LATEST NEWS

ईरान में कट्टरपंथ हारा, सुधारवादियों की जीत,ब्रिटेन चुनाव में उदारवादियों को मिली जीत

0

नई दिल्ली
1789 की सुबह फ्रांस की राजधानी पेरिस में अराजकता का माहौल पैदा हो गया। लोग महल के सामने ही बड़ी संख्या में जमा होने लग गए थे। सम्राट ने सेना को शहर में घुसने का आदेश दे दिया था। अफवाह थी कि वह सेना को नागरिकों पर गोलियां चलाने का आदेश देने वाला है। करीब 7000 आदमी और औरतें महल के टाउनहॉल में जमा हुए। सभी ने मिलकर राजशाही के प्रतीक बैस्तील के किले की एक दीवार को गिरा दिया। दरअसल, साल 1774 में फ्रांस में बूर्बो राजवंश का लुई 16वां राजगद्दी पर बैठा। उस वक्त उसकी उम्र महज 20 साल थी। उसकी शादी ऑस्ट्रिया की राजकुमारी मैरी अंत्वानेत से हुआ था।

उस वक्त फ्रांस के महल का खर्च उठाने के लिए आम आदमी से भारी टैक्स वसूले जाते थे। पूरा महल ऐशो-आराम में डूबा रहता और जनता भूखों मरने लगी थी। बैस्तील की दीवार गिराने के साथ ही फ्रांस की महान क्रांति की नींव पड़ी, जिसने दुनिया में लोकतंत्र, स्वतंत्रता और समानता की राह दिखाई। आज 235 साल बाद इसी फ्रांस में हुए आम चुनाव में वामपंथी दलों के गठबंधन न्यू पॉपुलर फ्रंट यानी एनएफपी को सबसे ज्यादा सीटों पर जीत मिली है। फ्रांस के चुनाव से एक महीने पहले तक इस गठबंधन का कोई वजूद नहीं था। चुनाव के ऐलान के बाद सबको चौंकाते हुए कई दलों ने साथ आकर न्यू पॉपुलर फ्रंट के एलायंस ने फ्रांस की संसद में सबसे ज्यादा सीटें जीत लीं।

फ्रांस में क्या नफरत की राजनीति के चलते हार गया दक्षिणपंथ

फ्रांस के चुनाव में शुरुआत में दक्षिणपंथी नेशनल रैली को बड़ी जीत मिलती नजर आ रही थी। मगर,वह दूसरे चरण में आते-आते हार गई। दरअसल, नेशनल रैली के कई सदस्य जर्मन तानाशाह हिटलर का समर्थन करते हैं। कुछ ने चुनाव प्रचार के दौरान मुस्लिमों और यहूदियों के खिलाफ नफरत भरे भाषण भी दिए। इसी को देखते हुए वामपंथी और मध्यम मार्गी पार्टियों ने दक्षिणपंथ को हराने के लिए खास स्ट्रैटेजी अपनाई। चुनाव रैलियों में वामपंथी नेताओं ने कहा कि नेशनल रैली लोगों में नफरत फैला रही है, जो फ्रांसीसी क्रांति और संविधान के समानता के सिद्धांत के खिलाफ है।

दक्षिणपंथ को रोकने के लिए एकजुट हो गईं पार्टियां

चुनाव प्रचार के दौरान मध्यम मार्गी गठबंधन के एक प्रमुख नेता और देश के प्रधानमंत्री गैब्रियल अटाल ने कहा, हमें नेशनल रैली को बहुमत तक पहुंचने से रोकने की जरूरत है, क्योंकि अगर ऐसा होता है तो मैं ये कह सकता हूं कि यह हमारे देश के लिए एक त्रासदी होगी। इसी तरह धुर-वामपंथी दल LFI के एक प्रमुख नेता फ्रांसोइस रुफिन ने कहा, आज हमारा नेशनल रैली को पूर्ण बहुमत से रोकना ही मकसद है। वहीं, सिविल सोसाइटी ने भी कहा कि नेशनल रैली प्रवासियों के खिलाफ नफरत फैलाती है। इसके नेता मुसलमानों और यहूदियों के खिलाफ हेट स्पीच देते हैं, नस्लीय भाषण देते हैं। आगे बढ़ने से पहले जरा नीचे दिए ग्राफिक पर नजर मार लेते हैं, जो बहुदलीय व्यवस्था के फायदों के बारे में बात करता है।

