February 23, 2025

चाइना के यूरिया से भारत बनेगा आत्मानिर्भर ,जानिए पूरी कहानी.

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India will become self-reliant in urea production with China’s assistance – learn the entire story.

नई दिल्ली: चाइना से आया यूरिया, बोरी पे लिखा आत्मानिर्भर भारत, जानिए पूरी कहानी – यूरिया की एक बोरी की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

यह बोरी का फोटो दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी कंपनी इफको (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड) का है। इस फोटो में यूरिया की बोरी पर एक ओर लिखा है ‘सशक्त किसान-आत्मनिर्भर भारत’ और वही दूसरी ओर इस खाद का उद्गम स्थल चाइना को बताया गया है।

इसी भ्रम को लेकर इस बोरी की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इसी बीच इफको के एमडी डॉ. यूएस अवस्थी ने इस वायरल फोटो पर टिप्पणी की हैं। डॉ. अवस्थी ने इस वायरल की जा रही फोटो को भ्रामक बताते हुए कहा कि ऐसा करने वाले लोगो के पास समझ का अभाव हैं। वैसे आजकल एआई के समय में तकनीकी तौर पर देखा जाए तो बहुत हद तक डॉ. अवस्थी की बात सही भी हैं।

भारत में 30 मिलियन टन यूरिया उत्पादन की क्षमता है, जिसमें से 90% उत्पादन क्षमता का उपयोग किया जाता है। यूरिया की बाकि जरूरतो के लिए उर्वरक कंपनियां दूसरे देशों से आयात करती हैं। ये जानना जरूरी हैं कि भारत अभी तक आत्मनिर्भर नहीं हैं लेकिन भारत सरकार 2025-26 तक य़ूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर होने की कोशिश कर रहा हैं।

आत्मनिर्भर भारत-सशक्त किसान‘ का नारा
आत्मनिर्भर भारत-सशक्त किसान’ का नारा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश की आर्थिक विकास योजनाओं के लिए इस नारे का इस्तेमाल किया और इसे लोकप्रिय बनाया। ‘आत्मनिर्भर भारत’ की प्रमुख कड़ी है आत्मनिर्भर किसान। श्री नरेंद्र मोदी ने ‘सशक्त और समृद्ध किसान, आत्मनिर्भर भारत’ की पहचान बताई है।

‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत, देश के कृषि क्षेत्र को मज़बूत करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। इन प्रयासों से देश के किसान लाभान्वित हो रहे हैं और सशक्त भारत के निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं।

दरअसल, भारत लंबे समय से खेती-किसानी में अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए रासायिन‍क उर्वरकों का दूसरे देशों से आयात कर रहे हैं। जिसमें यूरिया का आयात सबसे अधिक है। भारत आजादी के 75 साल बाद भी हम उर्वरकों के उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हो सका हैं. लेकिन, अब उस रास्ते पर चल रहे हैं जिसमें आयात को कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। काफी हद तक इसमें सफलता भी मिली है। सरकार कृषि क्षेत्र की मांग को पूरा करने के लिए साल दर साल मजबूरी में खाद का आयात कर रही है।

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