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नारी शक्ति है सशक्त समाज की नींव: सुश्री निर्मला भूरिया

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नारी शक्ति केवल शब्द नहीं बल्कि समाज की आधारशिला है। जब एक महिला सशक्त होती है तो न केवल परिवार, बल्कि संपूर्ण समाज प्रगति की ओर बढ़ता है। मध्यप्रदेश सरकार महिलाओं के सर्वांगीण विकास और सशक्तिकरण के लिए संकल्पबद्ध है। मेरा मानना है कि महिलाओं के सशक्तिकरण के सही मायने महिलाओं को उनके अधिकार, अवसर और समानता देना है ताकि वे स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकें, समाज परिवार में अपनी पूर्ण क्षमता से भागीदारी दिखा सकें। महिलाओं का सशक्तिकरण, उनकी शिक्षा, उनके स्वास्थ्य, राजनीतिक व आर्थिक अवसरों, समानताओं और उनकी सामाजिक स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रगति

2025 में, जब हम महिलाओं के विकास और सशक्तिकरण की दिशा में किए गए कार्यों की समीक्षा करते हैं, तो हम पाएंगे कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में देश-प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में सार्थक और महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। महिलाएं अपनी पूरी क्षमता को समझ कर उसका उपयोग कर सके, महिलाओं को विभिन्न संस्थागत व्यवस्थाओं जैसे स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कैरियर एवं व्यावसायिक परामर्श / प्रशिक्षण, वित्तीय समावेशन, उद्यमिता आदि से जोडने, उन्हें मार्गदर्शन उपलब्ध कराने के लिये विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं। महिलाएं आज हर क्षेत्र में अग्रणी और महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। महिलाएं ऐसे-ऐसे कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं जिनकी कुछ वर्ष पूर्व कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।। आज की महिलाएं जागृत हैं और अनेक क्षेत्रों में नेतृत्व भी कर रही है। महिलाओं के विचारों और उनके जीवन मूल्यों से सुखी परिवार, आदर्श समाज और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण होता है।

महिलाओं की हितैषी मध्यप्रदेश सरकार

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की Women Led Government की अवधारणा के अनुरुप ही मध्यप्रदेश में महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने, उनकी सहभागिता बढ़ाने के निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण के हर संकल्प को पूर्ण करने शिद्दत से कार्य कर रही है। मध्यप्रदेश में किशोरी बालिकाओं, महिलाओं के सर्वांगीण विकास, संरक्षण, सामाजिक आर्थिक सशक्तिकरण, बेहतर स्वास्थ्य, पोषण के लिये विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य उन्हें हर क्षेत्र में सशक्त बनाना है। इनमें मिशन शक्ति अंतर्गत हब, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, वन स्टॉप सेन्टर, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, महिला हेल्पलाईन 181, सखी निवास, के साथ ही मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना-2023 और मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना आदि योजनाएं प्रमुख है।

इसी अनुक्रम में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की मंशा अनुसार प्रदेश में बालिकाओं और महिलाओं की उन्नति में चुनौतियों और बाधाओं के समाधान व समग्र सशक्तिकरण हेतु नारी सशक्तिकरण मिशन आरंभ किया जा रहा है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य महिलाओं व बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, आर्थिक विकास व सुरक्षा के साथ ही विभिन्न सरकारी सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना है। मिशन के माध्यम से महिलाओं के आर्थिक स्वावलम्बन व समाज में आर्थिक भागीदारी बढाने हेतु प्रयास किये जावेंगे। विभिन्न विभागों के द्वारा संचालित योजनाओं से सम्बंधित विभागों के समन्वय से मिशन गतिविधि का संचालन होगा।

प्रदेश में आंगनवाडी सेवाओं और स्वास्थ्य कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं को स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता के बारे में जागरूक किया गया है, जिससे कुपोषण दर में भी कमी आई है। राज्य सरकार ने गर्भस्थ महिलाओं और शिशुओं की सुरक्षा के लिए वित्तीय संसाधनों की कोई कमी बाकी नहीं रखी। आंगनबाड़ी केन्द्रों का उन्नयन, रखरखाव एवं संचालन मध्यप्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में हमेशा से रहा है। इस दिशा में मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद ने प्रदेश की 12 हजार 670 मिनी आंगनवाडी केन्द्रों को पूर्ण आंगनवाडी केन्द्र के रूप में उन्नयन किए जाने का निर्णय लिया है। इसके लिये पर्यवक्षको के 476 नवीन पद. 12 हजार 670 आंगनवाड़ी सहायिका सहित कुल 13 हजार 146 नवीन पद स्वीकृत किए गए है। गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य-पोषण लिए संचालित प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश को योजना प्रारंभ से वर्ष 2022-2023 तक लगातार 5 साल राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।

