MP : मुरलीधर की फटकार का असर, BJP नेता प्रदेश के दौरे पर निकल पड़े
भोपाल. बीजेपी (BJP) के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव की फटकार का ऐसा असर हुआ है कि बीजेपी के प्रदेश नेता प्रदेश के दौरे पर निकल पड़े हैं. बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में लगातार 20 साल पूरे होने पर कई कार्यक्रम तय किये हैं. इसी के तहत भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश के सभी संभाग प्रभारी और जिला प्रभारियों को दौरे करना ज़रूरी कर दिया गया है.
पदाधिकारी अपने-अपने प्रभार के संभाग जिले और मण्डल के कार्यकर्ताओं की बैठक लेंगे. पार्टी के प्रदेश महामंत्री और इंदौर संभाग के प्रभारी भगवानदास सबनानी इंदौर संभाग के 4 दिन के दौरे पर रहेंगे. वो इंदौर नगर, इंदौर ग्रामीण, बड़वानी और धार जिले के धामनौद मंडल में प्रवास के दौरान कार्यकर्ताओं की बैठक लेंगे. इसी तरह बाकी पदाधिकारियों के दौरे भी तय किए गए हैं.
क्या है मामला ?
राजगढ़ में हुई बीजेपी पदाधिकारियों की बैठक में प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने सबको हिदायत दे दी थी. बैठक के दौरान उन्होंने पदाधिकारियों से कहा था कि उन्हें पद घर बैठने के लिए नहीं मिला है. सभी पदाधिकारियों को अपने प्रभार वाले इलाकों में दौरे करने ही होंगे. बैठक के दौरान ही पदाधिकारियों के लिए दौरों की समय सीमा भी तय कर दी गई थी. महामंत्री स्तर के पदाधिकारियों को कम से कम 15 दिन का दौरा करना ज़रूरी है. इसके अलावा प्रदेश पदाधिकारियों के लिए भी समय सीमा तय की गई थी. प्रदेश पदाधिकारियों को कम से कम 10 दिन तक प्रभार के इलाकों में रहना होगा.
2023-24 की रणनीति पर फोकस
बीजेपी की कोशिश पदाधिकारियों के दौरे तय कर ज़मीन स्तर पर संगठन को और मजबूत करना है. राजगढ़ में हुई बैठक में बीजेपी ने 2023 और 2024 में होने वाले चुनाव के लिए एजेंडा तय कर लिया है. प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा की मौजूदगी में हुई बैठक में संगठन के कामकाज से लेकर आने वाले चुनावों को लेकर रणनीति तय की गई. बीजेपी ने पदाधिकारियों की बैठक में 2023-24 के लिए संगठन ही शक्ति है का मंत्र पदाधिकारियों को दिया है. ये तय किया गया है कि संगठन के कामकाज में बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी. इसके साथ ही बैठक में विपक्ष को घेरने की रणनीति पर भी मंथन हुआ था. बीजेपी ने उन सीटों पर अभी से फोकस करने की रणनीति बनाई है जिन पर बहुत कम अंतर से पिछले चुनाव में हार जीत हुई थी.