एमपी में निर्दलीय, सपा-बसपा की जो मानेगा शर्तें, वही बनेगा ‘सिकंदर’ आधा दर्जन सीटों पर निर्दलीय भारी, सपा-बसपा ने भी मतदाताओं पर खूब डाले डोरे.
Madhya Pradesh, an independent candidate, along with the terms accepted by the SP-BSP alliance, will become a significant player. Heavy competition is expected on half a dozen seats with independent candidates, and the SP-BSP alliance is also actively engaging with voters.
पूर्व सांसद गुड्डू, अंतर, चौहान, त्रिपाठी, केदारनाथ शुक्ला सहित आधा नेताओं ने खड़ी कर दी मुश्किल, तीसरा चहेरे ने कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों के लिए खड़ा कर दिया जीत का पहाड़, बागियों की बागवत चुनाव परिणाम में पड़ेगी भारी.
उदित नारायण
भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान जहां कई बागियों ने बागवत की है, वहीं सपा और बसपा ने भी मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसका नतीजा है कि भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के सामने बड़ी चुनौती है। तीसरे चेहरे पर भी जनता भरोसा कर सकती है। ऐसी स्थिति कई अहम सीटों पर बनी है। जो कांग्रेस और भाजपा के पास लंबे तक रिजर्व के तौर पर रही हैं। मध्य प्रदेश में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के जब नतीजे आए थे तो भाजपा को 109 और कांग्रेस को 114 सीटें मिली थी। एमपी में किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत होती है। ऐसे में किंगमेकर की भूमिका में निर्दलीय, सपा और बसपा के विधायक थे।
रिजल्ट से पहले एक बार फिर 2018 वाली स्थिति को लेकर पूवार्नुमान लग रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस समेत प्रदेश के लोगों की नजर उन निर्दलीय और छोटे दलों के उम्मीदवारों पर टिक गई है, जिनकी जीत तय मानी जा रही है। वहीं, कुछ सीटों पर उनके जीतने की संभावना है। पूरे प्रदेश में ऐसे चेहरों की संख्या सात से आठ हो सकती है। दरअसल, 3 दिसंबर को एमपी विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे। भाजपा और कांग्रेस 150-150 सीटें लाने का दावा कर रही है। वहीं, वोटिंग से पहले आए ओपिनियन पोल में दोनों में से कोई दल बहुमत के आंकड़े के करीब नहीं पहुंच रहा था। एमपी में सट्टा बाजार भी इसी ओर इशारा कर रहा है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस इन्हें साधने की जुगत में जुट गई है। इनमें से अधिकांश चेहरे इन्हीं दलों से बागी होकर मैदान में हैं।
मैहर में नारायण और फिर नारायण
बीजेपी ने इस बार मैहर से नारायण त्रिपाठी को टिकट नहीं दिया था। पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से उनका टिकट कटा था। इसके बाद नारायण त्रिपाठी ने विंध्य विकास पार्टी बना ली थी। अपनी ही पार्टी से नारायण त्रिपाठी मैहर से चुनाव लड़ रहे हैं। वोटिंग के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि नारायण त्रिपाठी चुनाव जीत सकते हैं। इनकी नजदीकियां भाजपा और कांग्रेस दोनों से हैं।
पूर्व अध्यक्ष के बेटे शेरा और चटनिस के लिए चुनौती
वहीं, बुरहानपुर विधानसभा सीट पर भी भाजपा और कांग्रेस की नजर है। इस सीट से अभी निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा विधायक हैं। हालांकि वह शुरू से कांग्रेस के साथ रहे हैं। सुरेंद्र सिंह शेरा इस बार कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और उन्हें पार्टी ने टिकट दिया है। वहीं, बीजेपी ने अर्चना चिटनिस को यहां से उम्मीदवार बनाया है। अर्चना चिटनिस को टिकट मिलने के बाद बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान के बेटे हर्ष सिंह चौहान नाराज हो गए। हर्ष सिंह चौहान बीजेपी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए हैं। स्थानीय जानकारों के अनुसार हर्ष सिंह चौहान दोनों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। अगर चुनाव जीतते हैं तो बीजेपी इन्हें मनाने की कोशिश करेगी।
कांग्रेस के साथ जाएंगे गुड्डू या फिर घर बैठेंगे
कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू भी आलोट विधानसभा चुनाव से टिकट चाहते थे। पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया तो वह निर्दलीय अलोट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी से इस्तीफा देने के बाद कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर कई आरोप लगाए थे। इन पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की नजर है। प्रेमचंद्र गुड्डू भाजपा में भी रह चुके हैं।महू में दरबार के लगने की ज्यादा उम्मीद- महू विधानसभा सीट पर अभी भाजपा का कब्जा है। वहीं, सबसे ज्यादा चर्चा अंतर सिंह दरबार की हो रही है। अंतर सिंह दरबार कांग्रेस में रह चुके हैं। कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए हैं। कहा जा रहा है कि महू में अंतर सिंह दरबार का पलड़ा भारी दिख रहा है। कांग्रेस ने फिर से उन पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं।
सीधी में भाजपा के लिए सीधी नहीं जीत, शुक्ला हावी
वहीं, पेशाबकांड की वजह से भाजपा ने इस बार अपने सीटिंग विधायक केदारनाथ शुक्ला का टिकट काट दिया था। उनकी जगह सांसद रीति पाठक को टिकट दिया है। सीधी में केदारनाथ शुक्ला ने रीति पाठक की मुश्किलें बढ़ा दी है। हालांकि चर्चा यह भी है कि केदारनाथ शुक्ला अगर टक्कर दिए होंगे तो कांग्रेस को फायदा हो सकता है।चौधरी, राजू और रघुवंशी भी कांग्रेस के लिए कम नहीं- गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में करीब एक दर्जन विधानसभा की ऐसी सीटें हैं, जहां छोटे दल और निर्दलीय बड़े दलों का खेल खराब कर सकते हैं। इनमें गोटेगांव से कांग्रेस के बागी शेखर चौधरी निर्दलीय लड़ रहे हैं। सिरमौर में बीएसपी ने बीजेपी उम्मीदवार की चुनौती बढ़ा दी है। धार में बीजेपी के बागी राजू यादव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। सिवनी मालवा में ओम रघुवंशी निर्दलीय मैदान में हैं। इससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं।