चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा में घमासान।
ग्वालियर। मध्य प्रदेश में बहुत जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनैतिक दलों की तैयारीयां जोरों पर हैं लेकिन भाजपा चुनाव तैयारियों के मामले में सबसे आगे नजर आ रही है। जिसके चलते प्रतिदिन उद्धघाटन, लोकार्पण और जनसभाओं का दौर जारी है। इन्ही जनसभाओं में दिग्गज नेताओं द्वारा दिये जा रहे बयानों से राजनैतिक गलियारों के साथ ही डबल इंजन सरकार वाली भारतीय जनता पार्टी में भी माहौल गर्मा गया है। विधानसभा चुनाव में बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के चुनाव मैदान में उतरी भाजपा के बड़े नेताओं ने पार्टी हाईकमान की इस रणनीति का खुलकर विरोध तो नहीं किया लेकिन दिग्गज नेताओं ने बातों बातों में खुद को मुख्यमंत्री चेहरा साबित करना शुरू कर दिया है। जबकि अभी यह कहना भी मुश्किल है कि प्रदेश में सरकार भाजपा की बनेगी या फिर कांग्रेस की लेकिन इन दिग्गजों के दावों और बयानों ने प्रदेश की राजनीति में हलचल जरूर मचा दी है। आइये आपको बताते हैं भाजपा के दिग्गज नेताओं ने क्या ऐसा क्या कहा, जिससे अपने आप को भावी मुख्यमंत्री सिद्ध करना माना जा रहा है।
मामा को मुख्यमंत्री बनना चाहिए कि नहीं:- शिवराज सिंह।
सीएम शिवराज सिंह अपनी सभाओं में कुछ ऐसे बयान भी दे रहे हैं। जिनकी सियासी गलियारों में खासी चर्चा है। लोग अलग-अलग कयास लगा रहे हैं। सीएम शिवराज सिंह ने एक सभा में कहा था कि ‘ऐसा भैया नहीं मिलेगा, जब चला ऊंगा तो बहुत याद आऊंगा’। इसके बाद एक सभा में उन्होंने जनता से पूछा ‘चुनाव लडूं या नहीं’ ।
वहीं, शुक्रवार को डिंडौरी की सभा में तो उन्होंने जनता से ये पूछ ‘लिया कि ‘मामा को मुख्यमंत्री बनना चाहिए कि नहीं’। उन्होंने जनता से दोनों हाथ उठवाकर मामा का साथ देने और भाजपा की सरकार का साथ देने का संकल्प भी दिलवाया। उन्होंने ये भी पूछा कि मुझे दिल से ईमानदारी से बताना। मैं कैसी सरकार चला रहा हूं? अच्छी सरकार चला रहा हूं कि बुरी सरकार चला रहा हूं? तो ये सरकार आगे चलनी चाहिए कि नहीं? मामा को मुख्यमंत्री बनना चाहिए कि नहीं ? मोदी जी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए कि नहीं ? मुख्यमंत्री साबित कर रहे हैं की जनता के बीच लोकप्रिय चेहरा में हूँ कोई और नहीं, उनके सख्त तेवर बता रहे हैं कि वह किसी के दवाव में काम कएने बाले नहीं है।
मैं सिर्फ विधायक बनने नहीं आया:- कैलाश विजयवर्गीय।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और इंदौर से प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय लगभग रोजाना नई बात कह जाते हैं और बात भी ऐसी होती है कि दूर तलक जाती हैं। दरअसल कैलाश विजयवर्गीय ने एक सभा में ये कह हलचल मचा दी, कि वे सिर्फ विधायक बनने नहीं आए है, पार्टी की ओर से उन्हें बड़ी जवाबदारी मिलने वाली है। उन्होंने कहा ‘मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, भारतीय जनता पार्टी की सरकार फिर से बनने वाली है। मैं खाली विधायक बनने नहीं आया हूं। मुझे और भी कुछ बड़ी जवाबदारी मिलेगी पार्टी की ओर से। और जब बड़ी जवाबदारी मिलेगी तो बड़ा काम भी करूंगा। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हमने विकास किया है और हम विकास करेंगे।’ अभी इस बात के सियासी मायने निकाले ही जा रहे थे की कैलाश विजयवर्गीय ने गुरुवार को एक बैठक के दौरान यह कहकर फिर सबको चौंका दिया कि “मैं भोपाल में बैठे-बैठे इशारे करुंगा तो इंदौर में काम हो जाएगा.” इस बयान के मायने भी मुख्यमंत्री पद से जुड़े हुए हैं, क्योंकि सीएम भोपाल में रहकर ही सरकार चलाते हैं।
