April 16, 2025

एमपी गजब : बीईओ-क्लर्क ने मिल कर शिक्षा विभाग को लगाया 5 करोड़ का चुना: शिक्षकों का वेतन रिश्तेदारों के खातों में डाला, प्राचार्यों की मिलीभगत से फर्जीवाड़ा

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MP Amazing: BEO-Clerk together defrauded the Education Department of Rs 5 crore

MP Amazing: BEO-Clerk together defrauded the Education Department of Rs 5 crore: Teachers’ salaries were transferred to the accounts of relatives, fraud was committed in connivance with the principals

भोपाल (कमलेश)। मध्यप्रदेश में शिक्षा विभाग के कर्मचारी भ्रष्टाचार करने के लिए पत्नियों और रिश्तेदारों के बैंक खातों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका खुलासा शिक्षा विभाग की ही जांच में हुआ है। पिछले महीने रायसेन के सिलवानी बीईओ दफ्तर में 1 करोड़ के गबन के मामले में 26 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।

इनमें शिक्षा विभाग के कर्मचारी, प्राचार्य और रिटायर्ड प्राचार्य शामिल हैं। इनके अलावा जिन 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, वो इन कर्मचारियों की पत्नियां और रिश्तेदार हैं।

ये एकलौता मामला नहीं है। 5 अन्य जिलों में भी गबन के ऐसे ही मामले सामने आए हैं, जिनमें पत्नियों और रिश्तेदारों के अकाउंट में भ्रष्टाचार की करीब 5 करोड़ की रकम ट्रांसफर की गई। 10 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र में भी ये मामला उठ सकता है। आखिर किस तरह पत्नी और रिश्तेदारों के खातों से किया गया भ्रष्टाचार और इन मामलों में क्या एक्शन लिया गया, पढ़िए रिपोर्ट…

अब जानिए, कैसे किया एक करोड़ का गबन

रायसेन के जिला शिक्षा अधिकारी डीडी रजक के मुताबिक, ये पूरा हेरफेर साल 2018 से 2022 के बीच किया गया। सिलवानी विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ क्लर्क चंदन अहिरवार इस गबन का मास्टरमाइंड है। चंदन के पास विकासखंड के अंतर्गत आने वाले हर स्कूल के शिक्षक की बैंक अकाउंट डिटेल होती थी।

रजक बताते हैं कि 2022 तक शिक्षक और अतिथि शिक्षकों की सैलरी का भुगतान वेंडर के जरिए होता था। तब ऑफलाइन ट्रांजेक्शन भी हो जाता था। इसी का फायदा आरोपियों ने उठाया है। चंदन शिक्षक और अतिथि शिक्षकों के नाम के आगे अपने रिश्तेदार या पत्नी का बैंक अकाउंट दर्ज कर वेतन और मानदेय की राशि ट्रांसफर करता था।

उसने पत्नी सुमन अहिरवार के बैंक अकाउंट में 37 लाख रुपए जमा कराए। इसी तरह इस गबन में शामिल बाकी लोगों ने भी करीब 58 लाख रुपए की रकम पत्नियों और रिश्तेदारों के अकाउंट में जमा कराई।

प्राचार्यों की भी मिलीभगत, 3 रिटायर हो चुके
जिला शिक्षा अधिकारी डीडी रजक बताते हैं कि सरकार ने पहले स्कूल के प्राचार्यों को ही डीडीओ (आहरण एवं संवितरण) के अधिकार दिए थे। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि शिक्षकों को सैलरी के लिए संकुल कार्यालय पहुंचना पड़ता था। मगर, शिक्षा विभाग के कर्मचारी और प्राचार्यों ने मिलीभगत कर इस व्यवस्था को पलीता लगाया।

रजक के मुताबिक, इस दौरान पांच स्कूलों के प्राचार्यों को डीडीओ की जिम्मेदारी दी गई थी। इनके साइन से ही रिश्तेदारों के खातों में ये राशि पहुंचाई गई। इसमें इनकी बराबर की भागीदारी है। गड़बड़ी सामने आने के बाद विभागीय स्तर पर जांच की गई तो इनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई गई है।

अब जानिए, कैसे किया पूरा गबन

पासवर्ड बांट दिया: नियमों के मुताबिक, डीडीओ अपना पासवर्ड किसी को साझा नहीं कर सकता। जांच में पाया गया कि डीडीओ ने अपना पासवर्ड कर्मचारियों को दे दिया। इसका इस्तेमाल कर कोषालय से पैसा निकाला गया।

महीने की समीक्षा नहीं हुई: नियमानुसार हर महीने भुगतान की समीक्षा करना जरूरी है, ताकि गड़बड़ियों का पता लगाया जा सके। सिलवानी बीईओ दफ्तर में ये प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। इससे ये पता नहीं चला कि सही व्यक्ति के खाते में पैसा पहुंचा या नहीं।

ई-भुगतान का सत्यापन नहीं: हर महीने ये जांच होना चाहिए कि जो भी ऑनलाइन भुगतान किए हैं, वो सही बैंक अकाउंट में पहुंचे या नहीं। यहां इस प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ।

असली दावेदारों का नाम गायब किया: जब किसी व्यक्ति को भुगतान किया जाता है, तो उसका नाम और बैंक खाता सरकारी डेटाबेस में दर्ज करना जरूरी होता है। जांच में पाया गया कि इस प्रक्रिया को भी नहीं अपनाया गया।

बिल तैयार करने में लापरवाही: कोषालय संहिता 2020 के नियमों के अनुसार, बिल (देयक) बनाने की जिम्मेदारी क्रिएटर की होती है। उसे सॉफ्टवेयर में अपने पासवर्ड से लॉगिन कर भुगतान लेने वाले व्यक्ति का नाम, बैंक खाता नंबर दर्ज करना होता है। अप्रूवर इस बिल की जांच कर कोषालय में जमा करता है। जांच में पाया गया कि इस प्रक्रिया का सही तरीके से पालन नहीं किया गया।

