April 24, 2025

पत्रकार वार्ता: गांव और किसान विरोधी भाजपा, लिया उधार किया भ्रष्टाचार : जीतू पटवारी

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Press Conference: BJP is anti-village and anti-farmer, took loan and indulged in corruption: Jeetu Patwari

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किसानों के साथ कुठाराघात :-

भोपाल। मध्यप्रदेश की आत्मा गांवों में बसती है और उसकी खुशियां खेतों में लहलहाती है। मगर मोहन सरकार ने अपने बजट में प्रदेश के ग्रामीण विकास के साथ विश्वासघात किया और किसानों के साथ कुठाराघात। मोहन सरकार ने वर्ष 2024-25 के बजट में कृषि एवं उसकी सहायक गतिविधियों में प्रावधानों के विवरण में किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग सहित उद्यानिकी, पशुपालन, मछुआ कल्याण, सहकारिता, राजस्व, ऊर्जा, लोक निर्माण जैसे सभी विभागों के बजट को रेखांकित किया है।

दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्ष 2022-23 में इन विभागों में किसानों के लिए 74496 करोड़ रूपये खर्च किये थे। मगर 2024-25 में इसमें 66605 505 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है। अर्थात दो साल पहले के बजट से भी 7891 करोड़ रूपये कम कर दिये गये हैं। शर्मनाक तरीके से किसान कर्जमाफी में सिर्फ 3000 रूपये का प्रावधान किया है। कांग्रेस सरकार ने 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया था। लगभग 13 लाख किसानों की कर्जमाफी बाकी थी। वर्तमान बजट के किसान कर्जमाफी के प्रावधान में 0.002 रूपये का प्रावधान शर्मसार करता है।

भावांतर फ्लेट रेट योजना में सिर्फ 1000 रूपये का प्रावधान किया गया है। किसान कल्याण योजना में भी पिछले वर्ष के प्रावधान को यथावत रखा गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 2022-23 में 2306 करोड़ रूपये खर्च किये गये थे, मगर इस बजट में उसे घटाकर मात्र 2000 करोड़ रूपये कर दिया गया है।

ग्रामीण विकास के साथ विश्वासघात :-

यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि ग्रामीण विकास मोहन सरकार की प्राथमिकताओं में है ही नहीं। ग्रामीण विकास के लिए भाजपा सरकार ने 2022-23 में 18389 करोड़ रूपये खर्च किये थे जिसे 2024-25 के बजट में 18746 करोड़ रूपये किया गया है। इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि 2023-24 के बजट अनुमानों में 17471 करोड़ रूपये का प्रावधान किया था, जिसे पुनरीक्षित अनुमानों में कम करके 13,024 करोड़ रूपये किया गया। अर्थात 4447 करोड़ रूपये ग्रामीण विकास में से पिछले वर्ष ही काट दिये गये। उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 2022-23 में 2584 करोड़ रूपये खर्च किये गये थे जिसे इस बजट में घटाकर 1788 करोड़ रूपये कर दिया गया। इसी प्रकार प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में 2022-23 में 10171 करोड़ रूपये खर्च किये थे, जिसे इस बजट में घटाकर मात्र 4000 करोड़ रूपये किया गया है। इतना ही नहीं 2023-24 के बजट अनुमान में इस योजना में 8000 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा था, जिसे 2023-24 के पुनरीक्षित अनुमान में कम करके 3136 करोड़ रूपये कर दिया गया है।

वित्त मंत्री ने सदन में बोला झूठ:

वित्त मंत्री ने कल सदन में यह झूठ परोस दिया कि प्रदेश के पूंजीगत व्यय में इस बजट में 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है, जबकि सच्चाई इससे बिल्कुल विपरीत है। पूंजीगत व्यय 2023-2024 में 67177.96 था, जिसे घटाकर 61633.49 करोड़ रूपये किया गया। अर्थात प्रदेश के अधोसंरचना विकास के साथ कुठाराघात किया गया। दुर्भाग्यपूर्ण है कि वाहन खरीदी, फर्नीचर इत्यादि जैसी अनेकों वस्तुएं जो पहले रेवेन्यु खर्चे में दर्शायी जाती थी, उन्हें भी पूंजीगत व्यय में शामिल कर लिया गया है।

जनता को करों के बोझ के तले दबाने की साजिश :-

एक तरफ प्रदेश की भाजपा सरकार कह रही है कि बजट में कोई नया कर जनता पर नहीं थोपा गया है। जबकि बजट में प्रदेश सरकार द्वारा एसजीएसटी में 32000 करोड़ रूपये से बढ़कर 40 हजार करोड़ रूपये अनुमानित बताया गया है। अर्थात 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्शायी गई है तथा राज्य सरकार जो वर्ष 2023-24 में 87545.12 करोड़ का कर जनता से वसूल रही थी, वह वर्ष 2024-25 के बजट में 102096.51 करोड़ रूपये अनुमानित किया गया है। अर्थात 17 प्रतिशत की वृद्धि राज्य के अपने करों की बतायी गई है। तब यह कैसे संभव है कि नये करों का बोझ जनता पर नहीं डाला जायेगा। जबकि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि मात्र 0.5 प्रतिशत की बतायी गई है।

लिया उधार, किया भ्रष्टाचार :-

भाजपा सरकार ने प्रदेश को घोटालों की भेंट चढ़ा दिया। पोषण आहार घोटाला, आयुष्मान घोटाला, नर्सिंग घोटाला जैसे सैकड़ों घोटालों ने मप्र के विकास को गहरा आघात पहुंचाया है। बेशर्म भाजपा सरकार ने प्रदेश को कर्ज एवं अन्य दायित्वों के गर्त में डुबो दिया। प्रदेश में पैदा होने वाले प्रत्येक बच्चे पर 61493 रुपये का कर्ज एवं अन्य दायित्व थोपा जा रहा है। प्रदेश पर ऋण एवं अन्य दायित्वों 2024-25 के बजट में 491943.50 करोड़ रुपये हो गया है। अर्थात प्रति व्यक्ति कर्ज एवं अन्य दायित्व लगभग 61493 रुपया और कर्ज की वृद्धि दर प्रदेश के राजस्व प्राप्तियों की वृद्धि दर से ज्यादा है

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