भारत के लोकसभा चुनाव में हिंदू-मुस्लिम मुद्दा हारा

हाल ही में भारत के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भी हिंदू बनाम मुस्लिम का मुद्दा खूब उछला। मगर,भारतीय वोटरों ने इस मुद्दे को नकार दिया। इसने सत्ता पक्ष को जहां बहुमत से पहुंचने से दूर कर दिया। वहीं, विपक्ष को भी बहुमत हासिल नहीं करने दिया। इस चुनाव में विपक्ष की बेरोजगारी, महंगाई का मुद्दा भी छाया रहा। दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक डॉ. राजीव रंजन गिरि कहते हैं कि भारत हो या दुनिया का कोई और देश, हमेशा नफरत की राजनीति नहीं चल सकती है। इस बार देखा जा सकता है कि राममंदिर का मुद्दा भी नहीं चला और न ही मुस्लिमों के खिलाफ हेट स्पीच। किसी भी प्रगतिशील देश में आम आदमी या आम वोटर्स ऐसे मुद्दों को नकार देते हैं। कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन ने नरेंद्र मोदी की भाजपा के खिलाफ तमाम पार्टियों को एकजुट किया और उन्हें सत्ता में पूर्ण बहुमत लाने से रोक दिया। जबकि पूरे चुनाव में भाजपा 400 पार के नारे के साथ प्रचार कर रही थी।

नेपाल की राजनीति में कम्युनिस्ट पार्टियों का दखल

नेपाल की राजनीति में माओवादी नेता और प्रधानमंत्री पुष्प दहाल कमल प्रचंड की पार्टी माओवादी सेंटर ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली की पार्टी एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (यूएमएल) के साथ हाथ मिला लिया है। इसके साथ ही नेपाल की राजनीति में एक बार फिर कम्युनिस्ट पार्टियां एक साथ आ गई हैं। इसके पहले बीते साल फरवरी में प्रचंड और ओली की पार्टी ने गठबंधन तोड़ लिया था।

ईरान में कट्टरपंथ हारा, सुधारवादियों की जीत

हाल ही में ईरान की बागडोर कट्टरपंथी और पश्चिम विरोधी राष्ट्रपति से एक सुधारवादी राष्ट्रपति के हाथ में आ गई है। पिछले 50 साल से कम वक्त में यह बदलाव हुआ है। मसूद पेजेश्कियान ईरान के राष्ट्रपति चुन लिए गए। मसूद 19 साल पहले के सुधारवादी राष्ट्रपति के शासन में स्वास्थ्य मंत्री थे। इसके बाद के राष्ट्रपति चुनावों की दौड़ में सुधारवादियों को लगातार पाबंदियों का सामना करना पड़ा था।

ब्रिटेन चुनाव में भी उदारवादियों को मिली जीत

ब्रिटेन के चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी को बड़ा झटका लगा है। भारतीय मूल के ऋषि सुनक चुनाव हार गए। हालांकि, चुनावों के दौरान वह ब्रिटेन में बसे भारतीय वोटरों को लुभाने की कोशिश करते दिखे। यहां तक कि वह खुद को हिंदू कहने लगे थे, इसके बाद भी भारतीयों ने उन्हें नकार दिया। दरअसल, सुनक की शानो-शौकत की लाइफ और अनाप-शनाप बयानों ने उन्हें ब्रिटिश चुनाव में हरा दिया।

कट्टरपंथ या सुधारवाद के बीच झूल रही है दुनिया

दक्षिण एशियाई यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली में प्रोफेसर देवनाथ पाठक कहते हैं कि समाज अंततः समन्वय चाहता है। इस विचार की पुष्टि 18वीं सदी में फ्रांस की ही जमीन पर हुई थी। फ्रांसीसी क्रांति के बाद समाज में जबरदस्त उथल-पुथल हुआ था। उस युग के दार्शनिकों और राजनैतिक विचारकों को भी लगा कि समाज में व्यवस्था बनाने के लिए समन्यवपूर्ण संरचना जरूरी है। कितने आधुनिक समाज वैज्ञानिकों ने फ्रांसीसी क्रांति के बाद एक नए समाज विज्ञान का निर्माण किया, जिसका मकसद था समन्वयपूर्ण सामाज निर्माण। सिर्फ वैचारिक क्रांति नहीं बल्कि सामाजिक समरसता, सौहार्द और शांति की आवश्यकता को समझा गया था।

समाज में कट्टरता और उदारता हमेशा साथ रहे

देवनाथ पाठक के अनुसार, आज जब विश्व के अनेक हिस्सों में दक्षिणपंथी राजनीति के खिलाफ सुधारवाद उभर रहा है तो इसमें हैरानी की बात नहीं है। समाज में कट्टरता और उदारता दोनों ही हमेशा साथ रहे हैं। कभी एक पक्ष प्रबल हो जाता है तो कभी दूसरा। और राजनीतिक परिवर्तन के माध्यम से समाज सदैव उस सामंजस्य का उपक्रम करता है, जिसमे दोनों पक्ष एक दूसरे का सहयोग करें। वामपंथी सोवियत रूस में भी ऐसा ही कुछ हुआ था। अपने आपको प्रगतिशील बताने वाले सोवियत वामपंथियों की कट्टरता भी रुसी समाज ने झेला था। उसके जवाब में वहां पर एक दूसरे तरह की कट्टरता पैदा हुई, जिसे एक प्रकार का सुधारवाद कहा जाने लगा। उचित अवसर मिलते ही रुसी नागरिक फिर नया विकल्प ढूंढेंगे।

