बजट की माया, कौन समझ पाया… साहित्य की भाषा में समझें
The illusion of the budget who could understand… understand in the language of literature
भोपाल। मध्यप्रदेश का वित्त बजट 3 लाख, 14, हजार, 25 करोड़ के लिए वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा द्वारा प्रस्तुत किया गया है, वह वास्तव में पूर्ण बजट न होकर 31 जुलाई 2024 तक के लिए लेखानुदान है। इस बजट में यह समझदारी तो परिलक्षित होती ही है कि आगत लोकसभा के चुनाव को देखते हुए कोई कड़वी दवा न दी जाए। अत: इसको चुनावी बजट तो कहा ही जा सकता है। बड़ी बात यह कि जैसा विपक्षी दल यह दुष्प्रचार कर रहे थे, कि मामाजी के जाते ही लाडली बहनों को मिलने वाली राशि बंद कर दी जाएगी, उस आशंका और दुष्प्रचार को मोहन सरकार ने यथावत रखने हेतु वित्तीय प्रावधान रखकर, निर्मूल कर दिया। दूसरी बात यह कि भाजपा की नए वोटर पर पैनी दृष्टि है अत: 12 कक्षा में अच्छे नंबरों से पास होने वाली छात्राओं को अब साइकिल के स्थान पर ई स्कूटी देने हेतु बजट में प्रावधान रखना चतुराई का प्रमाण है। पहली बार पेपरलेस ई बजट प्रस्तुत करना डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ता हुआ एक कदम है। देश की जीडी पी में मध्यप्रदेश का योगदान 3.6 से बढ़कर 4.8 हो जाना आर्थिक स्थिरता और समृद्धि का परिचायक है।
इस बार का बजट युवा, महिला, बेटी और जनजातीय वर्ग को समर्पित है। साथ ही मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर को गति देने वाला है भोपाल, इंदौर मेट्रो को गति देने हेतु फंड का आवंटन इसका प्रमाण है। सरकार द्वारा 1000 वाहनों को अपने बेड़े में से कम करके उनकी जगह प्रदूषण रहित ई वाहन चलाने की घोषणा करना जहां पर्यावरण प्रदूषण को कम करने की स्वागत योग्य पहल है वहीं केंद्र सरकार की योजनाओं से तालमेल स्थापित करने का प्रयास भी है। मिलेट्स को बढ़ावा देने हेतु सब्सिडी की योजना से किसानों की आय बढ़ेगी, सीएम राइज स्कूलों के लिए बजट में वृद्धि निश्चित ही शिक्षा के क्षेत्र में एक सराहनीय पहल है। गरीबों को मकान की रजिस्ट्री की दर 5 प्रतिशत से 0 प्रतिशत कर देना भी राहत देने वाला कदम है।
अनुसूचित जनजाति का बजट 37 प्रतिशत बढ़ा देना बताता है कि आदिवासी वोटों को सरकार अगले चुनावों में हाथ से नहीं जाने देना चाहती। भले ही बजट में कोई नया कर नहीं लगाया परंतु किसी तरह की कोई राहत भी नहीं दी गई। कुल मिलाकर नई सरकार मोदी के फुट प्रिंट पर चलती दिखाई दी। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस की कीमतों में कमी होने की अपेक्षा थी जो पूरी नहीं हुई। मैं चूंकि साहित्यकार हूं तो अपनी बात कहूंगा कि अधिकांश राज्यों में सरकार द्वारा पुस्तक खरीदी योजना चलाई जाती है, जिससे सत्साहित्य को एवम साहित्यकारों को बढ़ावा मिलता है तथा सामाजिक उत्थान होता है। मध्यप्रदेश में भी यह योजना लागू थी परंतु कुछ वर्षों से पुस्तक खरीदी योजना बंद होने से साहित्यकारों में निराशा और आक्रोश है। साहित्यकार कई वर्षों से यह मांग करते आ रहे हैं परंतु इस बार भी सरकार ने निराश किया। आशा है मुख्यमंत्री इसपर ध्यान देंगे।