February 6, 2025

लड़ेगी सभी 29 सीटें, लेकिन 10 लोकसभा सीटों में ध्यान केंद्रित करेगी कांग्रेस

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Will contest all 29 seats, but Congress will focus on 10 Lok Sabha seats

  • विधानसभा में मिले वोटों के आधार पर 9 सीटों की उम्मीद
  • राजगढ़ से दिग्विजय परिवार का सदस्य मार सकता बाजी

भोपाल। विधानसभा चुनाव में हार से उबर कर कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। नतीजा जो भी आए, लेकिन तैयारी के लिहाज से भाजपा की तुलना में कांग्रेस आगे दिखने लगी है। कांग्रेस लड़ेगी तो सभी 29 लोकसभा सीटें, लेकिन 10 सीटों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करेगी। इनमेंे से 9 सीटों में विधानसभा चुनाव में मिले वोटों के कारण पार्टी को उम्मीद है। 10 वीं सीट राजगढ़ है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि यदि यहां से दिग्विजय सिंह अथवा उनके परिवार का सदस्य चुनाव लड़े तो यहां भी जीत दर्ज की जा सकती है।

छिंदवाड़ा से आगे बढ़ना चाहती है कांग्रेस
कांग्रेस की बैठकों में प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी कह चुके हैं कि लगभग 100 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस प्रत्याशी 1 या 2 फीसदी के अंतर से चुनाव हारे हैं। 5 लोकसभा क्षेत्र तो ऐसे हैं, जहां कांग्रेस को भाजपा से ज्यादा वोट मिले हैं। इसके अलावा 4 लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस ने भाजपा को अच्छी टक्कर दी है। जीतू पटवारी का मानना है कि यदि व्यवस्थित चुनाव लड़ा जाए और प्रत्याशी अच्छे हों तो पांसा पलटते देर नहीं लगेगी। कांग्रेस का टारगेट छिंदवाड़ा के साथ ये 9 सीटें हैं, जहां के लिए कांग्रेस पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है।

पांच क्षेत्रों में ज्यादा विधानसभा सीटें जीती कांग्रेस
विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बावजूद 5 लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां, कांग्रेस ने भाजपा से ज्यादा विधानसभा सीटें जीतीं। छिंदवाड़ा में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने तीन विधानसभा सीटों में बढ़त बनाई थी लेकिन विधानसभा चुनाव में वह सभी सीटें हार गई। मुरैना में नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा के चुनाव में सभी सीटों में बढ़त बनाई थी लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा 5 सीटें हार गई जबकि तोमर यहां से विधानसभा का चुनाव लड़ रहे थे। धार में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 6 सीटों में बढ़त ली थी लेकिन विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस से 5 विधानसभा सीटों में पिछड़ गई। खरगोन के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त ली थी लेकिन विधानसभा चुनाव में वह सिर्फ 3 सीटें जीत सकी। पांचवी सीट है रतलाम-झाबुआ। यहां भी 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 5 सीटों पर बढ़त बनाई थी लेकिन विधानसभा चुनाव में वह सिर्फ एक सीट जीत सकी।

चार लोकसभा क्षेत्रों में रही बराबरी की टक्कर
प्रदेश के चार लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं, विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा-कांग्रेस के बीच लगभग बराबरी की टक्कर हुई। कांग्रेस इन सीटों में भी ध्यान केंद्रित करने की तैयारी में है। इनमें भिंड, ग्वालियर और बालाघाट लोकसभा क्षेत्रों में दोनों दलों भाजपा- कांग्रेस को 4-4 विधानसभा क्षेत्रों में जीत मिली है। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने भिंड की सभी 8, ग्वालियर की 6 और बालाघाट की 7 विधानसभा सीटों में बढ़त बना कर जीत दर्ज की थी। टीकमगढ़ में भी लोकसभा चुनाव में भाजपा ने क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों में बढ़त बनाई थी लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 3 सीटें गंवा दीं। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यदि यहां जोर लगाया जाए तो सफलता मिल सकती है।

तैयारी ठीक, लेकिन पिछली बार जैसा हाे सकता हश्र
लोकसभा चुनाव की दृष्टि से कांग्रेस की तैयारी अच्छी है लेकिन उसे यह भी याद रखना होगा कि 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद तो कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार तक बना ली थी। उसकी सरकार रहते 2019 का लोकसभा चुनाव हुआ था, इसमें कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। किसी तरह छिंदवाड़ा में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ चुनाव जीत सके थे। जब सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में एक सीट तक के लाले पड़ गए थे तो अब जब प्रदेश में भाजपा बंपर जीत के साथ सत्ता में है तो कांग्रेस का हश्र पिछले लोकसभा चुनाव जैसा हो सकता है।

तैयारी में भाजपा से आगे दिख रही कांग्रेस
इसमें कोई संदेह नहीं कि लोकसभा चुनाव की तैयारी में इस बार भाजपा की तुलना में कांग्रेस आगे दिख रही है। प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन में देरी किए बगैर कांग्रेस आलाकमान चुनाव घोषणा पत्र समिति पहले ही गठित कर चुका था, अब प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों के लिए प्रभारी और संयोजक नियुक्त किए जा चुके हैं। तैयारी के सिलसिले में कांग्रेस पार्टी विधायकों, विधानसभा चुनाव हारे प्रत्याशियों, प्रभारियों, जिलाध्यक्षों की बैठकें कर चुकी है। इनमें लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा हुई है। तय किया जा चुका है कि पार्टी के सभी बड़े नेताओं को लोकसभा का चुनाव लड़ाया जाएगा और प्रत्याशियों की घोषणा भी जल्दी कर दी जाएगी ताकि प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

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