तीन वर्ष पुराने तलाक को भूल एक दूजे के साथ रहने तैयार हुए दंपत्ति ।

The couple agreed to live with each other, forgetting their three-year old divorce.
नन्हीं बेटी ने पूछा पापा साथ क्यो नहीं रहते, मुझे मम्मी पापा के साथ रहना है ?
हरिप्रसाद गोहे
आमला । व्यवहार न्यायालय आमला में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया था। जिसमे कोई 250 केस सुलह समझौते के लिए रखे गए थे । जिसमें 88 विभिन्न मामलों का 4 खंड पीठ में निराकरण हुआ । बड़ी संख्या में बैंक ऋण वसूली के प्रकरण भी निराकृत हुए । गोरतलब हो की नेशनल लोक अदालत में एक भाउक पल अपर जिला न्यायाधीश तपेश कुमार दुबे के न्यायलय में

आया । बतादे तलाक के एक मामले में 3 वर्ष से अलग रह रहे दंपति किसी भी कीमत पर साथ रहने को तयार नही थे।न्यायाधीश कुशाग्र अग्रवाल, राहुल निरंकारी ,चारु व्यास, अधिवक्ता राजेंद्र उपाध्याय, पवन मोखेडे, मो शफी खान , परमार सिंह, कल्पेश माथनकर, शिवम उपाध्याय, रवि देशमुख के समझाने पर भी पति-पत्नी किसी बात को समझने को तैयार नहीं थे वह तलाक लेने की जिद पर अड़े हुए थे एक दूसरे के विरुद्ध शिकायतों की इतनी लंबी फेहरिस्त थी कि दोनों न्यायालय में भी एक दूसरे के खिलाफ पारिवारिक मतभेद निजी आरोप लगा रहे थे ।

पति कहने लगा साहब पिछली बार भी तो लोक अदालत में आपके कहने पर मैं इसे अपने साथ ले गया था । लेकिन यह बार-बार मायके चली जाती है । मनमर्जी करती है अलग रहने की जिद करती है । पत्नी का कहना था कि मैं बच्ची की पढ़ाई के लिए आमला में किराए का मकान लेकर निवास कर रही हूं मेरे पति मेरा पालन पोषण नहीं करते और मेरे साथ मारपीट कर प्रताड ना देते हैं । 3 वर्ष से अलग रह रहे है किंतु बिटिया पूछती है पापा हमारे साथ क्यों नहीं रहते मुझे पापा मम्मी के साथ साथ रहना है ।

न्यायालय में बच्ची की जिद पर न्यायाधीश गण ने कहा कि बिटिया के मन भावनाओ पढ़ाई पर पर आपके पारिवारिक विवादो का असर होगा कितना लड़ोगे दंपति पुराने विवाद भूलकर साथ-साथ रहने के लिए तैयार हो गए ।पति बिटिया के लिए 3500 रुपए प्रति माह आर डी के माध्यम से जमा करने को तैयार हो गया। दरअसल न्यायालय ने पति को पत्नी को साथ न रखने पर 3500 रुपए प्रतिमाह भरण पोषण धनराशि देने के आदेश दिए थे इस अवसर पर अधिवक्ता संघ आमला के अध्यक्ष केशोराव चौकीकर सचिव ब्रजेश सोनी ने बिटिया को स्कूल बैग और पानी की बोतल गिफ्ट कर नालसा और विधिक सेवा प्राधिकरण को धन्यवाद दिया की मध्यस्थता और सुलह कार्यवाही नेशनल लोक अदालत और न्यायाधीशों का पारिवारिक मामले को गंभीरता से सुनकर सुलह समझाइश से प्रकरण का निराकरण करना समाज के लिए बेहतर है नेशनल लोक अदालत में लगभग 250 केस सुलह समझौते के लिए रखे गए थे जिसमें 88 विभिन्न मामलो का 4 खंड पीठ में निराकरण हुआ बड़ी संख्या में बैंक के ऋण वसूली के प्रकरण भी निराकृत हुए ।