शहर में आवारा कुत्तों की धमक, प्रशासन, निगम लाचार
Threat of stray dogs in the city, administration, corporation helpless
दहशत में लोगों ने सुबह-शाम टहलना छोड़ा। स्कूली बच्चों से लेकर साइकिल व बाइक वालों पर झपटते हैं श्वान।

3500 मामले हर महीने केवल लाल अस्पताल में पहुंच रहे।
2014-15 से कुत्तों की नसबंदी किए जाने का दावा।
1 लाख 80 हजार श्वानों की अब तक हुई नसबंदी। 60 हजार करीब श्वान नसबंदी के लिए बचे।
इंदौर। ऐसा लगता है, मानो नगर निगम और प्रशासन ने इंदौर को आवारा कुत्तों के हवाले कर दिया है। हर गली, हर मोहल्ले में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हद तो यह कि बीते कुछ ही दिनों में शहर में डाग बाइट अर्थात कुत्तों द्वारा बच्चों या लोगों पर हमला करने, उन्हें काटने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। प्रतिमाह औसतन 3500 ऐसे मामले हो रहे हैं, जिनमें किसी व्यक्ति, बच्चे या महिला को कुत्ते ने काटा हो। यह बहुत भयावह आंकड़ा है।

लोगों ने कुत्तों की दहशत के कारण सुबह-शाम टहलना छोड़ दिया है। साइकिल से स्कूल जाने वाले बच्चे दहशत में हैं। बाइक सवारों पर कुत्तों के झपटने और उन्हें गिरा देने के मामले भी लगातार हो रहे हैं। इसके बावजूद निगम आयुक्त, महापौर और कलेक्टर नींद में हैं तथा कुत्तों के इस आतंक को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा रहा है।
देश के सबसे स्वच्छ शहर की टांग पर इन दिनों आवारा कुत्तों के दांत गड़े हुए हैं और इन कुत्तों के सामने नगर निगम, प्रशासन, जनप्रतिनिधि…सब मानो असहाय हो गए हैं। दरअसल, कुछ दिनों से शहर में डाग बाइट के मामले अचानक तेजी से बढ़ गए हैं। महालक्ष्मी नगर, निपानिया क्षेत्र में तो ऐसे-ऐसे केस हो रहे हैं कि लोगों ने डर के मारे सुबह-शाम टहलना छोड़ दिया है।
शाम होते ही बच्चों को घरों में कैद कर दिया जाता है। कोचिंग के लिए बच्चों को साइकिल से भेजने के बजाय पालक उन्हें कार से छोड़ने जा रहे हैं। इधर, नगर निगम के जिम्मेदारों का रटा-रटाया जवाब है कि श्वानों की नसबंदी कराकर हम उन्हें कैद में नहीं रख सकते, उन्हें छोड़ना ही पड़ता है। नगर निगम को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ ही नागरिकों की सुरक्षा के लिए कोई समाधान निकालना ही होगा।