मध्य प्रदेश में किसानो के सामने खाद का संकट खड़ा हुआ. किसानों को नहीं मिल रहा खाद.
Farmers in Madhya Pradesh are facing a crisis as they are unable to obtain fertilizers.

मध्यप्रदेश में अफसरों की लापरवाही प्रदेश के कई जिलों में किसानों पर भारी पड़ रही है. उनके सामने खाद का संकट खड़ा हो गया है. किसान परेशान रहे हैं उन्हें खाद नहीं मिल रही है.
NDTV की एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में 9 अक्तूबर को आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हुई थी. जिसके बाद किसी भी सरकारी सामान पर किसी भी राजनीतिक दल या नेता की तस्वीरें या प्रतीकों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. किसानों को मिलने वाला खाद भी आ गया. शिकायत मिलने पर चुनाव आयोग ने रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय (Ministry of Chemicals and Fertilizers) को बोरों से पीएम नरेन्द्र मोदी की तस्वीर हटाने का आदेश दिया है.
किसानों की मुश्किल, रबी के मौसम में बुआई का समय निकल रहा है. बुआई में देरी के डर से चिंतित किसान बढ़ी हुई कीमतों पर उर्वरक की बोरियां खरीद रहे हैं.भोपाल के पास ईंटखेड़ी गांव के किसान हरि सिंह सैनी अपनी 12 एकड़ जमीन के लिए फॉस्फेट आधारित उर्वरक डीएपी के केवल 15 बोरियां खरीदने में कामयाब रहे हैं.
कुछ ऐसा ही हाल भोपाल के निपानिया जाट गांव का है. यहां एक किसान को एक बोरी डीएपी और दो बोरी यूरिया दी जा रही है.नये पैकेजिंग के साथ उर्वरक उपलब्ध होने के बावजूद,किसान बढ़ती कीमतों की शिकायत करते हैं. यहीं के किसान लोकेंद्र जाट का कहना है कि यूरिया का एक बैग जो पहले 50 किलोग्राम का होता था, अब उसे 45 किलोग्राम के बैग में पैक किया जाता है, जबकि कीमत वही रहती है. उन्होंने कहा, “डीएपी की एक बोरी की कीमत पहले 1,200 रुपये थी, लेकिन अब इसकी कीमत 1,365 रुपये है। दानेदार उर्वरक की कीमत भी 310 रुपये से बढ़कर 468 रुपये हो गई है. इससे पैदावार पर असर पड़ेगा.
लेकिन कुछ जगहों पर नए पैकेजिंग में यूरिया के बैग आए हैं, लेकिन वहां भी इसकी भारी कमी है. रीवा और देवास जैसे जिलों में नई बोरियां आ गई हैं लेकिन वहां किसान पांच-छह घंटे से अधिक समय तक कतारों में इंतजार करने की शिकायत कर रहे हैं. यहां किसानों को कुछ बैग उर्वरक प्राप्त करने के लिए दो से तीन चक्कर लगाने पड़ते हैं.
तहसीलदार रमेश मसारे ने एनडीटीवी को बताया कि लंबी कतारें अन्य जिलों के किसानों द्वारा उर्वरक खरीदने के लिए वहां आने के कारण होती हैं, लेकिन कमी की किसी भी खबर से इनकार किया। हालांकि ये भी कह गये कि कतारों की वजह आचार संहिता और पुरानी पैकेजिंग है.
इस बीच बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने राज्य में अपना चुनाव अभियान तेज कर दिया है, यह मुद्दा पार्टी नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के भाषणों में भी उठ रहा है. खुद केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा कर रही हैं कि राज्य में उर्वरक की कोई कमी नहीं है और वितरण केंद्रों के बाहर आसानी से खाद मिल रही है.
दूसरी ओर, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने एमपी में एक रैली को संबोधित करते हुए बीजेपी पर ‘किसानों को धोखा देने और उनके लिए कुछ नहीं करने’ का आरोप लगाया.दूसरे कांग्रेस दिग्गज मसलन- कमलनाथ और दिग्विजय भी हर चुनावी मंच से खाद की कमी का मुद्दा उठा रहे हैं. अधिकारियों के अनुसार राज्य में लगभग 6.42 लाख मीट्रिक टन यूरिया आया, 2.86 लाख मीट्रिक टन बेचा गया है और 3.56 लाख मीट्रिक टन बचा हुआ है। कुल 4.31 लाख मीट्रिक टन डीएपी में से 2.03 लाख मीट्रिक टन का वितरण किया जा चुका है.