September 20, 2025

ग्वालियर का नया नाम, यूनेस्को ने घोषित किया ‘सिटी ऑफ म्यूजिक’

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Sahara Samachaar;

UNESCO Declared the new name of Gwalior, ‘City of Music.’

यूनेस्को ने ग्वालियर को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क लिस्ट में किया शामिल।

तानसेन की नगरी को सिटी ऑफ म्यूजिक के रूप में मिली नई पहचान।

यूनेस्को में शहर को शामिल करने केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने भी लिखा था पत्र।

संतोष सिंह तोमर

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर राज्य के साथ ही ग्वालियर के लिए बड़ी और अच्छी खबर आई है। जिसे सुन और पढ़कर आप खुशी से झूम उठेंगे। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) नेअपने क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क की नवीनतम सूची की घोषणा की है। जिसमें दुनियाभर के 55 नए शहरों में मध्यप्रदेश के ग्वालियर को ‘सिटी ऑफ म्यूजिक’ (संगीत नगर) के रूप में शामिल किया है।अपनी सदियों पुरानी संगीत पंरपरा के चलते दुनिया भर में विख्यात ग्वालियर अब प्रतिष्ठित यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क में शामिल हो गया है। परियोजना का नेतृत्व मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने ग्वालियर नगर निगम, ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, राजा मानसिंह तोमर संगीत और कला विश्वविद्यालय, संगीत कलाकारों आदि के सहयोग से किया था। साथ ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी इसके लिए सार्थक प्रयास करते हुए यूनेस्को के क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क में ग्वालियर शहर को शामिल करने के लिए केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय और मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग को पत्र भी लिखा था। गौरतलब है कि ग्वालियर में संगीत सम्राट तानसेन और बैजू बावरा जैसे महान संगीतकार हुए और यहां के संगीत को संरक्षित व संवंर्धित करने के लिए सिंधिया राजघराना सदियों से सार्थक पहल करता रहा है।

तानसेन और बैजू बावरा का जन्म ग्वालियर में

प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन और प्रबंध संचालक टूरिज्म बोर्ड शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि यूनेस्को द्वारा ग्वालियर को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क कार्यक्रम में शामिल करना एक बड़ी उपलब्धि है। सूची में शामिल होने से पूरी दुनिया को मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक समृद्धि की समझ में वृद्धि होगी। तानसेन और बैजू बावरा जैसे महान संगीतज्ञों के शहर ग्वालियर में ही ध्रुपद संगीत परंपरा का जन्म हुआ है। जो आज भी जीवित हैं और बहुत दृढ़ता से संरक्षित है। ग्वालियर और संगीत से सरोकार रखने वाले हर व्यक्ति के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है।

अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

सूची में शामिल होने से शहर को होने वाले फायदे के बारे में बताते हुए शुक्ला ने कहा कि मुझे यकीन है कि उपलब्धि की मदद से पूरी दुनिया प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता की समृद्धि और गहराई की तरफ आकर्षित होगी। इससे ग्वालियर शहर में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यह मध्य प्रदेश के लिए एक बड़ा अवसर है और हम यूनेस्को, संस्कृति विभाग, भारत सरकार और उन सभी लोगों के बहुत आभारी हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में ग्वालियर से जुड़े रहे हैं।

सिंधिया ने पत्र लिखकर किया था प्रयास

सिटी ऑफ म्यूजिक के तौर पर ग्वालियर का नाम यूनेस्कों में शामिल हो, इसे लेकर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसी साल जून में एक पत्र लिखा था। उन्होंने ग्वालियर के समृद्ध सांस्कृति और गौरवशाली संगीत इतिहास का वर्णन करते हुए बैजू बाबरा के साथ ही महान संगीतज्ञ तानसेन के अलावा ग्वालियर के संगीत घरानों और देश-विदेश में नृत्य और संगीत के माध्यम से ग्वालियर की नई पहचान दिलाने वाले “उद्भव-उत्सव“ का भी उल्लेख किया था।

ग्वालियर में कायम हैं गुरु-शिष्य परंपरा

केंद्रीय मंत्री ने ग्वालियर में संचालित सदियों पुराने संगीत घरानों के साथ ही गुरु-शिष्य परंपरा का बखूबी वर्णन किया था। पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया गया था, कि किस तरह मौजूदा परिवेश में सिंधिया राज घराना प्राचीन संगीत व पारंपरिक वाद्ययंत्र को बजाने वाले कलाकारों व उनकी कला को जीवित रखने उनके संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।

ग्वालियर को मिलेगी नई पहचान

यूनेस्को से सिटी ऑफ म्यूजिक का तमगा मिलने के बाद अब ग्वालियर के संगीत को विश्व पटल पर एक नई पहचान मिलेगी। संगीत के क्षेत्र में कॅरियर बनाने में जुटे विद्यार्थियों और पेशेवर संगीतकारों को विश्व में अपनी उड़ान भरने का मौका मिल सकेगा। राष्ट्रीय स्तर के तानसेन अलंकरण समारोह के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनेक संगीत कार्यक्रम होने से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और ग्वालियर का मान बढ़ेगा।

यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज सिटी में हैं ग्वालियर व ओरछा

यूनेस्को ने अर्बन लैंडस्केप सिटी कार्यक्रम के तहत वर्ष 2020 में मध्य प्रदेश के दो ऐतिहासिक शहरों ग्वालियर व ओरछा को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी की सूची में शामिल कर लिया था। पर्यटन से जुड़े विशेषज्ञ इसे प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि मानते हैं। नौवीं शताब्दी में स्थापित ग्वालियर तथा 16वीं शताब्दी में स्थापित ओरछा अपने यहां स्थित महलों, मंदिरों सहित अन्य ऐतिहासिक इमारतों के लिए प्रसिद्ध हैं। खूबसूरत ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध देश के ये दोनों शहर हमेंशा से ही देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं।

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