स्वीकृति आदेश में अनियमितता: जब किसी भुगतान को स्वीकृत किया जाता है, तो उसके साथ स्वीकृति आदेश (Approval Order) संलग्न किया जाता है। लेकिन जांच में पाया गया कि कई मामलों में अलग-अलग भुगतान के लिए एक ही स्वीकृति आदेश का उपयोग किया गया। इसके अलावा, कई अधूरे स्वीकृति आदेश भी जारी किए गए और कुछ मामलों में आदेश अटैच ही नहीं किए गए।

ऐसे पांच और मामलों की जांच की जा रही है

रायसेन का ये अकेला मामला नहीं है। पिछले दो साल में गबन के ऐसे 5 और मामले हैं, जिनकी विभागीय जांच की जा रही है। इनमें भी विभागीय अधिकारी, शिक्षक और कर्मचारियों की मिलीभगत पाई गई है।

छिंदवाड़ा: रिश्तेदार-पत्नी और बहन के खातों में 1 करोड़ 32 लाख ट्रांसफ

छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव शिक्षा अधिकारी कार्यालय में 1.32 करोड़ रुपए के गबन का खुलासा जुलाई 2024 में हुआ था। जबलपुर वित्त विभाग की टीम ने सात दिन की जांच के बाद यह फर्जीवाड़ा पकड़ा। इस मामले में पूर्व बीईओ एमआई खान और चौरई संकुल के बाबू तौसिफ खान की मिलीभगत पाई गई।

आरोपियों ने कोरोना में मृत कर्मचारियों की सहायता राशि भी हड़प ली और सरकारी धन को अपने रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर किया गया। वित्त विभाग की टीम को जुन्नारदेव में तकरीबन 1 करोड़ 44 लाख के घोटाले की आशंका थी। इसमें से 1 करोड़ 32 लाख की पुष्टि हो चुकी है।

क्या हुआ: जिला शिक्षा अधिकारी गोपाल सिंह बघेल ने बताया कि आरोपियों पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। सभी को निलंबित कर दिया है। उनसे राशि वसूल करने की प्रक्रिया जारी है।

ग्वालियर: अलग-अलग खातों में 47 लाख ट्रांसफर

ग्वालियर के विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) कार्यालय डबरा में 2024 में 47 लाख रुपए के गबन का मामला सामने आया था। इस गड़बड़ी को भोपाल की ऑडिट टीम ने पकड़ा था। यह राशि सात अलग-अलग खातों में ट्रांसफर की गई, जिनमें तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी विकास जोशी का खाता भी शामिल था।

जांच के दौरान यह पाया गया कि इन खातों में बार-बार ट्रांजेक्शन किए गए थे। ये पैसा स्टाफ के वेतन का बताया गया था।

क्या हुआ: इस जांच की रिपोर्ट अभी तक सब्मिट नहीं की गई है।

धार: पत्नी के अकाउंट में जमा किए सवा करोड़ रुपए

धार जिले के निसरपुर विकासखंड शिक्षा कार्यालय में पदस्थ एक अकाउंटेंट ने चार साल तक (2019-2023) वेतन, एरियर की सवा करोड़ रुपए की हेराफेरी की थी। उसने यह राशि कर्मचारियों के खातों में भेजने के बजाय खुद के, पत्नी (जो छात्रावास अधीक्षिका थी) और अन्य दो व्यक्तियों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी।

घोटाले में अकाउंटेंट काशीराम एस्के और उसकी पत्नी अंतिम बाई एस्के के अलावा दो और कर्मचारियों की भूमिका थी।

क्या हुआ: गबन की पुष्टि होने के बाद 64 लाख रुपए की रिकवरी। आरोपियों को निलंबित किया। बाकी की राशि की रिकवरी की प्रक्रिया जारी।

गुना: रिश्तेदारों के खाते में 1.13 करोड़ ट्रांसफर

गुना जिले के चाचौड़ा ब्लॉक में साल 2022 में 1.13 करोड़ रुपए के गबन का मामला सामने आया था। शिक्षा विभाग के तीन कर्मचारियों ने एरियर की राशि शिक्षकों के बजाय अपने परिवारजन के खातों में ट्रांसफर कर ली। यह गड़बड़ी 2018 से 2022 के बीच हुई थी। मामला सामने आने के बाद जांच हुई। इसमें अकाउंटेंट स्वाति जैन, मुकुट बिहारी प्रजापति और प्यून नारायण लाल घोसी की भूमिका पाई गई।

क्या हुआ: जिला शिक्षा अधिकारी चंद्रशेखर सिसोदिया ने बताया कि तीनों को निलंबित कर दिया है। आधा पैसा रिकवर किया जा चुका है, बाकी की रिकवरी चाचौड़ा ब्लॉक से की जा रही है।

बालाघाट: 86 लाख रुपए रिश्तेदारों के खातों में जमा

बालाघाट जिले में शिक्षा विभाग के 15 कर्मचारियों ने सरकारी राशि में गबन किया था। जिला शिक्षा अधिकारी अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि 2018 से 2023 के बीच सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर कर कोषालय के माध्यम से राशि निकाली गई और अलग-अलग निजी खातों में जमा कराई गई।

जांच में पाया गया कि उत्कृष्ट विद्यालय बालाघाट के तत्कालीन प्राचार्य और सहायक ग्रेड-3 दुर्गेश कुमार ने योजनाबद्ध तरीके से इस घोटाले को अंजाम दिया।

क्या हुआ: आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और कार्रवाई अभी तक जारी है।

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