पन्ना के किशनगढ़ बफर में मिश्रित वृक्षारोपण के पहले ही वर्ष गायब होने लगे पौधे
Plants started disappearing in the very first year of mixed plantation in Panna’s Kishangarh buffer.
भोपाल। पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर जोन की किशनगढ़ रेंज के तहत 50 हैक्टेयर रकबा में 25 हजार पौधों का रोपण किया गया है। इस पौध रोपण पर प्रति एकड़ करीब 2 लाख रुपए खर्च किए जा रहा हैं। इसमें पहले साल के लिए स्वीकृत राशि खर्च कर दी गई है। इसके बावजूद रोपे गए ज्यादातर पौधे एक साल में ही गायब हो गए हैं।
बफर जोन की किशनगढ़ रेंज के तहत राईपुरा बीट के कक्ष क्रमांक पी- 454 के तहत 50 हैक्टेयर में पौधरोपण किया जा रहा है। मिश्रित वृक्षारोपण योजना के तहत वर्ष 2023-24 में गड्ढा करके 25 हजार पौधों का रोपण किया गया है। स्वीकृत परियोजना के तहत इन पौधों के रखरखाव के नाम पर 10 सालों तक राशि खर्च की जाना है, लेकिन इनमें से ज्यादातर पौधे पहले साल में ही खराब हो गए हैं।
तार फेंसिंग निकालकर खकरी बनाने के नाम पर राशि का दुरुपयोग :
जिस स्थान पर प्लांटेशन को मंजूर किया गया है। उस स्थान पर विभाग ने अन्य प्रोजेक्ट के तहत तार फेंसिंग करके राशि को खर्च किया। इसके बाद उसी स्थान पर अब पत्थरों की नई खकरी बना दी गई है। इस कारण तार फेंसिंग को निकालकर फेंक दिया गया है अब भी तार मौके पर पड़े हुए हैं। 600 मीटर लंबाई में खकरी बनाकर राशि को बर्बाद किया गया है।
इनका कहना
25000 गड्ढों की गिनती करने के बाद पौधों का रोपण किया गया है। परियोजना में तार फेंसिंग और पत्थरों की खकरी दोनों स्वीकृत हैं। इसी कारण पुरानी तार फेंसिंग को हटाकर पत्थरों की खकरी को बनाया गया है।
प्रतीक अग्रवाल, रेंजर बफर जोन किशनगढ़ रेंज
राईपुरा बीट की परियोजना 10 साल के लिए स्वीकृत है। पहले साल में 20 फीसदी पौध सूख सकते हैं। इसके लिए दूसरे साल में बजट रखा गया है। पौधों की गिनती कराई जाएगी। इसमें बड़बड़ी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।
अंजना सुचिता तिर्की, फील्ड डायरेक्टर, पन्ना टाइगर रिजर्व