चुरहट न्यायालय में वन-राजस्व सीमा विवाद लंबित रहते डीएफओ की बेदखली की कार्रवाई पड़ सकती है महंगी

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भोपाल। न्यायालय में लंबित किसी भी मामले पर विधानसभा में भी बहस नहीं होती है लेकिन यदि कोई सरकारी अधिकारी न्यायालय में लंबित मामले में न्यायपालिका को नजरअंदाज कर अपनी मनमानी करे तो इसे क्या कहा जाए। ऐसे ही एक मामले का खुलासा हुआ है मध्य प्रदेश के सीधी जिले में जहां वन विभाग के एक अफसर ने तो शायद खुद को भारतीय न्याय व्यवस्था और न्यायधीशों से भी ऊपर समझ लिया है। इसीलिए इस अफसर ने न्यायालय में लंबित उस मामले में बेदखली का फरमान जारी कर दिया जिसमे अभी न्यायालय में न तो सुनबाई पूरी हुई है और ना ही कोई फैसला सुनाया गया है। इतना ही नहीं जब इन वरिष्ठ अधिकारी महोदय के बेदखली फरमान पर एसडीओ ने न्यायालय में प्रकरण लंबित रहने का हवाला देकर कार्यवाही से इनकार किया तो इस बात से खफा अधिकारी महोदय ने अपनी पावर का इस्तेमाल कर उसे निलंबित कर दिया गया। अब देखना यह है कि वन विभाग के आला अफसरान इस मामले में कितना न्याय करते हैं। क्या न्यायालय में लंबित मामले में जबरन बेदखली का आदेश देने वाले अधिकारी के खिलाफ कोई सख्त एक्सन होगा ? क्या बिना गलती के निलंबित एसडीओ को बहाल किया जाएगा ? क्या इस मामले में कोर्ट द्वारा संज्ञान लेते हुए उक्त अधिकारी के विरुद्ध कोई कठोर कार्यवाही की जाएगी।
दरअसल यह मामला सीधी वनमंडल का है। सीधी वन मंडल के अंतर्गत वन-राजस्व सीमा विवाद में चुरहट न्यायालय में चुरहट रेंज के झूमर वन खंड के कक्ष क्रमांक- पी-992 के अंतर्गत फॉरेस्ट के मुनारों से बाहर बने मकान को लेकर कृष्णमणि तिवारी विरुद्ध वन विभाग का मामला लंबित है। बावजूद इसके, सीधी डीएफओ क्षितिज कुमार ने 80 (A) के अंतर्गत बेदखली की कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर दिए है। वह भी तब, जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सार्वजनिक तौर पर कहते आ रहे हैं कि शासकीय भूमि पर बने मकान में रह रहे लोगों की बेदखली की कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस बेदखली आदेश पर सहायक वन संरक्षक उपवन मंडल अधिकारी सीधी विद्या भूषण मिश्रा ने यह कहते हुए कार्यवाही करने से इनकार कर दिया कि यह मामला चुरहट नन्यायालय में लंबित है। आदेश की नाफरमानी से गुस्साए वन मंडल अधिकारी सीधी क्षितिज कुमार एवं वन संरक्षक राजेश राय द्वारा कूट रचित तथ्यों के आधार पर शासन में बैठे वरिष्ठ अधिकारी बिना परीक्षण के संगठित प्रशासनिक कार्यवाही करते हुए सहायक वन संरक्षक उपवन मंडल अधिकारी सीधी विद्या भूषण मिश्रा को निलंबित कर दिया। उल्लेखनीय है कि जिस प्रकरण पर श्री मिश्र को निलंबित किया गया वह आज भी अधीनस्थ न्यायालय चुरहट में विचाराधीन है, साथ ही वन अपराध वन पर प्रस्तुत किया गया चालान आज भी न्यायालय में विचाराधीन है। 80 ए के विरुद्ध पारित आदेश की अपील कार्यवाही मध्य प्रदेश शासन अपर सचिव अपर सचिव के यहां विचाराधीन है। इसके साथ ही यह कार्यवाही मुख्य संरक्षक रीवा के यहां विचाराधीन है सिविल सूट चुरहट में विचाराधीन है.
न्यायालय के फैसले का भी इंतजार नहीं
क्षितिज कुमार द्वारा गलत वन अपराध पंजीबद्ध कर गलत 80 ए की कार्यवाही की गई जिसे शासन की गाइडलाइन बताया गया, जो नियम के विरुद्ध है। क्षितिज कुमार द्वारा विधी विरुद्ध वन भूमि के बाहर वन अपराध पंजीबद्ध कराया गया। जिसे वह वन भूमि कह रहे हैं वह स्थल मुनारी के बाहर है एवं वह खसरा 3/2 जो संरक्षित वन खंड झूमर के ब्लॉक मैप में उल्लिखित नहीं है। इसके साथ ही वह खसरा 1972 से दी नोटिफाई किया गया है एवं राजस्व विभाग को हस्तांतरित किया गया है। यहां गौरतलब यह भी है कि इसी प्रकरण में अतिक्रमक को 1992 में दोष मुक्त किया गया था। क्षितिज कुमार द्वारा अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए न तो न्यायालय का सम्मान किया गया और न ही शासन के राज्य पत्र का सम्मान किया गया। वन भूमि पर जो गैर जिम्मेदाराना कार्यवाही क्षितिज कुमार द्वारा की गई थी उसे अब वह उप वनमंडल अधिकारी सीधी विद्या भूषण मिश्रा पर डाल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि विद्या भूषण मिश्रा ने 11 अक्टूबर 2022 को सीधी में ज्वाइन किया था, जबकि पूरा प्रकरण उनके ज्वाइन करने के लगभग 3 वर्ष पहले का है।
जीपीएस रीडिंग और पंचनामे के तहत वन भूमि के बाहर है मकान
जिला न्यायालय के निर्देश के बाद सीसीएफ रीवा ने एसडीओ विद्याभूषण मिश्रा को मौका-मुआयना करने का फरमान जारी किया। 5 रेंजर और सरपंचों के साथ एसडीओ मिश्रा ने जीपीएस से रीडिंग कर पंचनामा तैयार किया जिसमें यह पाया कि कृष्णमणि तिवारी का मकान वन भूमि की मुनारो से 30-40 फीट दूरी पर बना है। झूमर गांव चुरहट के कृष्ण मणि तिवारी का कहना है कि चुरहट न्यायालय में मामला लंबित है। इसके बाद भी भोपाल से सीनियर वन अधिकारी को भेज कर जांच कर लिया जाए कि मेरा मकान फॉरेस्ट भूमि पर है अथवा उसके बाहर बना है? अपने आप स्थिति क्लियर हो जाएगी। डीएफओ ने जानबूझकर मेरे खिलाफ राग द्वेष की भावना से प्रकरण दर्ज किया है।