बैतुल लोकसभा में फिर आमने-सामने उतरे दुर्गादास और रामू टेकाम
Durgadas and Ramu Tekam face each other again in Betul Lok Sabha.
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चुनाव में प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशी- भाजपा- दुर्गादास उईके, कांग्रेस- रामू टेकाम, बसपा- अशोक भलावी
मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच संभावित, बाकी पार्टियों ने अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किए
लोकसभा क्षेत्र -2024 – बैतूल (अनुसूचित जनजाति)
भोपाल। बैतूल लोकसभा सीट में तीन जिले व बैतूल, हरदा व खंडवा जिले आते हैं। यहां की आठ विधानसभा क्षेत्रों में 5 बैतूल की है। इसमें बैतूल, मुलताई, आमला, घोड़़ाडोंगरी व भैंसदेही तथा हरदा जिले की दो विधानसभा सीट हरदा व टिमरनी आते हैं। जबकि एक विधानसभा क्षेत्र खंडवा जिले की हरसूद आती है। यह सीट लंबे समय से भाजपा की पारंपरिक सीट बनती जा रही है। इस सीट से भाजपा व कांग्रेस के अलावा बसपा ने भी अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा है। हालांकि बसपा का वोट प्रतिशत इस क्षेत्र में लगातार कम होता गया। पिछले 2019 के चुनाव में करीब पौने तीन फीसदी वोट बसपा को मिले थे। जबकि गोगपा व अन्य कोई खास वोट हािसल नहीं कर पाए थे।
इस सीट से 2014 लोकसभा चुनाव में ज्याेति धुर्वे चुनाव जीती थी। बाद में उनका जाति प्रमाणपत्र का मुद्दा सुर्खियों में बना। उनके बारे में कहा गया था कि वे ओबीसी जाति की है। हालांकि बाद में अदालतों ने उनके पक्ष में फैसला दे दिया था। किंतु भाजपा ने दोबारा उन्हें टिकट नहीं दिया। हालांकि 2019 के चुनाव में भाजपा फिर से चुनाव जीत गई। यहां से भाजपा ने पेशे से शिक्षक दुर्गादास उईके को मैदान में उतारा। शिक्षक होने के साथ ही उईके की पैठ आरएसएस में थी। वे मुलताई क्षेत्र के निवासी थे, किंतु उनका शैक्षकीय जीवन करीब 26 सालों तक कोयलांचल क्षेत्र में बीता। इसी दौरान वे आरएसएस के नजदीक आए और आरएसएस की शाखाओं में जाने लगे। उनकी लगन व मेहनत को देखते हुए भाजपा ने बैतूल क्षेत्र से टिकट दे दिया। साफ-स्वच्छ छवि व मिलनसार व्यक्तित्व होने की वजह से वे 2019 का चुनाव जीत गए। इस बार पार्टी ने फिर से उन्हीं पर भरोसा जताते हुए मैदान में उतारा है।
कांग्रेस में आपस में ही टिकट को लेकर नाराजगी
कांग्रेस ने बैतूल लोकसभा सीट से रामू टेकाम को ही मैदान में उतारा है। पिछली बार भी कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया था। उन्हें दूसरी बार टिकट मिल जाने से कांग्रेस के ही दूसरे गुट में बड़े पैमाने पर नाराजगी है। यह गुट नहीं चाहता था कि रामू टेकाम को फिर से टिकट मिले। टिकट की घोषणा के बाद घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके राहुल चौहान, ब्रह्मा भलावी, धर्मू सिंह सिरसाम, निलय डागा समेत अन्य नेताओं ने टिकट बदलने की मांग रखी है। बताते हैं कि एक गुट दिल्ल्ाी तक जाकर टिकट बदलने को कहा,लेकिन उन्हें समझा-बुझा कर वापस कर दिया गया। अब हालांकि सभ्ाी कांग्रेस प्रत्याशी टेकाम को जिताने के लिए काम तो शुरू कर दिए हैं, िकंतु अंदरखाने में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। टेकाम को लेकर विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगा तो आने वाले दिनों में पार्टी को नुकसान हो सकता है। उधर, इस क्षेत्र में दूसरे चरण में चुनाव होना है। इसलिए अभी सब कुछ साफ नहीं हो पाया है। होली बाद स्थिति पूरी तरह से साफ हो जाएगी।
पिछले चुनाव में बैतूल की 5 में से चार सीटे कांग्रेस के पास थी
यह भी रोचक है कि पिछले लोकसभा चुनाव 2019 से पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को काफी अच्छी बढ़त मिली हुई थी। मुलताई क्षेत्र से सुखदेव पांस कैबिनेट मंत्री थे। बैतूल जिले की पांच में से चार विधानसभा सीटों मुलताई, बैतूल, भैंसदेही व घोड़ाडोंगरी में कांग्रेस के विधायक थे। महज आमला क्षेत्र में ही भाजपा जीत पाई थी। पांच में से चार क्षेत्रांंे में कांग्रेस का विधायक होने के बाद भी लोकसभा चुनाव में भाजपा बंपर वोट से चुनाव जीती थी। उस वक्त कांग्रेस के विधायक अपने क्षेत्र में ही पार्टी को वोट नहीं दिलवा पाए थे। पार्टी में भ्ाी इसे लेकर आवाज उठी, किंतु बाद में सरकार िगर जाने के बाद रही सही कसर खत्म हो गई। बाद में 2023 के चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह से साफ हो गई।
बैतूल लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा संख्या जनजातियों की
अभी तक का रिकार्ड है कि बैतूल लोकसभा क्षेत्र में जाति का कोई खास फैक्टर नहीं चला। इस पर तो वैसे भी मोदी फैक्टर ज्यादा प्रभावी है। इसके बावजूद बैतूल लोकसभा क्षेत्र के सभी आठों विधानसभा में से बैतूल, मुलताई, आमला व हरदा को छोड़कर बाकी चार विधानसभा क्षेत्राें में जनजातियों की संख्या सर्वाधिक है। इसीलिए 8 में से 3 विधानसभा बैतूल, मुलताई व हरदा क्षेत्र सामान्य श्रेणी के हैं, जबकि आमला क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। बाकी सभी 4 विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जन जाति के लिए आरक्षित है। लोकसभा क्षेत्र भी अनुसूचित जन जाति (एसटी) के लिए आरक्षित है। इसी वजह से यहां कोई अन्य जातिगत समीकरण काम नहीं करता। जिसकी पैठ जनजातीय समाज में होती है, वही यहां से चुनाव जीतता है। इस बार भी यही समीकरण बनने की पूरी संभावना है। बैतूल लोकसभा सीट में हरदा में जाट, गुर्जर व राजपूतों की संख्या सर्वाधिक है तो बैतूल में कुंबी, कुर्मी, पंवार व गोड़ की संख्या है। टिमरनी में गोंड़ व कोरकू की आबादी अधिक है। घोड़ाडोंगरी में गोंड सर्वाधिक हैं। मुलताई में कुंबी, पंवार बराबर की संख्या में हैं।
वर्ष 2019 के चुनाव में प्रत्याशी, जीत हार का अंतर, प्राप्त वोट का प्रतिशतभाजपा से दुर्गादास उईके (चुनाव जीते) प्राप्त वोट- 8,11,248 (59.74)
कांग्रेस से रामू टेकाम (हार मिली) प्राप्त वोट- 4,51,007 (33.21)जीत-हार का अंतर- 3,60,241
कुल मतदाता–17,37,437 कुल वोट पड़े– 13,57,857प्रतिशत– 78.15 वर्ष 2014 में प्रतिशत– 65.17