बेटियों, महिलाओं की सुरक्षा मध्यप्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है और इसके लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं। वन स्टॉप सेन्टर, महिला हेल्पलाईन 181 इसी उद्देश्य को लेकर कार्यरत हैं। प्रदेश के समस्त जिलों में संकट ग्रस्त महिलाओं की सहायता हेतु जिलों में 57 वन स्टॉप सेंटर संचालित हैं, जिनके माध्यम से लगभग 1 लाख से अधिक महिलाओं को निःशुल्क सहायता उपलब्ध कराई गई है। महिला हेल्पलाइन नंबर 181 जैसी योजनाओं के जरिए महिलाएं अपनी समस्याओं का समाधान तुरंत पा रही है। महिला अपराधों को रोकने तथा उसे प्रभावी बनाने के उद्देश्य से शौर्य दल बनाए गए हैं। प्रदेश में ग्राम/वार्ड स्तर की प्रत्येक आंगनवाड़ी क्षेत्र में कुल 22.52 लाख से अधिक बालिकायें / महिलायें शौर्या दल की सदस्य है। मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को मृत्यु दंड देने वाला देश का पहला राज्य मध्यप्रदेश है।

प्रदेश में मुख्यमंत्री लाडली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना 2023 जैसी योजनाएं महिलाओं के सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता एवं विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित हुई हैं। मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना से प्रदेश में लगभग 1.27 करोड़ महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं। योजना अंतर्गत प्राप्त सहायता राशि से वे आर्थिक रूप से सशक्त होते हुए परिवार के निर्णयों में अपनी भागीदारी बढ़ा रही हैं। लाड़ली लक्ष्मी योजना में बालिकाओं को रूपये 1,43,000/- का आश्वासन प्रमाण पत्र दिया जाता है। इस योजना ने बालिका शिक्षा को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित किया है। बेटियों को स्कूल जाने के लिए साइकिल और कॉलेज के लिए स्कूटी वितरण का कार्य किया जा रहा है जिससे उनकी शिक्षा की सुविधा में कोई कठिनाई न आए।

राज्य सरकार ने बेटियों को डॉक्टर, इंजीनियर, जेईई, जज, सीए आदि परीक्षाओं की तैयारी का खर्च उठाने का जिम्मा स्वयं ले रखा है ताकि माता-पिता को इसके बोझ तले ना दबना पड़े। लाडली बालिकाओं को कक्षा 12वीं के स्नातक अथवा व्यावसायिक पाठ्यक्रम में (पाठ्यक्रम अवधि न्यूनतम दो वर्ष) प्रवेश लेने पर राशि रूपये 25,000/- की प्रोत्साहन राशि, दो समान किश्तों में (पाठ्यक्रम अवधि के प्रथम एवं अंतिम वर्ष मे) दिए जाने का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार की यही मंशा रही है कि प्रदेश की हर बेटी अपने सपने पूरा कर सके। इसी परिप्रेक्ष्य में मध्यप्रदेश में महिलाओं को निकाय चुनाव एवं शिक्षक भर्ती में 50 प्रतिशत, पुलिस भर्ती में 33 प्रतिशत और अन्य भर्तियों में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है।

"बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ राज्य सरकार का ध्येय मंत्र है। मध्यप्रदेश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ वर्ष 2015-2016 में प्रदेश के न्यूनतम शिशु लिंगानुपात वाले 06 छः जिलों से प्रारंभ होकर अब प्रदेश के समस्त जिलों में संचालित हैं। इन योजनाओं के प्रभाव से प्रदेश के आंकड़ों में सकारात्मक सुधार हुआ है। बाल विवाह की संख्या में कमी आई है। NFHS-4 (वर्ष 2015-2016) के 32.4% से घटकर NFHS-5 (2020-2021) में 23.01% रह गया है। प्रदेश में जन्म के समय लिंगानुपात NFHS-4 (वर्ष 2015-2016) अनुसार 927 था जो NFHS-5 (2020-2021) के अनुसार बढ़कर 957 हो गया है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

महिला सशक्तिकरण केवल एक नारा नहीं, बल्कि समाज के विकास की अनिवार्य शर्त है। मध्यप्रदेश सरकार महिलाओं के सर्वांगीण उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत है। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में और अधिक प्रभावी कदम उठाऐंगे।

 

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