गया है। महाविद्यालय परिसर हरियाली से आच्छादित है। यहां चार एकड़ भूमि पर पहले से पांच हजार पौधे रोपे जा चुके हैं, जिनका संरक्षण-संवर्धन किया जा रहा है। 160 प्रजाति के औषधीय पौधे पड़ोसी राज्य राजस्थान के झालावाड़-पाटन शहर से 80 हजार रुपये में खरीदकर लाए हैं। शेष पौधे इंदौर, रतलाम, उज्जैन की नर्सरी से खरीदे हैं। कुछ पौधे नगर निगम ने भी उपलब्ध कराने की बात कही है। यहीं नक्षत्र वाटिका, राशि वाटिका, नवग्रह वाटिका, तीर्थंकर वाटिका भी तैयार की जाएगी।
यह भी जानिये
धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय में 14 में से केवल पांच विषय में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की पढ़ाई कराई जा रही है, जबकि महाविद्यालय 14 विषयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पढ़ाने के लिए समर्थ है। कमी है तो केवल फैकल्टी की ।
खास बात ये है कि नेशनल कमीशन ऑफ इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (एनसीआईएसएम) ने इस साल यहां स्नातक पाठ्यक्रम बीएएमएस की सीटों की संख्या 75 से घटाकर 65 कर दी है। इसका कारण भी फैकल्टी की कमी बताया है।
ध्यान देने वाली बात ये है कि 9 सितंबर 2018 को हुई महाविद्यालय की साधारण सभा में निर्णय लिया गया था सभी 14 विषयों में यहां स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की पढ़ाई कराई जाएगी और स्नातक पाठ्यक्रम में सीटों की संख्या 75 से बढ़ाकर 100 की जाएगी।
वर्तमान में यहां प्रोफेसर के 15 में से 12, एसोसिएट प्रोफेसर के 17 में से 5 और लेक्चरर के 19 में से 13 पद रिक्त हैं। मेडिकल ऑफिसर यहां फैकल्टी के रूप में पढ़ा रहे हैं।
इस वर्ष स्त्री रोग और पंचकर्म विषय में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पढ़ाना शुरू किया है। पिछले वर्ष तक केवल कायचिकित्सा, रचना शरीर और द्रव्यगुण विषय में ही यहां स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पढ़ने की सुविधा थी।