प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला: कमजोर विद्यार्थियों के लिए बनेंगे कक्षाओं में सुपर सेक्शन एवं मंथली टेस्ट भी होगा

Super sections will be made in the classes for weak students and monthly tests will also be done.
Big decision of the State School Education Department: Super sections will be made in the classes for weak students and monthly tests will also be done.
- शिक्षा की गुणवत्ता और परीक्षा परिणाम में सुधार के लिए स्कूल शिक्षा विभाग का प्रयोग।
- प्रदेश के ढाई हजार सरकारी स्कूलों के एक लाख 11 हजार विद्यार्थी किए गए चिन्हित।
- हर सप्ताह मूल्यांकन करके जहां कमी है, उसे दूर करने पर फोकस किया जाएगा।
भोपाल। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार के लिए स्कूल शिक्षा विभाग अब नया प्रयोग करने जा रहा है। इसके तहत ऐसे विद्यार्थी जो पढ़ाई में कमजोर हैं, उनकी अलग से कक्षाएं लगाई जाएंगी।
इसके लिए कक्षाओं में बकायदा अलग सुपर सेक्शन बनेगा और शिक्षक भी अलग से तैनात होंगे। साप्ताहिक और मासिक टेस्ट भी होगा। प्रति सप्ताह मूल्यांकन करके जहां कमी है, उसे दूर करने पर फोकस किया जाएगा।
इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग राज्य ओपन बोर्ड के साथ मिलकर काम करेगा। इनके लिए ओपन स्कूल चलाया जाएगा। इस व्यवस्था का उद्देश्य मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10 वीं कक्षा का परिणाम सुधारना है।
मप्र बोर्ड की 10 वीं का परिणाम पिछले छह वर्षों में इस वर्ष सबसे खराब रहा था। 10 वीं का परिणाम 58.10 प्रतिशत रहा है। साथ ही इस साल से बेस्ट आफ फाइव योजना भी समाप्त कर दी गई है।
इस कारण स्कूल शिक्षा विभाग ने 10 वीं बोर्ड परीक्षा का परिणाम सुधारने के लिए नौवीं कक्षा से जोर देना शुरू कर दिया है। इसके तहत अब उन स्कूलों में सुपर सेक्शन बनाया जाएगा, जहां 30 से अधिक विद्यार्थी फेल हुए हैं।
अलग से लगेंगी कक्षाएं
नौवीं कक्षा में फेल विद्यार्थियों की अलग से कक्षाएं लगाई जाएंगी। सभी विषयों की पढ़ाई के लिए शिक्षक लगाए जाएंगे। साप्ताहिक और मासिक टेस्ट के साथ ही तिमाही और छमाही परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं से एक-एक सवाल पर चर्चा की जाएगी। शिक्षकों काे भी प्रशिक्षित किया जाएगा कि कमजोर विद्यार्थियों को कैसे पढ़ाया जाना चाहिए।
नौवीं के तिमाही व छमाही परीक्षा का भी आकलन होगा
स्कूल शिक्षा विभाग नौवीं कक्षा से ही गुणवत्ता सुधारने का प्रयास कर रहा है। साथ ही नौवीं कक्षा के तिमाही व छमाही परीक्षा परिणाम के पांच-पांच फीसद अंक वार्षिक परीक्षा के परिणाम में जोड़े जाएंगे। इससे विद्यार्थी तिमाही व छमाही परीक्षाओं को गंभीरता से लेंगे और ध्यान केंद्रित करेंगे।तिमाही व छमाही परीक्षा के परिणामों का भी आकलन किया जाएगा, ताकि वार्षिक परीक्षा में सुधार किया जा सके।
कमजोर विद्यार्थियों पर होगा फोकस
विभागीय अधिकारियों का मानना है कि कक्षाओं में शिक्षक दो स्तर पर पढ़ाता है। शिक्षक का ध्यान अधिकतर तेज विद्यार्थियों पर ही होता है। साथ ही सामान्य विद्यार्थियों के स्तर पर भी पढ़ाया जाता है। कक्षा के कमजोर विद्यार्थियों पर सामान्यत: शिक्षकों का विशेष ध्यान नहीं होता है। उनके लिए अलग से रणनीति बनाकर उन्हें पढ़ाया जाएगा।
सरकारी स्कूलों में नौवीं कक्षा के फेल विद्यार्थियों का अलग से कक्षाएं लगाई जाएंगी। इसका नाम सुपर सेक्शन होगा। इसमें शिक्षक बच्चों अलग तरीके से पढ़ाएंगे, ताकि कमजोर बच्चों को अन्य विद्यार्थियों के साथ में लाया जा सके। इससे 10वीं बोर्ड कक्षा के परिणाम में सुधार आएगा।
पीआर तिवारी,संचालक, राज्य ओपन स्कूल
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