मालेगांव विस्फोट मामला: कोर्ट की चेतावनी के बाद पेश हुईं प्रज्ञा ठाकुर
Malegaon blast case: Pragya Thakur appeared after court’s warning, used thumb impression instead of signing
- साइन करने की जगह लगाया अंगूठा
महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को एक मस्जिद के पास एक बाइक पर रखे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।
भोपाल से भारतीय जनता पार्टी की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में अपना अंतिम बयान दर्ज कराने के लिए गुरुवार को मुम्बई की एक विशेष अदालत में पेश हुईं। मालेगांव बम विस्फोट मामले की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर इससे पहले कई बार स्वास्थ्य आधार पर अदालत में पेश नहीं हुई थीं। जिसके बाद विशेष अदालत ने चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि अगर ठाकुर 25 अप्रैल को पेश नहीं होतीं तो उन्हें कार्रवाई का सामना करना होगा।
चेतावनी के बाद वह NIA (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) के जांच वाले मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत के समक्ष गुरुवार को पेश हुईं, हालांकि उन्होंने दावा किया कि वह अब भी अस्वस्थ हैं। ठाकुर ने प्रश्न-उत्तर के प्रारूप में अपना बयान अदालत को सौंपा।
उन्होंने एक आवेदन दायर कर बयान पर अंगूठा लगाने की अनुमति मांगी और कहा कि उनकी हथेलियों में अचानक कमजोरी आने के कारण वह कागज पर हस्ताक्षर करने में असमर्थ हैं। जिसके बाद अदालत ने इसकी अनुमति दे दी।
ठाकुर और छह अन्य लोगों पर भारतीय दंड संहिता, विधिविरुद्ध क्रियाकलाप रोकथाम अधिनियम, विस्फोटक तत्व अधिनियम, भारतीय शस्त्र अधिनियम और मकोका (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम) की संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा चल रहा है। विशेष अदालत के न्यायाधीश एके लाहोटी इस मामले में शुक्रवार को भी बयान दर्ज करेंगे।
पिछले महीने प्रज्ञा ठाकुर NIA के सामने पेश होने में विफल रही थीं, जिसके बाद विशेष अदालत ने ठाकुर के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था। बाद में वह व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुईं, जिसके बाद वारंट रद्द कर दिया गया। अदालत ने पूर्व में ठाकुर को कार्रवाई की चेतावनी दी थी जब वह अपना बयान दर्ज कराने के लिए उसके समक्ष उपस्थित नहीं हुई थीं।
2008 में हुआ था मालेगांव ब्लास्ट
उत्तरी महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को एक मस्जिद के पास एक बाइक में हुए विस्फोट से 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र ATS (आतंकवाद निरोधक दस्ता) ने की थी, बाद में इसे NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को स्थानांतरित कर दिया गया था।