नाम वापसी के बाद मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच, दोनों पाटियों के लिए बागी बने सिरदर्द।
After the withdrawal of nominations, the main contest will be between BJP and Congress, rebels will become a headache for both the parties.
उदित नारायण
भाेपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में नामांकन वापसी के बाद कुल 3367 प्रत्याशी चुनाव मैदान में बचे हैं। इसमें भाजपा व कांग्रेस ने सभी 230 विधानसभा सीटाें पर प्रत्याशी खड़े किए हैं, जबकि अन्य क्षेत्रीय दलों के प्रत्याशी व निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। इन्हीं प्रत्याशियों के बीच अब कांटे की टक्कर होगी। हालांकि मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही है। इन्हीं दोनों पार्टियों के बागी जरूर मैदान में अपनी ही पार्टी के प्रत्याशियों के लिए मुसीबत बन रहे हैं। प्रदेश में 21 अक्टूबर से नामांकन की प्रकि्रया शुरू हुई थी। यह 30 अक्टूबर तक चली। इस दौरान 3832 प्रत्याशियों ने कुल 4359 नामांकन फार्म भरे थे। इसमें स्क्रूटनी में 528 प्रत्याशियों के नामांकन आधी-अधूरी जानकारी व अन्य कारणों से निरस्त हो गए थे। बाकी बचे प्रत्याशियों में से करीब 992 ने 2 नवंबर को नामांकन वापसी के अंतिम दिन अपने नाम वापस ले लिए। बाकी बचे प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है। 17 नवंबर काे इन सभी प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम मशीनों में कैद हो जाएगा। मतगणना 3 दिसंबर को होगी। नाम वापसी के पहले तक की जानकारी के अनुसार सबसे अधिक अनूपपुर में 46 प्रत्याशी थे। भिंड के अटेर से 43 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था। नामांकन दोपहर 3 बजे तक वापस किए गए, किंतु चुनाव आयोग की आधी अधूरी तैयारी की वजह से देर रात 8 बजे तक इसकी जानकारी नहीं मिल पाई। रात 8 बजे तक में 383 प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस ले लिया था।
चार बागी विधायकों को मनाने में कांग्रेस नेता नाकाम
नाम वापसी के अंतिम दिन पिछले 24 घंटे में 15 बागियों को कांग्रेस ने बैठा दिया। जबकि कांग्रेस के चार पूर्व विधायक नहीं माने। कांग्रेस के पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार, सिवनी-मालवा के पूर्व विधायक ओम प्रकाश रघुवंशी को नहीं मना पाई। टिकट नहीं मिलने से नाराज आलोट से पूर्व विधायक प्रेमचंद गुड्डू, गोटेगांव से पूर्व विधायक शेखर चौधरी अब निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। इसीतरह महू के पूर्व विधायक नेता रहे अंतर सिंह दरबार निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ेंगे। आज उन्होंने प्राथमिक तौर पर इस्तीफा कांग्रेस पार्टी को दे दिया है। आखिरी समय तक किया बागियों को मनाने की कोशिश-कांग्रेस के बागियों ने चुनाव का पूरा समीकरण बिगाड़ दिया है। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने एक साथ बैठक करके बागी नेताओं को समझाया था। सूत्रों ने बताया कि दिग्विजय सिंह ने कई बागियों से व्यक्तिगत संपर्क किया और कई प्रत्याशियों को भाेपाल भी बुलाया था। उन्होंने फोन पर भी समझाया, इसके बाद भी कई बागी नहीं माने।
बागी नेता बिगाड़ सकते हैं भाजपा का खेल
भाजपा में भी करीब-करीब वही स्थिति है। नामांकन वापसी के बाद बागी नेता कई जगहों पर खेल बिगाड़ने पर आमादा हो गए हैं। भाजपा में सबसे बड़ी बगावत निमाड़ में हुई-भाजपा के दिग्गज नेता नंद कुमार सिंह चौहान के बेटे हर्ष सिंह चौहान ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने बुरहानपुर से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। भाजपा के कई नेताओं ने उन्हें मनाने की भी कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। हर्ष ने बुरहानपुर से टिकट मांगी थी, किंतु पार्टी ने सर्वे आदि के आधार पर पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया। बताते हैं कि हर्ष चौहान के पिता भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्व. नंद कुमार चौहान व श्रीमती चिटनीस के बीच काफी समय तक अंदरूनी आपसी लड़ाई रही। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक ने हस्तक्षेप किया था। इसके बाद मामला सुलझा था। पिछली बार श्रीमती चिटनीस ने सीधे तौर पर आरोप लगाया था कि उन्हें हराने के लिए नंद कुमार चौहान जिम्मेदार हैं। अब चूंकि नंद कुमार चौहान नहीं हैं। किंतु दोनों के बीच की यह अंदरूनी लड़ाई नई पीढ़ी तक आ चुकी है। जबकि विंध्य क्षेत्र में विधायक नारायण त्रिपाठी ने भाजपा से बगावत करने के बाद नई पार्टी का गठन कर लिया और करीब 30 से अधिक सीटों पर चुनाव प्रत्याशी मैदान में उतारकर चुनावी समर में भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विधायक नारायण त्रिपाठी की वजह से भाजपा का बड़ा नुकसान होता नजर आ रहा है।
भोपाल उत्तर सीट पर कांग्रेस में बड़ी बगावत
भोपाल उत्तर सीट पर पहली बार आरिफ अकील की नहीं चल पा रही है। उन्होंने भोपाल उत्तर से कांग्रेस पार्टी से अपने बेटे आतिफ अकील को टिकट दिलवा दिया। इससे उनके सगे भाई आमीर अकील बागी होकर मैदान में कूद गए। आमीर को मनाने की भी कोशिश हुई, किंतु वे नहीं माने। चुनाव आयोग ने आज नामांकन वापसी के बाद आमिर अकील काे हॉकी- बॉल चुनाच चिन्ह आवंटित किया है। मनावर से पूर्व मंत्री रंजना बघेल ने नाम वापस लिया-भाजपा पूर्व मंत्री रंजना बघेल का नामांकन पत्र वापस कराने में कामयाब हो गई। मनावर से श्रीमती रंजना ने टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर नामांकन पत्र दाखिल कर दिया था। उनके मैदान में कूद जाने की वजह से मनावर का समीकरण बदलने लगा था। इससे भाजपा को खासा नुकसान हो सकता था। किंतु अब चुनाव मैदान से उनके हटने के बाद भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है।
मतदान से ठीक 15 दिन पहले भाजपा को लगा झटका
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की फायर ब्रांड नेत्री उमा भारती की बड़ी बहन के पोते इंजी. दुष्यंत लोधी ने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उन्हें सदस्यता दिलाई। बताते हैं कि लोधी टीकमगढ़ में भाजपा के बड़े नेता हैं। वे लोधी क्षत्रिय समाज की युवा इकाई के प्रदेश महामंत्री भी हैं। दुष्यंत और उनके पिता का टीकमगढ़ और लोधी समाज में खासा प्रभाव माना जाता है। वे टीकमगढ़ विधानसभा से भाजपा से टिकट मांग रहे थे। किंतु स्थानीय समीकरण के हिसाब से उन्हें टिकट नहीं दिया। इस वजह से उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया। भाजपा छोड़ने के बाद दुष्यंत ने भाजपा पर लोधी समाज की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है।