हो सकता है ईश्वर की इच्छा हो में कुछ बनु:- गोपाल भार्गव।
सागर के रहली में प्रसिद्ध देवी सिद्ध पीठ टिकीटोरिया धाम में गुरुवार को रोप वे के भूमिपूजन कार्यक्रम में शामिल होने आए मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री और भाजपा प्रत्याशी गोपाल भार्गव तो कैलाश विजयवर्गीय से भी दो कदम आगे निकल गए। भूमिपूजन कार्यक्रम में उन्होंने कहा – ‘मैं परेशान होता रहा, तो गुरु जी ने कहा जब इतने परेशान हुए हो तो, एक बार आप फिर चुनाव लड़ जाओ। ये अंतिम चुनाव होगा। ये जो भी गुरु का आदेश है, तो निश्चित रूप से मुझे भी लगा कि इस बार जो चुनाव हो रहे हैं। किसी को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट नहीं किया जा रहा है। यह नहीं बताया जा रहा कि किसे हम मुख्यमंत्री बनाएंगे। जब गुरु का आदेश आया है तो हो सकता है। और मुझे भी लगा कि गुरु की कुछ इच्छा हो । ईश्वर की तरफ से बात आई हो। गोपाल भार्गव ने कहा- ‘ऐसा भी नहीं है कि मुझे कोई चाहत है। क्योंकि लोग सरपंच बनने के लिए परेशान रहते हैं, पार्षद बनने के लिए परेशान रहते हैं। भगवान ने तो मुझे सब कुछ बनाया है। नगर पालिका अध्यक्ष बनाया। इतने साल विधायक बनाया। इतने साल मंत्री बनाया और तो और सबसे बड़ा पद जो मुख्यमंत्री के बराबर होता है, मुझे नेता प्रतिपक्ष बनाया। बाद में सरकार बदली उस समय में मैं सोचता था कि मुझे नेता प्रतिपक्ष बनाया है। मैं 108 विधायकों का नेता था। कमलनाथ जी 113 विधायकों के नेता थे। लेकिन वह संभव नहीं हो पाया। हर चीज का मुहूर्त होता है। हो सकता है कि मेरी हस्तरेखा में, भाग्य रेखा में ना हो। लेकिन समय पता नहीं कब कैसा आ जाए। तो हो सकता है कि जगदंबा जी की इस परिषद से आपकी आवाज सत्य हो जाए। मैया से यही प्रार्थना करता हूं कि जो कुछ भी बनूं सब आपके लिए बनूं।’ अब क्या बनना वांकी है यह कहने की जरूरत नहीं पड़ती दिख रही है।
इस चुनाव में बीजेपी ने कई बड़े चेहरे उतारे।
भारतीय जनता पार्टी ने किसी भी नेता को सीएम फेस प्रोजेक्ट नहीं किया है। भाजपा आलाकमान की बात करें तो वह कई बार साफ कर चुका है कि पार्टी प्रदेश में बिना सीएम फेस के चुनाव लड़ेगी। यानी इस विधानसभा चुनाव को पार्टी किसी को भी सीएम घोषित नहीं करेगी। अब तक इसी रणनीति के साथ पार्टी प्रचार-प्रसार कर रही है। वहीं पार्टी ने इस चुनाव में 3 केंद्रीय मंत्री समेत 7 सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा अब तक तीन लिस्ट जारी कर 79 प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। खास बात यह है कि इनमें से किसी भी लिस्ट में सीएम शिवराज सिंह का नाम बतौर चुनाव प्रत्याशी नहीं आया है। जिसके चलते इस बार राजनीति गलियारों में शिवराज सिंह की मध्य प्रदेश से विदाई की अटकलें भी लगाई जा रहीं हैं और हर बड़ा नेता अपने आपको मुख्यमंत्री चेहरा बताने की कोशिश कर रहा है।
सरकार बनेगी या नहीं यह भी कहना मुश्किल।
मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी कुछ भी कहना बहुत जल्दबाजी होगी। इस चुनाव में सभी राजनैतिक पार्टीयां अपनी अपनी पार्टी की सरकार बनने का दावा कर रही हैं लेकिन ये तो मतदान के बाद आने वाले चुनाव परिणाम ही बताएंगे कि मध्य प्रदेश की जनता किसे चुनती है। प्रदेश में सरकार भाजपा की बनेगी या कांग्रेस की या फिर किसी अन्य पार्टी की। खैर हमे क्या जनता का मूड जनता ही जाने। सरकार किसी की भी बने हमे तो अपना काम ही करना है, गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री राम चरित मानस में भी लिखा है।
“कोउ नृप होय हमें का हानी। चेरी छाड़ न होवैं रानी।।”