29 करोड़ के वाहन खरीदी में गड़बड़झाला होने की चर्चा, बिना वाहन प्राप्त किए ही कर दिया पूरा भुगतान

There is talk of irregularities in the purchase of vehicles worth Rs 29 crores
There is talk of irregularities in the purchase of vehicles worth Rs 29 crores, full payment was made without receiving the vehicles
भोपाल । 29 करोड़ के वाहनों की खरीदी में नियम-प्रक्रिया और पारदर्शिता का पालन नहीं होने पर गड़बड़झाला की आशंका को बल मिल रहा है। वह भी तब जब वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव गिनती बिरादरी में ईमानदार अफसर की है। अब वाहनों की खरीदी पर शिकवे-शिकायतों का दौर शुरू हो गया है और मांग की जा रही है कि एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर जांच कराई जाए। भंडार क्रय नियम की अनदेखी कर वाहन प्राप्त किए बिना ही पूरा भुगतान कर दिया।
वन विभाग ने 29 करोड़ में गाडियों की खरीदी की गई। जिसमें लगभग 108 बुलोरों नियों, 27 बुलेरों, 65 स्कार्पियों, 4 सियाज, 10 ट्रक की खरीदी की गई। खरीदी की नियत पर शंका इसलिए पैदा हो रही है, क्योंकि खरीदी Gem से हुई है, परन्तु बिना निविदा बुलाए। यदि नियत ठीक थी तो निविदा क्यों नहीं आमंत्रित किया गया। बिना संचालक के आए बैठक संपन्न कर ली गई। इसके पहले लघु वनोपज संघ में एमडी रहे सेवानिवृत वन बल प्रमुख जव्वाद हसन और पुष्कर सिंह के कार्यकाल में क्रमशः 145 करोड़ और 200 करोड़ की कीमत के जूते-चप्पल, छाते और पानी बोतल की खरीदी हुई पर भंडार क्रय नियमों और गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा गया। यही वजह रही कि खरीदी पर कभी सवाल नहीं उठे। जबकि पूर्व विभाग प्रमुख स्वर्गीय आरडी शर्मा के कार्यकाल में वायरलेस की खरीदी हुई जिस पर खूब बवाल मचा। विधानसभा में प्रश्नों की झड़ी लग गई। वैसे तो स्वर्गीय शर्मा की ईमानदारी पर शक नहीं किया जा रहा था किंतु उनके स्टेनों की कलाकारी से विवाद शुरू हुआ। यहां भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। न तो एक्सपर्ट कमेटी की राय ली गई और न ही शाखा प्रमुखों से उनकी रिटायरमेंट पूछी गई। शाखा प्रमुखों के लिए खरीदी गए वहां में जो एसेसरी चाहिए थी वह भी नहीं उपलब्ध कराए गए।
मोटर साइकिल, कार जिप्सी के बदले में luxury वाहन खरीदे
वन विभाग के विजिलेंस शाखा में आईटीआई कार्यकर्ता पुनीत टंडन ने शिकायत दर्ज कराई है कि वाहनों की खरीदी में गड़बड़ी की गई है। अपनी शिकायत में ठंडन ने कहा है कि अपलिखित वाहनों के बदले क्रय की स्वीकृति मिली हैं। इसमें 50 वाहनों 15 वर्ष पुराने हैं तथा 60 अपलिखित होकर नीलाम हुऐ हैं, तो स्वीकृति 110 वाहन की मिलनी थी। यह भी ज्ञात हुआ है कि चालू गाडियों को नीलाम बताकर अधिक गाडियों की खरीदी की है।
शिकायत के प्रमुख बिन्दू
- ट्रक, मोटर साइकिल, कार जिप्सी के बदले में लक्ज़री वाहन खरीदे जो नियम विपरीत है।
- जैम पर निविदा करना चाहिए था, जो नहीं की।
- मॉडल चयन हेतु कोई एक्सपर्ट समिति नहीं बनी।
- वित्त विभाग के नियमो के अनुसार अपलिखित, वाहन जिनकी विक्री की राशि कोषालय मे जमा होना चाहिए के बदले में ही वाहन खरीदे जा सकते है, किंतु झूठे आंकड़े बताकर ज्यादा वाहन खरीदे।
- नये नये वाहन को अपलिखित बताकर वाहन क्रय की अनुमति ली।
- बजट और प्रस्ताव प्रोटेक्शन के, स्वीकृति प्रोटेक्शन को और खरीदी और आवंटन समन्वय से।
- पद के वेतन के अनुसार वाहन खरीदने थे, किंतु टॉप मॉडल खरीदी गई. वो भी लक्जरी।
- खरीदी के पहले एक्सपर्ट समिति से माल और उसकी गुणवत्ता की परीक्षण कराकर ही वाहन क्रय करना चाहिए था जो कि नहीं किया गया।
- जिन्हे नये वाहन दिये उनके पुराने वाहन दूसरी जगह देना थे, जिनके वाहन अपलिखित हो गए थे या 15 वर्ष के हो गए थे नहीं दिये। कई के पास दो-दो वाहन हो गए, जो नियम विपरीत है।
- जिलों के वाहन जो पुराने है, उन्हे भोपाल बुलाकर उसी डीलर से मरम्मत कराई जा रही है जिसने गाड़ी सप्लाई की है। लाखों के बिल फाड़े जा रहे है, भोपाल से क्यो, क्या महिंद्रा के डीलर और जगह नहीं है?
- 31 दिसम्बर 2024 के पुराने वाहन जिनमें भारी डिस्काउंट था, 2-2 लाख अधिक कीमत पर पुराने वाहन क्यों खरीदे गए। क्या विभाग के शीर्ष अधिकारियों को या जानकारी नहीं है कि कंपनी अनसोल्ड वाहन कम कीमत पर नए सेल करती है।
- गाड़ियों का एक्सपर्ट कमेटी से भौतिक सत्यापन कराये वगैर भुगतान किया गया।
- जितने नये वाहन लिए उतने किराये के वाहन कम करना चाहिए था पर नहीं किया।
- अपलेखन हेतु एक्सपर्ट समिति की रिपोर्ट लेना आवश्यक है, नहीं ली और अपलिखित बता कर वाहन लिए गए।
- जो वाहन चालू है चल रहे है, लॉग बुक भर रही हैं, बिल बन रहे है, अपलिखित बताकर नये वाहन खरीदे।
- केवल विभाग प्रमुख को ही एक अतिरिक्त स्टाफ़ वाहन की पात्रता है, लेकिन 10 पीसीसीएफ ने स्कार्पियो टॉप मॉडल अतिरिक्त ले रखे है जिन्हे, पत्रता ही नहीं है. वन विभाग में केवल 3 ही Head of Department है। लेकिन नई गाड़ियों को फ़ील्ड मे भेजने की बजाय मुख्यालय में ही लूट लिया। जिसकी विस्तृत जांच कराई जाए।