ईरान में इस्लामिक सत्ता के विकल्प की हो रही तलाश

अगर इस तरह के परिवर्तन की हवा दक्षिण एशियाई देशों में भी चले तो कोई नई बात नहीं होगी। नेपाल में भी ऐसा कुछ देखा जा सकता है, जहां राजतंत्र के खिलाफ वामपंथियों ने लंबी लड़ाई लड़ी थी। नेपाल को भी अपने तरह की उदारवाद की राजनीति का अवसर मिला। लेकिन फिर भी सामाजिक तंत्र को किसी और विकल्प की तलाश है जिसमे सामाजिक सामंजस्य को बढ़त मिले। ईरान में भी समाज वहां के इस्लामिक सत्ता के विकल्प को ढूंढ रहा है। 1979 की ईरानी क्रांति के समय भी वहां के समाज ने राजतंत्र का एक विकल्प ढूंढा था, जिसके तहत धार्मिक पुरोहितों का शासन चल पड़ा था। हालांकि, ईरान की इस्लामिक सत्ता भी सामंजस्य की सोच से दूर ही रही।

राजनीति में कैसे आया वामपंथ और दक्षिणपंथ

1789 में फ्रांसीसी नेशनल असेंबली के सदस्यों ने संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए बैठक की । वे इस बात पर बहस कर रहे थे कि राजा लुई 16वें के पास कितना अधिकार होगा। बहस तेज हो गई और राज-विरोधी क्रांतिकारी पीठासीन अधिकारी के बायीं ओर जुट गए, जबकि रूढ़िवादी कुलीन समर्थक दायीं ओर जमा हो गए। 1790 में अखबारों ने फ्रांसीसी नेशनल असेंबली के प्रगतिशील वामपंथ और परंपरावादी दक्षिणपंथ का जिक्र करना शुरू कर दिया।

नेपोलियन ने मिटा दिए भेद,बाद में फिर चलन में

नेपोलियन बोनापार्ट के शासनकाल में ये भेद मिट गए। 1791 में फ्रांसीसी नेशनल असेंबली को फ्रांसीसी विधान सभा बनी। नवप्रवर्तक बायीं ओर बैठे, नरमपंथी केंद्र में और संविधान के कर्तव्यनिष्ठ रक्षक दायीं ओर बैठे और यह व्यवस्था 1792 तक जारी रही। 1848 में लोगों द्वारा अपनी पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाने के लिए 'लोकतांत्रिक समाजवादी' और 'प्रतिक्रियावादी' शब्दों का इस्तेमाल किया जाने लगा। यहीं से पूरी दुनिया में वामपंथ और दक्षिणपंथ शब्द चलन में आया।

वामपंथ और दक्षिणपंथ राजनीति में क्या फर्क है

वामपंथ और दक्षिणपंथ राजनीति के बीच मौलिक अंतर यह है कि जहां वामपंथ समानता, स्वतंत्रता, अधिकार, प्रगति और सुधार पर जोर देता है, वहीं, दक्षिणपंथ कर्तव्य, पदानुक्रम, अधिकार, व्यवस्था, परंपरा और राष्ट्रवाद पर जोर देता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

slot server thailand super gacor

spaceman slot gacor

slot gacor 777

slot gacor

Nexus Slot Engine

bonus new member

olympus

situs slot bet 200

slot gacor

slot qris

link alternatif ceriabet

slot kamboja

slot 10 ribu

https://mediatamanews.com/

slot88 resmi

slot777

https://sandcastlefunco.com/

slot bet 100

situs judi bola

slot depo 10k

slot88

slot 777

spaceman slot pragmatic

slot bonus

slot gacor deposit pulsa

rtp slot pragmatic tertinggi hari ini

slot mahjong gacor

slot deposit 5000 tanpa potongan

mahjong

spaceman slot

https://www.deschutesjunctionpizzagrill.com/

spbo terlengkap

cmd368

368bet

roulette

ibcbet

clickbet88

clickbet88

clickbet88

bonus new member 100

slot777

https://bit.ly/m/clickbet88

https://vir.jp/clickbet88_login

https://heylink.me/daftar_clickbet88

https://lynk.id/clickbet88_slot

clickbet88

clickbet88

https://www.burgermoods.com/online-ordering/

https://www.wastenotrecycledart.com/cubes/

https://dryogipatelpi.com/contact-us/

spaceman slot gacor

ceriabet link alternatif

ceriabet rtp

ceriabet

ceriabet link alternatif

ceriabet link alternatif

ceriabet login

ceriabet login

cmd368

sicbo online live